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December 13, 2025

सुक्खू सरकार हर साल कमाएगी दो हजार करोड़, खाली खजाने को भरेगी नई राजस्व नीति

प्रदेश के खाली खजाने को भरने की दिशा में आगे बढ़ी सुक्खू सरकार 

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शिमला। हिमाचल प्रदेश में सत्ता संभालने के बाद से ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार लगातार प्रदेश की आर्थिक सेहत सुधारने में जुटी हुई है। खर्चों पर नियंत्रण, आय के नए स्रोत और कड़े फैसलों के जरिए सरकार राजस्व बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इसी कड़ी में अब सुक्खू सरकार ने एक और बड़ा और साहसिक निर्णय लेते हुए प्रदेश में स्थापित बिजली परियोजनाओं से भू-राजस्व वसूलने का रास्ता साफ कर दिया है, जिससे राज्य के खजाने में सालाना करीब दो हजार करोड़ रुपये की आमदनी होने का अनुमान है।

जनवरी 2026 से लागू होगी नई व्यवस्था

राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि बिजली कंपनियों को अब परियोजना के औसत बाजार मूल्य का दो प्रतिशत भू.राजस्व चुकाना होगा। यह व्यवस्था पहली जनवरी 2026 से प्रभावी होगी। जिला स्तर पर बाजार मूल्य का आकलन कर भू.राजस्व तय किया गया है, जिसकी अधिसूचना शुक्रवार को शिमला और कांगड़ा के भू.राजस्व अधिकारियों की ओर से राजपत्र में प्रकाशित कर दी गई।

 

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नई व्यवस्था के तहत ऐसी हर जमीन पर भू.राजस्व देना अनिवार्य होगा, जिसका इस्तेमाल गैर-कृषि कार्यों, विशेषकर बिजली परियोजनाओं के लिए किया जा रहा है। चाहे जमीन परियोजना के नाम पर ट्रांसफर की गई हो या वन संरक्षण अधिनियम के तहत अनुमति लेकर उपयोग में लाई गई हो, भू.राजस्व देना ही होगा। जमीन का मालिकाना हक परियोजना के पास न होने की स्थिति में भी यह देनदारी खत्म नहीं होगी।

188 परियोजनाओं से दो हजार करोड़ की उम्मीद

ऊर्जा निदेशालय के आकलन के अनुसार प्रदेश में मौजूदा 188 बिजली परियोजनाओं से सरकार को सालाना करीब 2,000 करोड़ रुपये का भू.राजस्व मिल सकता है। सरकार ने इसके लिए नया कानून बनाया था, जिसमें अधिकतम चार प्रतिशत तक भू-राजस्व लगाने का प्रावधान था, लेकिन फिलहाल बिजली परियोजनाओं पर दो प्रतिशत की दर ही लागू की गई है।

 

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जिलेवार बड़ा राजस्व

भू.राजस्व से सबसे अधिक कमाई किन्नौर जिले से होने का अनुमान है, जहां से करीब 454 करोड़ रुपये जुटेंगे। इसके बाद शिमला जिले से 314 करोड़, बिलासपुर से 346 करोड़ और सिरमौर जिले से 10 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व मिलने की संभावना है। बड़ी परियोजनाओं की बात करें तो किन्नौर में स्थापित करछम-वांगतू परियोजना से 155 करोड़ रुपये से अधिक नाथपा-झाकड़ी परियोजना से 222 करोड़ रुपये से ज्यादा, शिमला जिले के रामपुर क्षेत्र में एसजेवीएनएल की परियोजनाओं से सैकड़ों करोड़ रुपये का भू-राजस्व सरकार को मिलेगा। वहीं बिलासपुर में बीबीएमबी और एनटीपीसी की परियोजनाएं भी खजाने को मजबूत करेंगी।

 

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वाटर सेस के बाद नया रास्ता

उल्लेखनीय है कि इससे पहले सुक्खू सरकार ने बिजली परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाने की पहल की थी, लेकिन वह मामला अदालतों में उलझ गया और सरकार को पीछे हटना पड़ा। अब राजस्व विभाग के जरिए भू-राजस्व की नई व्यवस्था लागू कर सरकार ने कानूनी रूप से मजबूत विकल्प चुना है।

 

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खजाने को मिलेगी मजबूती

सरकार का मानना है कि इस फैसले से प्रदेश की वित्तीय स्थिति को स्थायी रूप से मजबूती मिलेगी। बढ़ता राजस्व न केवल विकास योजनाओं को गति देगा, बल्कि कर्ज के बोझ से जूझ रहे प्रदेश को भी राहत देगा। सुक्खू सरकार के इस फैसले को राज्य की आर्थिक नीति में एक बड़ा और निर्णायक कदम माना जा रहा है।

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