#विविध
July 1, 2025
हिमाचल में भारी बारिश ने ढाया सितम : घर मलबे में तब्दील, अपनों को खोज रही आंखें- 259 सड़कें बंद
कई जगह गिरी इमारतें- टनलों में फंसे 250 से ज्यादा लोग
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में मानसून ने आते ही तबाही मचानी शुरू कर दी है। सूबे के कई जिलों में मूसलाधार बारिश से हालात बेकाबू हो गए हैं। कई जगहों पर इमारतें ढह गईं, भूस्खलन के चलते सड़कें जाम हो गईं और सैकड़ों लोग जीवन के लिए जूझते नजर आए।
मंडी और सिरमौर जिले सबसे अधिक प्रभावित हैं, जहां बादल फटने, बाढ़ और लैंडस्लाइड की घटनाओं ने जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक कुल 259 सड़कें बंद हो चुकी हैं, जिनमें मंडी में 129 और सिरमौर में 92 सड़कें शामिल हैं। 614 बिजली के ट्रांसफार्मर और 130 जलापूर्ति योजनाएं भी ठप हो गई हैं।
20 जून को मानसून की दस्तक के बाद से अब तक बारिशजनित हादसों में 23 लोगों की मौत हो चुकी है। जून में अब तक 135 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है, जो सामान्य से कहीं अधिक है। वहीं, शिमला के भट्टाकुफर इलाके में सोमवार सुबह एक पांच मंजिला इमारत ढह गई। यह इमारत चमियाना सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के पास स्थित थी और पहले से जर्जर हालत में थी।
जिला प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए इसे पहले ही खाली करवा लिया था, इसलिए इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई। इमारत की मालकिन रंजना वर्मा ने बताया कि पास में बन रही चार लेन सड़क के निर्माण से जमीन कमजोर हो गई थी, जिससे इमारत अस्थिर हो गई। स्थानीय पंचायत ने भी निर्माण कार्य रोकने की मांग की थी, परंतु कंपनी ने काम जारी रखा।
रामपुर के सिकासेरी गांव में बादल फटने से दो गौशालाएं बह गईं, जिसमें तीन गायें और दो बछड़े भी तेज बहाव में बह गए। यहां राजिंदर, विनोद और गोपाल नामक ग्रामीणों का नुकसान हुआ है। इस घटना में हालांकि किसी इंसान की जान नहीं गई। इसी गांव की सरपारा पंचायत में पिछले साल बादल फटने से 21 लोगों की मौत हो गई थी, जिससे अब भी डर का माहौल बना हुआ है।
बिलासपुर जिले के कुन्हमुंझवाड़ क्षेत्र में स्थित एक सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में बारिश का पानी घुस गया। स्कूल की हालत पहले से ही खराब थी, जिससे 130 से ज्यादा छात्रों को स्कूल से घर भेजना पड़ा। स्थानीय लोगों ने बताया कि प्रशासन ने पहले इन हालातों पर ध्यान नहीं दिया, जिसकी वजह से आज स्थिति और बिगड़ गई।
मंडी जिले में स्थिति सबसे नाजुक बनी हुई है। 11 और 13 नंबर टनलों के अंदर लगभग 250 से 300 लोग फंसे हुए हैं। ये लोग रविवार रात से ही टनल के भीतर फंसे हैं क्योंकि हणोगी और पंडोह के पास भारी भूस्खलन के कारण दोनों ओर की सड़कें पूरी तरह बंद हो गई हैं। प्रशासन ने हणोगी माता मंदिर परिसर में फंसे लोगों के लिए भोजन और राहत की व्यवस्था की है।
रातभर राहत कार्य जारी रहा और अब तक 34 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है, लेकिन सैकड़ों लोग अब भी टनलों में फंसे हैं। जिला उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अंदर कितने लोग हैं, इसकी सटीक जानकारी अभी नहीं है, लेकिन राहत कार्य पूरी तत्परता से जारी है।
शिमला-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर पांच स्थानों पर भूस्खलन हुआ है, जिससे यातायात को एक ही लेन पर मोड़ना पड़ा है। सोलन जिले के चक्की मोड़ और कोटी में भी सड़क पर पत्थर गिरने से यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सुबाथू-वाकनाघाट मार्ग भी भूस्खलन के चलते बंद हो गया है।
भारतीय मौसम विभाग ने चंबा, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों में अगले कुछ दिनों के लिए ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया है। विभाग ने चेतावनी दी है कि इन क्षेत्रों में मध्यम से तेज बाढ़ और अत्यधिक बारिश की संभावना है। NHAI को 24 घंटे मशीनरी तैनात रखने के निर्देश दिए गए हैं ताकि आपातकालीन हालात में त्वरित कार्रवाई की जा सके।
आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश में आगामी 6 जुलाई तक लगातार बारिश का पूर्वानुमान है और प्रशासन ने सभी उपमंडल अधिकारियों को अलर्ट पर रहने के निर्देश जारी कर दिए हैं। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने पर्यटकों और स्थानीय लोगों से अपील की है कि वे नदियों, खड्डों और झरनों के आसपास न जाएं और मौसम विभाग की चेतावनियों को गंभीरता से लें।