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September 4, 2025
हिमाचल: गरीब पिता की बेबसी, 23 दिन बाद बेटी की शादी; भूस्खलन ने उजाड़ दिया आशियाना
गरीब पिता की पुकारछ भूस्खलन से घर में आई दरारें, कैसे करूं बेटी की विदाई
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डलहौजी (चंबा)। हिमाचल प्रदेश में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा ने न सिर्फ धरती को हिलाया, बल्कि आम जनजीवन की नींव भी हिला कर रख दी है। जिला चंबा के डलहौजी उपमंडल में तबाही के कई ऐसे दृश्य सामने आए हैं, जिन्होंने इंसानियत को झकझोर कर रख दिया है। इन्हीं में एक दर्दनाक कहानी है बाथरी पंचायत के बेंसका गांव में रहने वाले नाथो राम की। एक गरीब बाप, जो अपनी बेटी की शादी की खुशियों के बीच जीवन की सबसे बड़ी मुश्किल से जूझ रहा है।
नाथो राम, जिनकी बेटी की शादी आगामी 28 सितंबर को तय है। आजकल न नींद ले पा रहे हैं, न चैन। वजह हालिया भूस्खलन से उनके घर की दीवारों में गहरी दरारें पड़ चुकी हैं। पहाड़ी दरकने के चलते उनका छोटा सा घर अब खतरे की जद में है। ऐसे में जहां एक तरफ बेटी की शादी की तैयारियां होनी चाहिए थीं, वहीं अब घर के गिरने के डर और आर्थिक तंगी ने नाथो राम के जीवन में अंधकार फैला दिया है।
नाथो राम की यही पुकार इन दिनों बाथरी के गलियों में गूंज रही है। गुरुवार को जब प्रशासन की टीम नुकसान का जायजा लेने गांव पहुंची, तो नाथो राम खुद को रोक नहीं पाए। नम आंखों से उन्होंने तहसीलदार डलहौजी रमेश चौहान के सामने अपने दुखों का बंवडर खोल दिया। वह बार-बार बस यही कह रहे थे। साहब, किसी से पूछ लो... मैं गरीब आदमी हूं। मेरी बेटी की शादी है, मगर मेरा घर अब रहने लायक नहीं रहा। कैसे दूं बेटी को उस घर से विदाई, जो खुद कब गिर पड़े, कोई भरोसा नहीं।
नाथो राम का परिवार पहले ही सीमित साधनों में गुजर.बसर कर रहा था। जैसे-तैसे बेटी की शादी के लिए तैयारियां शुरू की थीं, लेकिन अब उनके सपनों पर मानो पहाड़ टूट पड़ा हो। जो घर उनके जीवन भर की कमाई से बना था, वो अब दरक चुका है। न पास में पैसे हैं, न कोई दूसरा ठिकाना। ऐसे में नाथो राम अब गांव-गांव, आदमी-आदमी से अपनी व्यथा कह रहे हैं। इस उम्मीद में कि कहीं कोई मददगार मिल जाए, कहीं कोई भगवान इंसान के रूप में सामने आ जाए।
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नाथो राम की बात सुनकर तहसीलदार रमेश चौहान ने मौके पर ही राजस्व विभाग के कर्मचारियों को नाथो राम के घर जाकर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश दिए। उन्होंने भरोसा दिलाया कि नुकसान का आकलन होते ही प्रशासन की ओर से राहत राशि जारी की जाएगी, ताकि नाथो राम को इस मुश्किल समय में थोड़ी राहत मिल सके।
इस घटना ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है। कई स्थानीय लोग और सामाजिक संगठन अब नाथो राम की मदद के लिए आगे आने की बात कर रहे हैं। गांव के बुजुर्गों और युवाओं ने भी इस मामले को प्रशासन के सामने प्रमुखता से उठाने का संकल्प लिया है।
नाथो राम की कहानी अकेली नहीं है, मगर यह जरूर एक उदाहरण है कि आपदा किस तरह एक साधारण गरीब इंसान के जीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर सकती है। क्या कोई पिता अपनी बेटी की विदाई टूटे हुए घर से कर पाएगा? क्या प्रशासन समय रहते इस पीड़ा को समझकर उचित कदम उठाएगा? बेटी की शादी हर पिता के लिए जीवन का एक महत्वपूर्ण अवसर होता है, लेकिन जब घर की नींव ही हिल जाए, तो वह खुशी एक भारी बोझ बन जाती है।