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July 15, 2025

विक्रमादित्य सिंह ने तोड़ी उम्मीदें, तो पूरी पंचायत ने दे दिया सामूहिक इस्तीफा; अब होगा जन आंदोलन

सरकार की चुप्पी पर पंचायत में नाराजगी,  तीन दिन का दिया अल्टीमेटम

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Vilkramaditya singh News

शिमला। हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार में लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह के विधानसभा क्षेत्र में एक पूरी पंचायत ने ही सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली चेवड़ी पंचायत ने शराब ठेका खोले जाने के विरोध में बड़ा कदम उठाते हुए सामूहिक रूप से अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। यह फैसला पंचायत प्रतिनिधियों, महिला मंडलों और नशा निवारण कमेटी ने मिलकर लिया। जिससे सरकार को एक स्पष्ट और सख्त संदेश दिया गया है कि यदि लोगों की आवाज़ को अनसुना किया गया तो स्थानीय लोकतंत्र चुप नहीं बैठेगा। 

मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी नहीं सुनी बात

ग्रामीणों ने इतना बड़ा निर्णय तब लिया, जब उन्हें हर तरफ से निराशा ही हाथ लगी। ग्रामीण गांव से शराब ठेका हटाने के लिए पुलिस प्रशासन और यहां तक कि मंत्री विक्रमादित्य सिंह के पास भी पहुंचे, लेकिन उनकी किसी नहीं एक नहीं सुनी। जिसके चलते अब उन्हें इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा।

 

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11 दिन से चल रहा था आंदोलन

पंचायत प्रतिनिधियों के अनुसार 23 मई को खेरा गांव में शराब का ठेका खोला गया था, जिसके बाद से ग्रामीणों, विशेषकर महिलाओं ने इसका पुरजोर विरोध शुरू कर दिया। विरोध लगातार 11 दिनों तक चला, जिसमें महिलाएं सड़क पर उतरीं, नारे लगाए और अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन सरकार की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

 

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सरकार से गुहारए जवाब में एफआईआर

पंचायत प्रधान छविंद्र सिंह पाल ने बताया कि उन्होंने एसडीएम से लेकर आबकारी विभाग और कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह तक से संपर्क किया, लेकिन कहीं कोई राहत नहीं मिली। उल्टा, शराब ठेके का विरोध कर रही महिलाओं पर ही पुलिस द्वारा केस दर्ज कर दिया गया। इस रवैये से आहत होकर पंचायत प्रधान, उप.प्रधान, सभी वार्ड सदस्य, महिला मंडल और नशा निवारण कमेटी ने ग्राम सभा के माध्यम से सामूहिक इस्तीफा देने का निर्णय लिया।

 

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सरकार करती है नशा मुक्ति की बातें 

छविंद्र सिंह पाल ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक तरफ सरकार नशा मुक्ति अभियान चला रही है और दूसरी तरफ जो पंचायतें नशे के खिलाफ आवाज़ उठा रही हैं, उनके खिलाफ ही कार्रवाई की जा रही है। यह दोहरा रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह निर्णय नैतिक आधार पर लिया गया है और पंचायत अब अपने अधिकारों की लड़ाई जनता के साथ मिलकर लड़ेगी।

 

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तीन दिन का अल्टीमेटम, फिर जन आंदोलन

चेवड़ी पंचायत ने सरकार को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि तीन दिनों के भीतर शराब का ठेका बंद नहीं किया गया, तो यह आंदोलन और भी व्यापक रूप ले सकता है। पंचायत का कहना है कि यह सिर्फ एक ठेके का विरोध नहीं है, बल्कि गांव की संस्कृति, महिलाओं की सुरक्षा और युवाओं के भविष्य की लड़ाई है। ग्रामीणों का कहना है कि  खेरा गांव के समीप बिजली विभाग का एक बड़ा प्रोजेक्ट चल रहा है, जिसमें सैकड़ों बाहरी श्रमिक कार्यरत हैं। स्थानीय महिलाओं को आशंका है कि शराब ठेका खुलने से इनकी गतिविधियों में असामाजिक तत्व बढ़ेंगे और गांव का शांत वातावरण प्रभावित होगा। 

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