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October 5, 2025
हिमाचल में देवआस्था: बिजली महादेव मंदिर के पास गिरी आसमानी बिजली, लोग मान रहे दैवीय संकेत
आसमानी बिजली गिरते ही दहक उठा जंगल, दूर तक सुनी धमाके की आवाज
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कुल्लू। देवभूमि हिमाचल एक बार फिर भगवान भोलेनाथ की लीला का साक्षी बना। कुल्लू जिले के प्रसिद्ध बिजली महादेव मंदिर के समीप रविवार सुबह आसमानी बिजली गिरने की घटना ने श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों को आश्चर्य में डाल दिया। सुबह लगभग 7 बजे गर्जन और तेज बारिश के बीच मंदिर से सटे डूजूं गांव के पीछे की पहाड़ी पर जब बिजली गिरी, तो पूरा क्षेत्र कुछ क्षणों के लिए रोशनी से नहा गया।
तेज धमाके की आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनाई दी। बिजली गिरने के तुरंत बाद पहाड़ी के एक हिस्से में आग लग गई, जिससे आसमान में धुएं के गुबार उठने लगे। हालांकि राहत की बात यह रही कि उस समय पास के खेतों में घास काट रही महिलाएं पूरी तरह सुरक्षित रहीं।
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घटना के बाद से स्थानीय लोग इसे एक दैवीय चमत्कार मान रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब.जब इस क्षेत्र पर कोई संकट मंडराता है, भगवान बिजली महादेव अपने भक्तों की रक्षा के लिए स्वरूप प्रकट करते हैं। डूजूं गांव के निवासी भूपेंद्र ठाकुर ने बताया कि यह साधारण बिजली नहीं थी। यह भोलेनाथ का संकेत था। वे हमारी रक्षा कर रहे हैं, इसलिए कोई जनहानि नहीं हुई।
बिजली महादेव मंदिर का संबंध हजारों वर्षों पुरानी पौराणिक परंपरा से है। कहा जाता है कि यहां हर 12 वर्षों में शिवलिंग पर आकाशीय बिजली गिरती है। बिजली गिरने के बाद शिवलिंग खंडित हो जाता है, जिसे बाद में पुजारी मक्खन और सत्तू से जोड़ते हैं। यह परंपरा आज भी यथावत जारी है। भक्तों का विश्वास है कि भगवान शिव इस क्षेत्र पर आने वाले किसी भी विनाशकारी संकट को अपने ऊपर ले लेते हैं, ताकि उनके भक्त सुरक्षित रहें।
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घटना के बाद मंदिर परिसर और आसपास के गांवों में श्रद्धालुओं ने दीप जलाकर पूजा.अर्चना शुरू कर दी है। लोगों का कहना है कि यह घटना भोलेनाथ की दिव्य उपस्थिति का प्रतीक है और क्षेत्र में सुख-शांति का संदेश देती है। स्थानीय पुजारी पंडित रघुनाथ शर्मा ने बताया कि जब बिजली गिरती है, तो हम समझते हैं कि भगवान स्वयं इस क्षेत्र की रक्षा कर रहे हैं। यह डरने की नहीं, बल्कि श्रद्धा से नतमस्तक होने की घड़ी है।
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कुल्लू घाटी में बिजली महादेव मंदिर न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि यह आस्था, ऊर्जा और प्रकृति की शक्ति का अद्भुत प्रतीक है। रविवार को घटी यह घटना इस विश्वास को और गहरा करती है कि देवभूमि में देवता आज भी साक्षात रूप में विद्यमान हैं।