#विविध
July 1, 2025
कहां हैं सुक्खू सरकार के 48 स्वचलित मौसम केंद्र? जो समय रहते बादल फटने की देने वाले थे जानकारी
सुक्खू सरकार का आश्वासन- बादल फटेगा तो नहीं मचेगी तबाही
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शिमला। हिमाचल प्रदेश एक बार फिर मानसून की मार झेल रहा है। पहाड़ दरक रहे हैं, नदियां उफान पर हैं, घर मलबे में तब्दील हो रहे हैं और परिवार उजड़ रहे हैं। मगर ऐसे समय में एक सवाल हर हिमाचली के मन में उठ रहा है कि कहां गए वो 48 स्वचलित मौसम केंद्र, जिनकी घोषणा पिछले साल की गई थी? कहां है वो पूर्व चेतावनी प्रणाली, जिस पर 890 करोड़ रुपये खर्च होने थे?
प्रदेश सरकार ने 2024 में मौसम विज्ञान विभाग के साथ एक समझौता कर दावा किया था कि अब हिमाचल को पहले ही चेतावनी मिल जाएगी और लोगों की जान बचाई जा सकेगी। लेकिन 2025 के इस बरसात ने फिर से बता दिया कि योजनाएं कागजों पर हैं, जमीन पर नहीं। पिछले 72 घंटे में मंडी, हमीरपुर, कुल्लू, चंबा, शिमला और ऊना में तबाही मची है। कई लोगों की जान जा चुकी है, कई गांव खाली हो चुके हैं, पुल और सड़कें बह चुकी हैं।
पिछले साल मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने भारत मौसम विज्ञान विभाग के साथ एमओयू साइन किया था, जिसके तहत हिमाचल में 48 स्वचलित मौसम केंद्र स्थापित किए जाने थे। ये केंद्र हर क्षेत्र में वास्तविक समय पर मौसम संबंधी जानकारी भेजते और बादल फटने जैसी घटनाओं से पहले चेतावनी जारी करते।
सरकार ने दावा किया था कि फ्रांस की एजेंसी एएफडी इस परियोजना के लिए 890 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाएगी। यह धनराशि राज्य की जलवायु जोखिम न्यूनकरण और आपदा प्रबंधन की व्यवस्था को मजबूत करने के लिए थी। इसके साथ हेलीपैड और आपदा प्रतिक्रिया बल की भी योजनाएं बनी थीं।
2025 की बरसात शुरू होते ही प्रदेश में फिर वही हालात देखने को मिल रहे हैं। मंडी के स्यांज गांव में दो परिवार मलबे में समा गए। चंबा में बारिश से घर बह गए, कुल्लू में सड़कें टूट गईं, हमीरपुर में व्यास नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और ऊना में हर दिन कोई नया हादसा हो रहा है। लेकिन न कहीं कोई चेतावनी मिली, न समय रहते कोई सायरन बजा, और न ही कोई तकनीकी प्रणाली सक्रिय हुई।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब इतनी बड़ी राशि इन योजनाओं पर खर्च होनी थी, तो अब तक ये सिस्टम लागू क्यों नहीं हुआ? क्यों हर बार जब कोई आपदा आती है, तो हम सिर्फ राहत शिविर, मलबा हटाने और मुआवजे की खबरें पढ़ते हैं? सरकार के मंत्री अब भी यही कह रहे हैं कि योजनाएं प्रक्रिया में हैं, लेकिन जनता अब यह सवाल कर रही है क्या इस प्रक्रिया में ही जानें चली जाएंगी?
पिछले साल जब यह समझौता हुआ था, तब बागवानी मंत्री जगत नेगी ने कहा था कि यह तंत्र हिमाचल में पूर्व चेतावनी प्रणाली को मजबूत करेगा और बाढ़, भूस्खलन, बादल फटने जैसी घटनाओं से जानमाल की रक्षा होगी। लेकिन 2025 की बरसात में ऐसा कुछ नहीं दिखा। न केंद्र शुरू हुए, न अलर्ट मिले, न ही आपदा प्रबंधन का कोई प्रभावी उदाहरण सामने आया।