#राजनीति
October 17, 2025
सुक्खू सरकार ने होशियार सिंह को नहीं दी पेंशन, हाईकोर्ट ने लगाई फटकार; पूछा- क्यों नहीं हुआ भुगतान
सुक्खू सरकार ने पिछली सुनवाई में पेंशन जारी करने की कही थी बात
शेयर करें:
शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजनीति एक बार फिर उस मोड़ पर आ खड़ी हुई है, जहां सत्ता, प्रतिशोध और न्याय व्यवस्था के टकराव की झलक साफ देखने को मिल रही है। देहरा से पूर्व विधायक होशियार सिंह ने अपनी लंबित पेंशन को लेकर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जिस पर अदालत ने राज्य सरकार से दो टूक सवाल किया है, दावे के बावजूद अब तक पेंशन का भुगतान क्यों नहीं किया गया।
न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति रोमेश वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार से इस मामले में स्पष्ट जवाब मांगा है। अदालत में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि सरकार की ओर से 23 सितंबर और 9 अक्टूबर को आश्वासन दिया गया था कि पेंशन जारी कर दी जाएगी, लेकिन अब तक एक भी किश्त नहीं दी गई है। पूर्व सुनवाई में यह भी स्पष्ट किया गया था कि धर्मशाला के जिला कोषाधिकारी को इस दिशा में अगला कदम उठाना था, लेकिन अब तक नतीजा शून्य रहा। कोर्ट ने राज्य सरकार को अगली सुनवाई 27 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
यह भी पढ़ें : सुक्खू सरकार का व्यवस्था परिवर्तन! अब साल में दो बार होंगी दिव्यांगजनों की भर्ती, नियमों में बदलाव
पूर्व विधायक होशियार सिंह जो 2022 के विधानसभा चुनाव में देहरा से निर्दलीय विधायक के रूप में जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, अब इस पूरे घटनाक्रम को राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रहे हैं। उन्होंने अदालत में दायर याचिका में कहा कि उन्हें विधानसभा अध्यक्ष द्वारा अयोग्य ठहराने के बाद अब पेंशन भी रोक दी गई है, जो कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा सदस्यों के भत्ते और पेंशन अधिनियम 1971 के प्रावधानों के पूरी तरह खिलाफ है। होशियार सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने स्वेच्छा से विधानसभा से इस्तीफा दिया था और ऐसे में पेंशन रोके जाने का कोई नैतिक या कानूनी आधार नहीं है। उनका आरोप है कि सत्ता में बैठे कुछ लोग उन्हें व्यक्तिगत रूप से निशाना बना रहे हैं।
यह भी पढ़ें: सुक्खू सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे पेंशनर, डीए चोर गद्दी छोड़ के लगाए नारे
गौरतलब है कि देहरा सीट पर हुए उपचुनाव में होशियार सिंह को कड़ी हार का सामना करना पड़ा था। यह सीट उनके इस्तीफे के बाद खाली हुई थी और इस उपचुनाव को सत्ता पक्ष यानी कांग्रेस और विपक्ष दोनों ने प्रतिष्ठा का सवाल बना दिया था। कांग्रेस ने यहां से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर को मैदान में उतारा, जिन्होंने भारी मतों से जीत दर्ज कर विधानसभा में एंट्री ली। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि सत्ता में आने के बाद कमलेश ठाकुर की जीत ने न सिर्फ कांग्रेस के किले को और मजबूत किया, बल्कि विपक्षी नेताओं और पूर्व विधायकों पर सरकार की नजरें भी अब और सख्त हो गई हैं।
यह भी पढ़ें: ये कैसे टूरिस्ट ? पहले HRTC बस से लगाई रेस - फिर ड्राइवर-कंडक्टर को ही धो डाला
इस पूरे मामले पर भाजपा नेताओं ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। भाजपा प्रवक्ताओं का कहना है कि एक पूर्व विधायक को पेंशन न देना न सिर्फ कानून का उल्लंघन है, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में असहमति को दबाने की कोशिश भी है। भाजपा ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर ऐसे कदम नहीं रोके गए तो राज्य में विरोध प्रदर्शन तेज होंगे।