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September 19, 2025
सावधान रहें हिमाचल के लोग ! प्रदेश के 11 जिलों में होगी भारी बारिश, येलो अलर्ट जारी
हिमाचल प्रदेश में नहीं थम रहा कुदरत का कहर
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शिमला। हिमाचल प्रदेश इस समय अपने इतिहास के सबसे भयावह प्राकृतिक संकट से गुजर रहा है। मानसून के इस सीजन में प्रदेश पर कुदरत ने ऐसा कहर ढाया है, जिसकी चोटें सालों तक महसूस की जाएंगी। मूसलधार बारिश, भूस्खलन, बादल फटने और फ्लैश फ्लड्स ने प्रदेश की बुनियादी संरचना को तहस.नहस कर दिया है। जनजीवन पूरी तरह अस्त.व्यस्त हो चुका है और प्रशासन राहत और पुनर्वास में जुटा हुआ है, लेकिन चुनौतियां इतनी विकराल हैं कि हालात जल्द सामान्य होने की उम्मीद नहीं दिखती।
हिमाचल प्रदेश में मौसम का यह कहर आज भी जारी रह सकता है। मौसम विभाग ने प्रदेश के 12 में से 11 जिलों किन्नौर जिला को छोड़ कर में आज यानी 19 सितंबर शुक्रवार को भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। शिमला स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार 25 सितंबर तक राज्य के विभिन्न हिस्सों में बारिश का सिलसिला जारी रह सकता है। हालांकि 22 और 23 सितंबर को मौसम के साफ रहने की संभावना है। लेकिन फिलहाल कुछ स्थानों पर तेज़ बारिश और अंधड़ की चेतावनी जारी की गई है।
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बीती रात बिलासपुर के नयनादेवी क्षेत्र में रिकॉर्ड 158.6 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो इस सीजन की सबसे अधिक वर्षा में से एक है। इसके अलावा नाहन (38.2 मिमी), भटियाट (37.1), बलद्वाड़ा (28.0), धर्मशाला (17.8) समेत कई क्षेत्रों में मध्यम से भारी बारिश हुई है।
लगातार हो रही बारिश और भूस्खलनों ने प्रदेश की सड़क व्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है। शुक्रवार सुबह तक राज्य में 3 राष्ट्रीय राजमार्ग समेत कुल 552 सड़कें बंद थीं। सबसे अधिक प्रभावित जिलों में कुल्लू (202 सड़कें), मंडी (158), शिमला (50) और कांगड़ा (40) शामिल हैं। सड़कों के अवरुद्ध होने से कई गांवों का संपर्क पूरी तरह टूट गया है, और हजारों लोग अपने घरों या अन्य स्थानों पर फंसे हुए हैं। राहत दलों के लिए भी ऐसे दुर्गम क्षेत्रों में पहुंचना एक बड़ी चुनौती बन चुका है।
भूस्खलनों और भारी बारिश ने न सिर्फ सड़कों को, बल्कि बिजली और पानी की आपूर्ति को भी तहस-नहस कर दिया है। पूरे प्रदेश में 162 ट्रांसफार्मर खराब हो चुके हैं और 197 पेयजल योजनाएं ठप पड़ी हैं। अकेले मंडी जिले में हालात सबसे गंभीर हैं जहां 68 ट्रांसफार्मर और 126 पेयजल योजनाएं प्रभावित हैं, जिससे हजारों परिवारों को पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
इस बार का मानसून हिमाचल प्रदेश के लिए मौत बनकर आया। अब तक की आधिकारिक जानकारी के अनुसार, 424 लोगों की जान इस प्राकृतिक आपदा में जा चुकी है, 481 लोग घायल हुए हैं और 45 लोग अब भी लापता हैं। मृतकों में सबसे अधिक मामले मंडी (66), कांगड़ा (57) और चम्बा (50) जिलों से सामने आए हैं। लापता लोगों के परिजन अब भी बेसब्री से किसी चमत्कार की उम्मीद में हैं।
बारिश और भूस्खलन की वजह से 1604 घर पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं, जबकि 7000 से अधिक मकानों को भारी नुकसान पहुंचा है। कई परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। राहत शिविरों में लोगों की भीड़ बढ़ रही है, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण वहां भी असुविधाएं हैं।
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मानव जीवन के साथ-साथ पशुधन और पोल्ट्री सेक्टर को भी बड़ा झटका लगा है। अब तक की जानकारी के अनुसार, 2400 से अधिक मवेशी और 26000 से अधिक पोल्ट्री पक्षी इस आपदा की भेंट चढ़ चुके हैं। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गहरा आघात लगा है।
हिमाचल सरकार द्वारा किए गए शुरुआती आकलन में अब तक की तबाही से 4749 करोड़ रुपए से अधिक का आर्थिक नुकसान होने का अनुमान है। सबसे अधिक क्षति लोक निर्माण विभाग की सड़कों, पुलों और जल परियोजनाओं को पहुंची है। मानसून सीजन के दौरान अब तक 146 भूस्खलन, 98 फ्लैश फ्लड और 46 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं।
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प्रदेश सरकार ने हालात पर काबू पाने के लिए आपदा राहत कार्य तेज कर दिए हैं। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और अन्य एजेंसियां लगातार राहत कार्यों में जुटी हैं। मुख्यमंत्री और संबंधित विभागों के अधिकारी लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं, लेकिन बिगड़े हालात को देखते हुए राहत कार्यों को गति देना एक बड़ी चुनौती बन चुकी है।