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December 13, 2025
हिमाचल में होने जा रही है शिक्षकों की भारी कमी: एक साथ रिटायर हो रहे 1600 अध्यापक
शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की कमी से निपटने को शुरू की 5450 पदों पर भर्ती
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शिमला। हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूल एक बार फिर गंभीर शिक्षक संकट की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं। पहले से ही शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे स्कूलों में 31 मार्च को एक साथ 1600 शिक्षकों की सेवानिवृत्ति होने जा रही है। यह प्रदेश के शिक्षा इतिहास में पहली बार होगा, जब एक ही दिन में इतनी बड़ी संख्या में शिक्षक रिटायर होंगे। हालात ऐसे बने तो आने वाले शैक्षणिक सत्र में छात्रों की पढ़ाई पर इसका सीधा और गहरा असर पड़ सकता है।
सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों में जेबीटी, सीएंडवी, टीजीटी, पीईटी, डीपीई, प्रवक्ता, मुख्य अध्यापक और प्रधानाचार्य शामिल हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार यह स्थिति इसलिए बनी है क्योंकि सरकार ने बीच सत्र में तबादले और सेवानिवृत्ति पर रोक लगाई थी, जिसके चलते सभी लंबित रिटायरमेंट एक ही तिथि पर हो रहे हैं।
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वर्तमान समय में ही प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग में विभिन्न श्रेणियों के करीब 6500 पद रिक्त चल रहे हैं। 31 मार्च को 1600 और शिक्षकों के रिटायर होने के बाद यह आंकड़ा और बढ़ जाएगा। कई दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल पहले ही एक या दो शिक्षकों के सहारे चल रहे हैं। ऐसे में अचानक इतनी बड़ी संख्या में पद खाली होना शिक्षा व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।
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शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई, तो कई स्कूलों में कक्षाएं नियमित रूप से संचालित कर पाना मुश्किल हो जाएगा। इसका सीधा नुकसान छात्रों, खासकर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब और ग्रामीण पृष्ठभूमि के बच्चों को उठाना पड़ सकता है।
इसी बीच सीबीएसई स्कूलों के लिए अलग सब.कैडर बनाए जाने की प्रक्रिया भी विभाग के सामने नई परेशानी खड़ी कर सकती है। इससे शिक्षकों की उपलब्धता और तैनाती को लेकर असंतुलन पैदा होने की आशंका जताई जा रही है। यदि भर्ती प्रक्रिया में और देरी हुई, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।
शिक्षा विभाग ने हालात को संभालने के लिए 5450 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है। इनमें प्रवक्ता (स्कूल न्यू) के 658 पद सीधी भर्ती और 400 पद पदोन्नति से भरे जा रहे हैं। प्रवक्ता शारीरिक शिक्षा के 112 पद, टीजीटी के 1318 पद, सीएंडवी श्रेणी शास्त्री के 737 पद और भाषा अध्यापक के 31 पद भी सीधी भर्ती के तहत शामिल हैं। जेबीटी भर्ती का मामला लंबे समय से अदालत में लंबित था, जिसे अब हरी झंडी मिल चुकी है। हालांकि बड़ा सवाल यह है कि क्या यह भर्ती प्रक्रिया समय पर पूरी हो पाएगी या नहीं। यदि नियुक्तियों में देरी होती है, तो नए सत्र की शुरुआत शिक्षक संकट के साथ हो सकती है।
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शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने विभाग को भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कर्मचारी चयन आयोग को पत्र लिखकर भर्तियों को शीघ्र पूरा करने का आग्रह किया है। मंत्री ने स्पष्ट किया है कि सरकार की प्राथमिकता है कि बच्चों की पढ़ाई किसी भी सूरत में प्रभावित न हो।
इधर स्कूल शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला उपनिदेशकों से प्रवक्ता पदों पर कार्यरत उन कर्मचारियों का ब्यौरा मांगा है, जिनकी नियुक्ति 15 मई 2003 या उससे पहले विज्ञापित रिक्तियों के तहत हुई थी। निदेशक स्कूल शिक्षा आशीष कोहली ने इस संबंध में सभी उपनिदेशकों को पत्र जारी किया है।
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कुल मिलाकर, यदि सुक्खू सरकार समय रहते ठोस और त्वरित कदम नहीं उठाती है, तो हिमाचल के सरकारी स्कूल एक बार फिर शिक्षकों के अकाल का सामना कर सकते हैं। इसका सबसे बड़ा खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ेगा और शिक्षा की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े होंगे। अब सबकी नजर इस बात पर है कि सरकार भर्ती प्रक्रिया को कितनी तेजी से जमीन पर उतार पाती है।