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September 21, 2025

हिमाचल में धड़ल्ले से हो रही अवैध Mining, फिर सुक्खू सरकार ने केंद्र से क्यों मांगी खनन की अनुमति, जानें

हिमाचल की नदियों में खनन के लिए केंद्र से मांगी अनुमति

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cm sukhu mining permission

शिमला। हिमाचल प्रदेश में चाहे कांग्रेस की सरकार हो या भाजपा की, हर सरकार में अवैध खनन का मुद्दा गूंजता है। अवैध खनन से प्रदेश की खड्डों से लेकर नदियों तक का सीना छलनी किया जा रहा है। लेकिन इस सब के बीच हिमाचल की सुक्खू सरकार ने केंद्र की मोदी सरकार से प्रदेश की नदियों में खनन की अनुमति मांगी है। सुक्खू सरकार ने हिमाचल में हर साल नदियों में आ रही बाढ़ से हो रहे नुकसान को देखते हुए प्रदेश की नदियों में खनन की मांग की है।

सुक्खू सरकार ने केंद्र से मांगी खनन की अनुमति

हिमाचल प्रदेश में हर साल मानसून के दौरान आने वाली विनाशकारी बाढ़ से निपटने के लिए प्रदेश की सुक्खू सरकार ने केंद्र से बड़ा कदम उठाने की मांग की है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने केंद्र सरकार से ब्यास और सतलुज नदियों में नियंत्रित खनन ड्रेजिंग की अनुमति मांगी है, ताकि इन नदियों के तल में जमी रेत, बजरी और पत्थरों को हटाकर जल प्रवाह को संतुलित किया जा सके।

 

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हिमाचल में हमेशा गूंजता है अवैध खनन का मुद्दा

प्रदेश में लंबे समय से अवैध खनन एक बड़ा मुद्दा रहा है। चाहे कांग्रेस हो या भाजपा, हर सरकार के कार्यकाल में खनन को लेकर विवाद उठते रहे हैं। लेकिन इस बार सरकार की मांग अवैध नहीं, बल्कि पर्यावरणीय और आपदा प्रबंधन दृष्टिकोण से की गई है।

क्यों उठानी पड़ी यह मांग

दरअसल हर वर्ष हिमाचल की प्रमुख नदियों विशेष रूप से ब्यास और सतलुज में पांच से सात फीट तक रेत, बजरी और भारी पत्थर बहकर जमा हो जाते हैं। इससे न केवल इन नदियों का तल ऊपर उठता है, बल्कि मानसून सीजन में जब यह नदियां उफान पर बहने लगती हैं तो यह इनका जल प्रवाह अपना मार्ग बदल लेता है और तटीय क्षेत्रों में भारी तबाही मचाता है। वर्ष 2023 में आई बाढ़ ने प्रदेश को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया था।

 

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नितिन गडकरी और केंद्र की टीमों ने भी दी थी सलाह

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भी बाढ़ के बाद ब्यास नदी की ड्रेजिंग (गहराई बढ़ाने की प्रक्रिया) का सुझाव दिया था। इसके बाद केंद्र से आई आपदा मूल्यांकन टीमों ने भी यही राय दी थी कि नदियों, नालों और खड्डों की सफाई जरूरी है ताकि जल का प्रवाह बिना रुकावट के हो सके।

वन संरक्षण अधिनियम बना बाधा

राज्य सरकार की इस योजना को वन संरक्षण अधिनियम 1980 की शर्तों ने रोक रखा है। कुल्लूए मंडीए बिलासपुरए सिरमौर और सोलन जैसे जिलों में यह अधिनियम पूरी तरह लागू है। जबकि कांगड़ाए ऊनाए हमीरपुर और चंबा के कुछ हिस्सों में इसकी सीमा कम है। इन कानूनों के कारण राज्य सरकार की ड्रेजिंग की पहल अधर में लटक जाती है। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने बताया कि गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर ब्यास और सतलुज नदियों से खनिज निकासी की अनुमति मांगी गई है। यदि केंद्र सरकार अनुमति देती है, तो बाढ़ नियंत्रण की दिशा में यह एक बड़ा और जरूरी कदम साबित होगा।

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ड्रेजिंग पर रोक से हुआ नुकसान

प्रदेश के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बताया कि 2023 की बाढ़ के बाद कुल्लू जिले में ड्रेजिंग के लिए चार स्थलों की पहचान की गई थी। विभाग ने करीब 1ण्25 करोड़ रुपये की रेत और बजरी भी एकत्रित की थी, लेकिन वन विभाग की आपत्ति के चलते इस सामग्री की बिक्री नहीं हो सकी।

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नदियों की सफाई या खनन ? 

राज्य सरकार की यह मांग कई सवाल भी खड़े करती है। क्या यह पहल वास्तव में बाढ़ नियंत्रण के लिए है या फिर यह खनन कारोबार के लिए एक नया रास्ता खोलेगी? यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा। लेकिन यह तय है कि अगर यह कार्य नियमानुसार और वैज्ञानिक ढंग से किया गयाए तो इससे न केवल नदियों का स्वास्थ्य सुधरेगा बल्कि तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकेगी।

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