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July 16, 2025
हिमाचल में आज फिर तेज बारिश का अलर्ट जारी, आने वाले तीन दिनों में बिगड़ सकते हैं हालात
19 जुलाई तक नहीं मिलेगी बारिश से राहत
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शिमला। हिमाचल प्रदेश एक बार फिर मानसून के प्रचंड रूप की चपेट में आ गया है। मौसम विज्ञान केंद्र ने एक बार फिर हिमाचल के चार जिलों में आज के लिए तेज बारिश का अलर्ट जारी किया है।
मौसम विभाग के अनुसरा, आज चंबा, कांगड़ा, मंडी और सिरमौर में कहीं-कहीं तेज बारिश हो सकती है। मौसम विभाग ने इन जिलों में तेज बारिश का यलो अलर्ट जारी किया है। जबकि, बाकी जिलों में हल्की से मध्यम बूंदाबांदी के आसार हैं।
मौसम विभाग की चेतावनी केवल आज तक सीमित नहीं है। कल यानी 17 जुलाई को प्रदेश के 9 जिलों ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, कांगड़ा, मंडी, शिमला, सोलन, सिरमौर और कुल्लू में यलो अलर्ट घोषित किया गया है। इसके बाद 18 जुलाई को 5 जिलों और 19 जुलाई को 2 जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। इससे आने वाले दिनों में प्रदेश में हालात और बिगड़ सकते हैं।
20 जून से शुरू हुए इस मानसून सीजन में अब तक 818 करोड़ रुपये से ज्यादा की सरकारी और निजी संपत्ति बर्बाद हो चुकी है। कई क्षेत्रों में भूस्खलन, बादल फटना और अचानक आई बाढ़ से गांव-के-गांव दहशत में हैं।
अब तक 106 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें से 24 लोग भूस्खलन, बादल फटने और बाढ़ की घटनाओं का शिकार हुए हैं। 34 लोग अब भी लापता हैं, जिनकी तलाश प्रशासन कर रहा है। इसके अलावा 44 मौतें सड़क हादसों में हुई हैं, जिनमें बारिश के दौरान खराब सड़कों और मलबे की भूमिका रही है।
राज्य में 190 से अधिक सड़कों पर यातायात पूरी तरह बंद है। इनमें से अधिकांश मार्ग 15 दिन से अवरुद्ध हैं। कई ग्रामीण इलाकों का मुख्य सड़क नेटवर्क से संपर्क टूट गया है। इससे बुनियादी सेवाएं जैसे दवाइयां, राशन, दूध और सब्जियां तक पहुंचना मुश्किल हो गया है।
बारिश का कहर किसानों और बागवानों के लिए दोहरी मुसीबत बनकर आया है। खेतों में खड़ी मक्की और सब्जियों की फसलें गल रही हैं। कई क्षेत्रों में खेतों में पानी भर जाने से धंसाव हो गया है, जिससे आने वाली बुवाई का चक्र भी प्रभावित होगा।
सेब बेल्ट कहे जाने वाले ऊपरी शिमला, किन्नौर, कुल्लू और मंडी के बागवान सेब की फसल तक ढो नहीं पा रहे हैं। सड़कों के बंद होने से ट्रकों और गाड़ियों की आवाजाही रुकी हुई है, जिससे मंडियों तक फसल पहुंचाने में देरी हो रही है और सेब खराब हो रहा है। इससे हजारों बागवानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमें सक्रिय हैं, लेकिन लगातार बारिश और दुर्गम इलाकों में राहत पहुंचाने की चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें कई जिलों में तैनात हैं। सरकार की ओर से आपात राहत के तहत कुछ जिलों में नुकसान का आंकलन कर मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, लेकिन यह राहत फिलहाल ऊंट के मुंह में जीरा जैसी साबित हो रही है।