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August 2, 2025
हिमाचल बिजली बोर्ड की लापरवाही- दो मासूमों ने खोया पिता, अब देना पड़ेगा 1.19 करोड़ मुआवजा
परिवार को पहले मिल चुकी है 5 लाख रुपये अंतिरम राहत
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मंडी। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में दो मासूमों ने बिजली बोर्ड की लापरवाही के कारण अपने पिता को खो दिया। पति की मौत के बाद दोनों छोटे बच्चों की पूरी जिम्मेदारी पत्नी के कंधों पर आ गई। अब मामले में न्यायपालिका ने सख्त रुख अपनाते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।
BSF के जवान की मौत के मामले में जिला न्यायाधीश मंडल मंडी की अदालत ने हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड को मृतक जवान की पत्नी और दो नाबालिग बच्चों को 1.19 करोड़ रुपये का मुआवजा अदा करने का आदेश दिया है।
आपको बता दें कि ये मामला साल 2019 में धर्मपुर क्षेत्र के गांव रांगड़ से सामने आया था। रांगड़ निवासी 38 वर्षीय सुरेंद्र सिंह- जो कि BSF में अपनी सेवाएं दे रहे थे। उनकी खेत में ट्रैक्टर चलाते समय करंट लगने से मौत हो गई थी।
सुरेंद्र सिंह की मौत के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। परिवार ने विद्युत बोर्ड पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए सुरेंद्र की मौक का जिम्मेवार ठहराया था। जिसे अब अदालत ने पुष्टि के साथ स्वीकार किया है।
जानकारी के अनुसार, घटना 5 जुलाई 2019 की है। सुरेंद्र सिंह अपने खेत में ट्रैक्टर से जुताई कर रहे थे। खेत से सटे एक बिजली के खंभे से जुड़ी स्टे वायर (लोहे की तार) उनके संपर्क में आई, जिसमें पहले से करंट प्रवाहित हो रहा था। तार से छूते ही उन्हें जोरदार झटका लगा और उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
परिवार के मुताबिक, सुरेंद्र की पत्नी और भाई मौके पर मौजूद थे और उन्होंने उन्हें बचाने की कोशिश भी की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। मृतक के परिजनों का कहना था कि बिजली के तार और खंभे की स्थिति लंबे समय से खराब थी और इलाके के लोग पहले भी कई बार शिकायत दर्ज करवा चुके थे।
लोगों ने बताया था कि तारों में लीक हो रहा करंट खेतों और रास्तों में खतरा बन रहा है, लेकिन विद्युत विभाग ने इन शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया। हादसे के बाद ग्राम पंचायत और विद्युत बोर्ड के अधिकारी जब मौके पर पहुंचे, तो पाया गया कि स्टे वायर को तुरंत मौके से काट दिया गया था- जो लापरवाही छिपाने का संकेत माना गया।
बिजली बोर्ड ने अपनी सफाई में कहा कि यह एक सामान्य दुर्घटना थी, जिसके लिए सुरेंद्र सिंह खुद जिम्मेदार थे क्योंकि उन्होंने ट्रैक्टर को स्टे वायर से टकरा दिया। मगर अदालत ने गवाहों के बयान, पुलिस रिपोर्ट, पोस्टमार्टम निष्कर्ष और बिजली बोर्ड की विभागीय जांच रिपोर्ट के आधार पर पाया कि स्टे वायर में पहले से करंट मौजूद था और सुरेंद्र सिंह की गलती नहीं, बल्कि बोर्ड की जबरदस्त लापरवाही इस मौत की मुख्य वजह बनी।
अदालत ने अपने फैसले में स्ट्रिक्ट लाइबिलिटी यानी सख्त उत्तरदायित्व के सिद्धांत को लागू किया। इसका अर्थ है कि अगर कोई संस्था या विभाग सार्वजनिक सेवाएं प्रदान कर रहा है, तो वह किसी भी हानि के लिए पूर्ण रूप से जिम्मेदार होगा, भले ही उसका इरादा गलत न भी रहा हो।
मृतक की पत्नी निशा देवी ने अपने दो छोटे बच्चों के साथ मिलकर अदालत में एक करोड़ रुपये मुआवजे की याचिका दाखिल की थी, जिसे अदालत ने स्वीकार करते हुए 1.19 करोड़ का मुआवजा देने का आदेश दिया है। इसमें से पहले ही पांच लाख रुपये की अंतरिम राहत उन्हें दी जा चुकी थी।
यह फैसला न केवल मृतक परिवार को न्याय दिलाने वाला है, बल्कि प्रदेश भर में बिजली विभाग और अन्य सार्वजनिक सेवाओं को आगाह करने वाला भी है कि लापरवाही का अंजाम अब महंगा पड़ सकता है। धर्मपुर और आसपास के इलाकों में यह फैसला चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग कह रहे हैं कि यदि विभाग ने पहले ही समय रहते जर्जर तारों की मरम्मत की होती, तो एक जवान की जान न जाती।