#विविध
July 2, 2025
हिमाचल में मौसम का तांडव : एक ही रात में फटे 17 बादल, 18 ने गंवाया जीवन- दर्जनों लापता
ब्यास का रौद्र रूप, टनल टूटी- कई पुल बहे
शेयर करें:
शिमला। हिमाचल प्रदेश एक बार फिर भयंकर मानसूनी तबाही की चपेट में है। सोमवार देर रात तक प्रदेश में 17 जगह बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिनमें सबसे ज्यादा 15 घटनाएं मंडी जिले में, जबकि कुल्लू और किन्नौर में एक-एक जगह बादल फटा। इन आपदाओं में अभी तक 18 लोगों की मौत, 33 लोग लापता, दर्जनों घायल और 500 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है।
मंडी जिले में बारिश, बादल फटने और नदियों के उफान ने कई इलाकों को तबाह कर दिया है। सबसे भयावह घटनाएं थुनाग, गोहर और करसोग उपमंडल में सामने आई हैं। थुनाग के कुकलाह गांव में बाढ़ के साथ बह गए 24 लोगों में से मंगलवार शाम तक 9 शव बरामद हुए हैं, शेष 15 लोगों की तलाश जारी है।
गोहर उपमंडल के स्यांज में भी दो घर बह गए। यहां 9 लोग बहे, जिनमें से 2 के शव मिले हैं, बाकी लापता हैं। बाड़ा गांव में एक घर ढहने से 6 लोग दब गए, जिनमें से 2 की मौत हो चुकी है। बस्सी, परवाड़ा, तलवाड़ा और कैलोधार में भी भारी तबाही हुई है।
एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन ने तुरंत राहत अभियान शुरू कर दिया है। पटिकरी प्रोजेक्ट, केलोधार, कुट्टी नाला, करसोग बाईपास, रिक्की गांव, करसोग कॉलेज से बच्चों और महिलाओं सहित 332 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है।
केलोधार में मकान गिरने से फंसे 8 लोगों को, वहीं करसोग की इमला खड्ड से 7 ग्रामीणों को रेस्क्यू किया गया। करसोग कॉलेज से 12 छात्रों और 4 महिलाओं को भी बाढ़ के बीच सुरक्षित निकाला गया।
सोमवार रात ब्यास नदी का पानी मंडी शहर में घुस आया, जिससे पंडोह बाजार को खाली करवाना पड़ा। भारी जलभराव के कारण डाइट मंडी, टारना और पैलेस कॉलोनी में 56 लोगों को रेस्क्यू किया गया। बिजनी में निर्माणाधीन टनल का मुहाना भी टूट गया, हालांकि मौके पर मौजूद मजदूर समय रहते भागकर अपनी जान बचाने में सफल रहे। पटिकरी में 16 मेगावाट का हाइड्रो प्रोजेक्ट बाढ़ की भेंट चढ़ गया—अब उसका नामोनिशान भी नहीं बचा।
अब तक की जानकारी के अनुसार, मंडी में 24 घर और 12 गोशालाएं पूरी तरह तबाह हो चुकी हैं। 30 मवेशी, जिनमें गायें, बकरियां और भेड़ें शामिल हैं, बाढ़ में बह गए। 50 से ज्यादा वाहन और बाइक भी बहने की पुष्टि हुई है।
हिमाचल में कुल 406 सड़कें बंद हैं, जिनमें अकेले मंडी की 248 सड़कें शामिल हैं। 171 जल योजनाएं और 1515 बिजली के ट्रांसफार्मर भी ठप हो चुके हैं, जिससे सैकड़ों गांवों में अंधेरा छा गया है।
कुल्लू के आनी में कारशा नाले के उफान से राष्ट्रीय राजमार्ग पूरी तरह बंद हो गया है। किन्नौर के सांगला के खरोगला, धर्मपुर के स्याठी, जोगिंद्रनगर के नेरी कोटला, और कांगड़ा के नादौन में भी बादल फटे या लैंडस्लाइड हुए हैं। वहीं, हमीरपुर के सुजानपुर में ब्यास का जलस्तर बढ़ने से 51 लोग फंस गए, जिन्हें पांच घंटे की मशक्कत के बाद सुरक्षित निकाला गया।
कांगड़ा हवाई अड्डे पर विजिबिलिटी कम होने के कारण 4 फ्लाइटें रद्द कर दी गईं। सिर्फ एक दिल्ली-गगल फ्लाइट पहुंची। भुंतर हवाई अड्डे के लिए भी सेवाएं ठप रहीं। भारी बारिश के चलते मंडी, हमीरपुर और कांगड़ा में स्कूल बंद कर दिए गए।
मौसम विभाग ने अगले चार दिन ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। 3 और 4 जुलाई को येलो अलर्ट रहेगा, लेकिन 5 से 7 जुलाई तक भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। मंडी, कुल्लू, शिमला, हमीरपुर, सोलन और सिरमौर जिलों में अगले 24 घंटे में बाढ़ जैसी स्थिति बन सकती है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आपदा को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि एक ही रात में प्रदेश को 500 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि नदी-नालों के किनारे न जाएं और 500 मीटर की सुरक्षित दूरी बनाए रखें।
आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, 20 जून से 1 जुलाई तक हिमाचल में कुल नुकसान 356.67 करोड़ रुपये का आंकलित किया गया है। लोक निर्माण विभाग, जल शक्ति और बिजली बोर्ड से डेटा जुटाकर आगे की रणनीति तैयार की जा रही है।