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December 9, 2025

हिमाचल में अब पुलिस वर्दी में रील अपलोड की तो...लगेगी 'क्लास', फोटो तक नहीं कर सकते पोस्ट

पुलिसकर्मी अब निजी अकाउंट से भी कोई ऐसी पोस्ट नहीं कर सकेंगे

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Himachal Police Rules

शिमला। हिमाचल प्रदेश में कई पुलिसकर्मी व अधिकारी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। ऐसे में हिमाचल प्रदेश पुलिस विभाग ने पुलिसकर्मियों द्वारा वर्दी में सोशल मीडिया के उपयोग को लेकर एक नया नियम SOP लागू कर दिया है। जिसके तहत अब पुलिसकर्मियों की वर्दी को लेकर मर्यादाएं तय कर दी गई हैं।

पुलिसवालों के लिए नया रूल

दरअसल, सोशल मीडिया पर पुलिस वर्दी में रील्स, सेल्फी और निजी पोस्टों के बढ़ते चलन ने विभाग की गरिमा, अनुशासन और जनविश्वास पर सवाल खड़े किए थे। अब पुलिसकर्मियों की ऑनलाइन मौजूदगी पर स्पष्ट मर्यादाएं तय कर दी गई हैं, ताकि संपूर्ण पुलिस बल की छवि मजबूत, पेशेवर और जिम्मेदार बनी रहे।

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क्यों लिया गया ये फैसला?

विभाग का कहना है कि इसका उद्देश्य पुलिस वर्दी की गरिमा और अनुशासन को सुरक्षित रखना, संवेदनशील व गोपनीय सूचनाओं के लीक होने से रोकना और पुलिस विभाग की सार्वजनिक छवि और भरोसे को सुरक्षित रखना है। 

 

इसके साथ-साथ केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम 1964 और अन्य नियमों के पालन को सुनिश्चित करना है। इस SOP को हिमाचल प्रदेश पुलिस अधिनियम, पुलिस रूल्स और संबंधित सरकारी निर्देशों के अनुरूप तैयार किया गया है।

वर्दी में सोशल मीडिया पर पूरी तरह रोक

नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, कोई भी पुलिस अधिकारी या कर्मचारी वर्दी पहनकर मनोरंजन, निजी प्रचार, धार्मिक, राजनीतिक या व्यक्तिगत स्वभाव की रील, वीडियो, फोटो, स्टोरी या पोस्ट सोशल मीडिया पर अपलोड नहीं कर सकेगा। ऐसा करने पर इसे पेशेवर आचरण के खिलाफ माना जाएगा।

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निजी सोशल मीडिया अकाउंट पर भी सख्ती

भले ही खाता निजी हो, लेकिन पुलिसकर्मी अब निजी अकाउंट से भी कोई ऐसी पोस्ट नहीं कर सकेंगे- जो विभागीय गोपनीयता और कानून-व्यवस्था को प्रभावित करे। जैसे कि-

  • पुलिसिंग या जांच से संबंधित कोई जानकारी
  • अपराध की स्थिति
  • आरोपी/पीड़ित की पहचान
  • ड्यूटी स्थल की फोटो/वीडियो
  • केस डायरी
  • आदेश
  • पत्राचार
  • वायरलेस संदेश
  • किसी भी आधिकारिक या गोपनीय सूचना का प्रसार
  • सरकारी नीतियां
  • पुलिस मुख्यालय के निर्णयों या विभागीय कार्यों पर निजी टिप्पणी

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किसे मिलेगी पोस्ट करने की अनुमति?

सिर्फ वही अधिकारी या कर्मचारी किसी विभागीय सोशल मीडिया हैंडल पर सामग्री पोस्ट कर सकेंगे, जिन्हें सक्षम प्राधिकारी द्वारा लिखित रूप से अधिकृत किया गया हो। आधिकारिक पोस्टों का स्वरूप भी तय किया गया है-

  • प्रेस नोट
  • जन-जागरूकता अभियानों से जुड़ी सूचनाएं
  • कानून-व्यवस्था
  • सार्वजनिक सुरक्षा से संबंधित आधिकारिक जानकारी।

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 उल्लंघन पर कड़ी सजा

SOP को हल्के में नहीं लेने की कड़ी चेतावनी भी दी गई है। निर्देशों का उल्लंघन करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ निम्न कार्रवाई की जा सकती है- विभागीय जांच, निलंबन, वेतन वृद्धि रोकना, पदावनति गंभीर मामलों में सेवा समाप्ति तक। अगर किसी पोस्ट या प्रसार में आपराधिक तत्व पाये जाते हैं, तो संबंधित कर्मचारी पर आपराधिक मुकदमा भी चलाया जाएगा।

जिला व पुलिस मुख्यालय स्तर पर निगरानी तंत्र

नई SOP को प्रभावी बनाने के लिए विभाग ने निगरानी व्यवस्था भी विकसित की है। हर जिला पुलिस अधीक्षक, कमांडेंट और इकाई प्रमुख को अपने अधीनस्थों को SOP की पूरी जानकारी उपलब्ध करानी होगी। थाना व इकाई प्रभारी नियमित समीक्षा करेंगे और किसी भी उल्लंघन की रिपोर्ट तत्काल उच्चाधिकारियों तक पहुंचाएंगे। राज्य स्तर पर पुलिस मुख्यालय एक केंद्रीकृत सर्विलांस और मॉनिटरिंग मैकेनिज्म तैयार करेगा, ताकि सोशल मीडिया गतिविधियों पर निरंतर नजर बनी रहे।

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