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October 24, 2025

सुक्खू सरकार फिर ले रही कर्ज, लोन के पैसों से देगी दिवाली का तोहफा- 3 फीसदी DA

सुक्खू सरकार लेगी 200 करोड़ का कर्ज

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sukhu Govt Loan

शिमला। वित्तीय संकट से जूझ रही हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक बार फिर कर्ज का सहारा लिया है। राज्य सरकार अब 200 करोड़ रुपये का नया ऋण लेने जा रही है। वित्त विभाग की ओर से शुक्रवार को इस संबंध में अधिसूचना राजपत्र में जारी की गई। यह राशि आगामी 29 अक्तूबर को राज्य सरकार के खाते में जमा हो जाएगी।

 

इससे पहले भी सरकार ने विभिन्न योजनाओंए वेतन और पेंशन भुगतान को सुचारू बनाए रखने के लिए कई बार कर्ज लिया है। अब दिवाली के मौके पर कर्मचारियों और पेंशनरों को तीन प्रतिशत महंगाई भत्ता देने के फैसले के बाद सरकार पर एक बार फिर अतिरिक्त वित्तीय बोझ बढ़ गया हैए जिसके चलते यह नया ऋण लिया जा रहा है।

 

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कर्ज के पैसे से दिवाली का तोहफा

प्रदेश सरकार ने हाल ही में घोषणा की थी कि राज्य के कर्मचारियों और पेंशनरों को तीन प्रतिशत महंगाई भत्ता दिया जाएगा। अप्रैल से सितंबर 2025 तक का एरियर दिवाली से पहले जारी कर दिया गया है। अब नवंबर में मिलने वाले अक्तूबर के वेतन में तीन फीसदी महंगाई भत्ता जोड़कर दिया जाना है। वित्त विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह निर्णय लगभग 400 से 450 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ राज्य खजाने पर डालता है। इसी वजह से सरकार को तुरंत अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने की जरूरत महसूस हुई और ऋण लेने की प्रक्रिया शुरू की गई।

 

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विकास का रथ अब कर्ज के पहिए पर

हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति लंबे समय से कर्ज के बोझ तले दबी हुई है। खुद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अभी हाल ही में विधानसभा में एक सवाल के जवाब में बताया था कि हिमाचल प्रदेश पर 31 जुलाई 2025 तक कुल 98 182 करोड़ रुपए का कर्ज है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी थी कि आने वाले कुछ समय में यह कर्ज एक लाख करोड़ के पार हो जाएगा। 

जिसका कारण उन्होंने सीमित साधन बताए थे। सीएम सुक्खू ने बताया था कि राज्य का राजस्व संग्रह सीमित है, जबकि वेतन, पेंशन, और सामाजिक कल्याण योजनाओं पर भारी खर्च हो रहा है। ऐसे में विकास कार्यों को जारी रखने के लिए सरकार बार.बार ऋण लेने को मजबूर है।

 

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राज्य के खर्च और आमदनी का असंतुलन

राज्य सरकार का वार्षिक बजट आकार लगभग 60 हजार करोड़ रुपये का हैए लेकिन राजस्व आय में कमी के कारण सरकार को वेतनए पेंशन और योजनाओं के भुगतान के लिए बाहरी कर्ज पर निर्भर रहना पड़ रहा है। केंद्र से मिलने वाले अनुदान और जीएसटी हिस्से के अलावाए राज्य की अपनी कर.संग्रह क्षमता सीमित है। इससे विकास परियोजनाओं पर सीधे असर पड़ता है।

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सरकार का पक्ष

सरकारी सूत्रों ने बताया कि ऋण लेना राज्य की सामान्य वित्तीय प्रक्रिया का हिस्सा है और इससे विकास कार्य प्रभावित नहीं होंगे। उनका कहना है कि सरकार वित्तीय संसाधनों का कुशल प्रबंधन कर रही है और कर्मचारियों के हितों से समझौता नहीं करेगी। वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य की प्राथमिकता कर्मचारियोंए पेंशनरों और गरीब वर्ग के हितों की रक्षा करना है। विकास परियोजनाओं के लिए आवश्यक धनराशि की व्यवस्था समय पर की जा रही है।

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