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October 13, 2025

पिता को याद कर भावुक हुए विक्रमादित्य सिंह, जानें वीरभद्र सिंह के छह दशक का अद्भुत राजनीतिक सफर

वीरभद्र सिंह के छह बार के सीएम का रिकॉर्ड शायद कभी कोई तोड़ पाएगा

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Raza-Virbhadra-singh Himachal

शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजनीति में अपने छह दशकों तक छाए रहे स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की विरासत आज फिर जीवंत हो उठी। ऐतिहासिक रिज मैदान पर रविवार को उनके सम्मान में प्रतिमा का अनावरण किया गया। इस मौके पर प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के दिग्गज नेताओं की मौजूदगी ने समारोह को ऐतिहासिक बना दिया। कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने स्व वीरभद्र सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया।

राजनीति का छह दशक लंबा सफर

वीरभद्र सिंह को आधुनिक हिमाचल का निर्माता कहा जाता है। 23 जून 1934 को शिमला जिले के सराहन में बुशहर रियासत के शाही परिवार में जन्मे वीरभद्र सिंह ने हिमाचल की राजनीति को नई दिशा दी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बिशप कॉटन स्कूल, शिमला से प्राप्त की और उच्च शिक्षा सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए ऑनर्स में की।

उनका राजनीतिक सफर 1962 में शुरू हुआ, जब उन्होंने महासू (अब शिमला) लोकसभा क्षेत्र से संसद में कदम रखा। बाद में 1971 में उन्होंने मंडी संसदीय क्षेत्र को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि बनाया। कांग्रेस पार्टी में लंबे समय तक सक्रिय रहते हुए उन्होंने प्रदेश और केंद्र दोनों स्तरों पर अपनी मजबूत छाप छोड़ी।

 

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केंद्र से लेकर प्रदेश तक नेतृत्व की मिसाल

वीरभद्र सिंह ने अपने जीवन में 13 चुनाव लड़े और नौ बार विधायक तथा पांच बार सांसद बने। वह छह बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। यह एक ऐसा रिकॉर्ड जो अब तक कोई नहीं तोड़ सका। केंद्र सरकार में उन्होंने इस्पात, उद्योग, पर्यटन और लघु उद्योग मंत्रालयों का नेतृत्व किया। उनके नेतृत्व में हिमाचल ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की। उन्हें एक ऐसे जननेता के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने सत्ता को सेवा का माध्यम माना। 8 जुलाई 2021 को वीरभद्र सिंह ने इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला में अंतिम सांस ली।

 

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वीरभद्र स्कूल ऑफ थॉट की विरासत

उनके पुत्र और प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में कहा कि पिता की प्रतिमा का अनावरण हमारे परिवार और पूरे हिमाचल के लिए भावनात्मक क्षण है। वीरभद्र सिंह हिमाचल की आत्मा थे और उनकी सोच को आगे बढ़ाना हमारा कर्तव्य है। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने उन्हें वीरभद्र सिंह स्कूल ऑफ थॉट का संस्थापक बताते हुए कहा कि वे ऐसे नेता थे जिनकी याद जनता आज भी श्रद्धा से करती है।

शिमला का रिज, विरासत का प्रतीक स्थल

राजधानी के रिज मैदान पर वीरभद्र सिंह की प्रतिमा अब अन्य महान नेताओं की प्रतिमाओं के साथ स्थापित हो गई है। यहां पहले से ही हिमाचल निर्माता डॉ यशवंत सिंह परमार, लेफ्टिनेंट जनरल दौलत सिंह, महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमाएं स्थापित हैं। शहर के अन्य हिस्सों में भी कई महान हस्तियों की प्रतिमाएं हैं। स्कैंडल प्वाइंट पर लाला लाजपत राय, सीटीओ के पास लाल बहादुर शास्त्री, चौड़ा मैदान में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और छोटा शिमला में राजीव गांधी की प्रतिमा स्थापित है।

 

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भावनाओं से जुड़ा विवाद और समाधान

बीते वर्ष वीरभद्र सिंह की प्रतिमा नहीं लगाए जाने पर उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह ने नाराजगी जताई थी और यहां तक कि इस्तीफा देने की पेशकश भी कर दी थी। सरकार ने बाद में उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए प्रतिमा स्थापना का निर्णय लिया। आज उस निर्णय ने वीरभद्र सिंह की स्मृति को स्थायी रूप दे दिया है।

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पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रिज मैदान

रिज मैदान न सिर्फ राजनीतिक दृष्टि से, बल्कि पर्यटन के लिहाज से भी बेहद लोकप्रिय स्थल है। यहां आने वाले देशी-विदेशी सैलानी सभी प्रतिमाओं के साथ तस्वीरें खिंचवाते हैं। अब वीरभद्र सिंह की प्रतिमा इस सूची में एक नई ऐतिहासिक पहचान जोड़ चुकी है।

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एक युग का प्रतीक

वीरभद्र सिंह का जीवन और योगदान हिमाचल के विकास का जीवंत इतिहास है। उनकी राजनीति सिर्फ सत्ता तक सीमित नहीं रही, बल्कि जनता की सेवा और प्रदेश निर्माण के प्रति समर्पण से भरी रही। रिज मैदान पर स्थापित यह प्रतिमा न केवल एक नेता का सम्मान है, बल्कि उस विचारधारा का भी प्रतीक है जिसने हिमाचल को देवभूमि से विकासभूमि बनाने की राह दिखाई।

पिता को याद कर भावुक हुए विक्रमादित्य

विक्रमादित्य सिंह ने अपने दिवंगत पिता और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को याद करते हुए भावुक होते हुए कहा कि उन्हें अपने पिता होने पर गर्व है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका जीवन हिमाचल प्रदेश की प्रगति और विकास के लिए समर्पित रहेगा। मंत्री ने कहा, "मेरे पिता केवल एक नेता नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश की आत्मा थे। उनके दिखाए रास्ते और उनके सपने मेरे लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेंगे। उनके सपनों को साकार करना ही मेरे लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।"

 

विक्रमादित्य सिंह ने वीरभद्र सिंह के योगदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने हिमाचल प्रदेश का चहुंमुखी विकास किया और हमेशा जनता के विश्वास पर खरा उतरे। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि वीरभद्र सिंह की सोच में सत्ता का उद्देश्य केवल जन सेवा करना था, और वही उन्हें एक सच्चा जननेता बनाता है।

 

उन्होंने आगे कहा, "पिता ने जिस तरह से हर क्षेत्र में विकास की नींव रखी, वह आज भी हमारी राह को रोशन करती है। उनका दृष्टिकोण और उनके आदर्श हमें यह सिखाते हैं कि सच्ची राजनीति का उद्देश्य केवल जनता की भलाई होना चाहिए।" विक्रमादित्य सिंह ने इस अवसर पर यह भी कहा कि वह हिमाचल प्रदेश को हर मोर्चे पर आगे ले जाने का संकल्प लिए हुए हैं और अपने पिता की विरासत को बनाए रखने के लिए लगातार प्रयासरत रहेंगे।

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