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October 13, 2025
राजा वीरभद्र सिंह ने जब रातों-रात विपक्षी विधायक के घर बनवा दी थी सड़क, जानें रोचक किस्सा
दूल्हा बने विपक्ष के विधायक को घर जाकर लगाया था तिलक
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शिमला। आधुनिक हिमाचल के निर्माता और हिमाचल के छह बार के मुख्यमंत्री रहे स्व वीरभद्र सिंह की प्रतिमा का अनावरण आज ऐतिहासिक रिज मैदान पर हो गया है। बतौर मुख्यातिथि पहुंची कांग्रेस संसदीय दल अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रतिमा का अनावरण किया। इस दौरान पूरा रिज मैदान राजा साहब अमर रहे के नारों से गूंज उठा। अनावरण समारोह में सोनिया गांधी के अलावा प्रियंका गांधी सहित हिमाचल और दिल्ली से आए कई नेता मौजूद रहे। अनावरण समारोह के बाद प्रियंका गांधी ने मंच से लोगों को संबोधित किया।
वीरभद्र की प्रतिमा अनावरण में बतौर मुख्यातिथि पहुंची कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपना संबोधन नहीं किया। सोनिया गांधी ने छह से सात सालों से किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखीए लेकिन इस सब के बावजूद उन्होंने वीरभद्र सिंह की प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में आने को मंजूरी दी और वह कार्यक्रम में भी पहुंची।
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हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व राजा वीरभद्र सिंह का नाम केवल एक कुशल राजनीतिज्ञ ही नहीं, बल्कि एक उदार, दूरदर्शी और सभी के प्रति समान भाव रखने वाले नेता के रूप में भी लिया जाता है। उनके इसी मानवीय और दूरदर्शी दृष्टिकोण का एक रोचक किस्सा साल 1985 का है। जब वीरभद्र सिंह पहली बार हिमाचल के मुख्यमंत्री बने थे। इस दौरान उन्हें पता चला कि कांगड़ा जिला के एक विधायक की शादी है, लेकिन उनके घर तक जाने के लिए सड़क नहीं है।
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फिर क्या था, वीरभद्र सिंह ने अधिकारियों को आदेश दिए और रातों रात विधायक के घर को सड़क बनवा दी। यह विधायक कोई और नहीं बल्कि उस समय के युवा विधायक डॉ राजन सुशांत थे और राजन सुशांत की उनके गांव सिहाल में शादी थी। हालांकि राजन सुशांत विपक्ष के विधायक थे, लेकिन फिर भी राजा वीरभद्र सिंह ने राजन सुशांत की शादी से एक दिन पहले अधिकारियों को सड़क बनाने के आदेश दिए।
वीरभद्र सिंह के आदेश थे कि शादी से पहले विधायक के गांव तक सड़क पहुंच जानी चाहिए। फिर क्या था सीएम के आदेश का पालन हुआ और अधिकारियों ने रातों रात राजन सुशांत के गांव तक सड़क पहुंचा दी। राजन सुशांत की बारात निकलने से पहले उनके गांव तक सड़क बन कर तैयार हो चुकी थी। इसी सड़क से होकर वीरभद्र सिंह भी राजन सुशांत की शादी में शामिल हुए और अपने हाथों से दूल्हा बने राजन सुशांत को तिलक लगाया।
हालांकि राजा वीरभद्र सिंह के इस फैसले का उनके अपने नेताओं ने जमकर विरोध किया था, लेकिन वीरभद्र सिंह तो राजा थे, और उनकी इसी सोच के चलते उन्होंने प्रदेश को ऊंचाईयों तक पहुंचाया। आज उनके निधन के बाद भी प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में उनके नाम को सम्मान के साथ लिया जाता है।