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October 17, 2025

अब नहीं चलेगी टालमटोल...HRTC पेंशनरों को मिलेगी पेंशन की बकाया राशि, हाईकोर्ट ने तय कर दिए दिन

हिमाचल हाईकोर्ट ने निगम को दिया 12 सप्ताह का समय

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Highcourt HRTC Pensionar

शिमला। हिमाचल प्रदेश में हिमाचल पथ परिवहन निगम के पेंशनरों की संशोधित पेंशन का बकाया भुगतान अब जल्द ही होने वाला है। इसको लेकर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कड़ा रूख अपनाया है। हिमाचल हाईकोर्ट ने हिमाचल पथ परिवहन निगम को सख्त निर्देश जारी किए हैं कि निगम अपने पेंशनरों को पहली जुलाई 2023 से 30 सितंबर 2025 तक की संशोधित पेंशन का बकाया भुगतान 12 सप्ताह के भीतर करे। यह आदेश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने याचिकाकर्ता बृजलाल लोहिया और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पारित किया।

पेंशन के बकाया का इंतज़ार कर रहे पेंशनर

यह आदेश ऐसे समय पर आया है जब एचआरटीसी न केवल अपने पेंशनधारकों को समय पर बकाया देने में विफल हो रहा है, बल्कि मौजूदा नियमित कर्मचारियों को भी समय पर वेतन नहीं दे पा रहा है। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आ रही रिपोर्टों के अनुसार, हजारों सेवानिवृत्त कर्मचारी आज भी उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब उनके खातों में पेंशन की पूरी राशि आएगी। वहीं, कार्यरत कर्मचारी हर महीने के पहले सप्ताह में वेतन के लिए निगम और सरकार के बीच खिंचातानी का शिकार बनते जा रहे हैं।

 

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क्या है मामला

याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत को बताया गया कि वे 1 जनवरी 2016 के बाद रिटायर हुए पेंशनर हैं और निगम के निदेशक मंडल ने 19 जून 2023 को एक प्रस्ताव पारित कर पेंशन को नए वेतन मैट्रिक्स के अनुसार 50 फीसदी तक संशोधित करने की स्वीकृति दी थी। इसके बाद निगम ने 22 जुलाई 2023 को एक ज्ञापन जारी किया, जिसमें जुलाई 2023 से संशोधित पेंशन पारिवारिक पेंशन लागू करने का आदेश दिया गया था। हालांकि, याचिकाकर्ताओं का कहना था कि यह आदेश सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गया, क्योंकि आज तक न तो संशोधित पेंशन दी गई है और न ही बकाया राशि का भुगतान किया गया है।

 

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कोर्ट में क्या बोला निगम

एचआरटीसी की ओर से पेश वकील ने कोर्ट में माना कि 2016 से पेंशन पर लिए गए निर्णय को लागू नहीं किया गया है। हालांकि, उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि 12 हफ्तों के भीतर सभी बकाया का भुगतान कर दिया जाएगा। साथ ही अदालत को यह भी बताया गया कि आवर्ती संशोधित पेंशन का भुगतान नवंबर के पहले दो हफ्तों में कर दिया जाएगा।

दूसरे मामलों में भी समान आदेश

इसी तरह की एक अन्य याचिका पर न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने भी वही आदेश पारित किया है, जिससे यह साफ होता है कि एचआरटीसी पेंशन विवाद अब राज्यव्यापी संकट बन चुका है, और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

 

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निगम की आर्थिक बदहाली और कर्मचारियों की परेशानी

एचआरटीसी वर्षों से वित्तीय संकट से जूझ रहा है। न केवल सेवानिवृत्त कर्मचारियों को समय पर पेंशन नहीं मिल रही, बल्कि निगम के वर्तमान कर्मचारी भी हर महीने वेतन के लिए तरस रहे हैं। परिवहन निगम में कार्यरत कर्मचारियों का कहना है कि कई बार उन्हें वेतन मिलने में 10 से 15 दिन तक की देरी होती है, जिससे उनका घरेलू बजट और मानसिक स्थिति दोनों प्रभावित होती हैं।

 

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सरकार और निगम पर उठते सवाल

पेंशन व वेतन से जुड़े इस संकट ने राज्य सरकार और परिवहन निगम दोनों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर सरकार पेंशनरों के अधिकारों की रक्षा करने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर निगम के पेंशनर आज भी कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं और कर्मचारी संगठनों का कहना है कि यह प्रशासनिक असंवेदनशीलता का स्पष्ट उदाहरण है, जहां जीवन की संध्या में पहुंचे बुजुर्गों को उनका हक पाने के लिए अदालत की शरण लेनी पड़ रही है।

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