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October 25, 2025

हिमाचल: ट्राले में बेड पर लेटा राजेश घंटों करता रहा सीएम सुक्खू का इंतजार, मायूस होकर लौटा

बुढ़ी मां दिव्यांग बेटे को ट्राले में डाल सीएम से मिलने पहुंची थी

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Hamirpur CM Sukhu

हमीरपुर। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बीते रोज हमीरपुर जिला के बड़सर दौरे पर पहुंचे थे। उनके बड़सर दौरे से कई लोगों में उम्मीद जगी थी, लेकिन कई लोगों की उम्मीद उस समय टूट गई, जब सीएम सुक्खू उनसे मिले बिना ही वापस शिमला लौट गए। सीएम से मिलने पहुंचने वालों में एक दिव्यांग शख्स भी था, जो पिछले 20 साल से बेड पर है। यह शख्स एक ट्राले में बेड पर लेट कर सीएम सुक्खू से मिलने पहुंचा था, लेकिन उसकी भी उम्मीदें धरी की धरी रह गईं।

ट्राले में बेड में सीएम से मिलने पहुंचा था राजेश

बीस वर्षों से बिस्तर पर जिंदगी काट रहे घियोटा गांव पंचायत ननावां के राजेश कुमार की आंखों में शुक्रवार को फिर एक उम्मीद जगी थी। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के बड़सर दौरे की खबर सुनकर उन्होंने सोचा शायद इस बार उनका दर्द कोई सुनेगा, उनका इलाज फिर से शुरू हो सकेगा, और उनकी मां को कुछ राहत मिलेगी। पर किसे पता था कि यह उम्मीद भी बाकी उम्मीदों की तरह अधूरी रह जाएगी।

 

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सीएम के ना मिलने से हुआ मायूस

मुख्यमंत्री का एक दिवसीय कार्यक्रम बड़सर विधानसभा क्षेत्र के लोगों के लिए विकास की कई सौगातें लेकर आया था, मगर राजेश और उसकी मां के लिए यह दिन मायूसी का एक और अध्याय बन गया। मुख्यमंत्री के सरकारी कार्यक्रम के अनुसार मैहरे रेस्ट हाउस में आम जनता से मिलने का समय तय था। इसी भरोसे राजेश को एक ट्रॉले में बिस्तर समेत मैहरे रेस्ट हाउस तक लाया गया। मां ने कांपते हाथों से बेटे को संभालते हुए उम्मीद की थी कि आज शायद कुछ बदल जाएगा।

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देर शाम तक सीएम का इंतजार करते रहे मां बेटा

राजेश और उसकी मां देर शाम तक रेस्ट हाउस के बाहर बैठे रहे। जब यह साफ हो गया कि मुख्यमंत्री नहीं आएंगे, तो गांव के कुछ लोगों ने उन्हें वापस घर पहुंचाया। ट्रॉले में लेटे राजेश की आंखों से बहते आंसू कह रहे थे कि सरकारें बदलती हैं, वादे बदलते हैं, पर हमारी हालत वही रहती है।

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20 साल से बेड पर है दिव्यांग राजेश

बता दें कि राजेश लगभग बीस वर्ष पहले एक पेड़ से गिरने के बाद उसके शरीर का निचला हिस्सा हमेशा के लिए निष्क्रिय हो गया। पिता दिहाड़ी मजदूर थे, जिन्होंने अपनी कमाई से बेटे का इलाज जितना संभव हुआ करवाया। लेकिन चार साल पहले पिता के निधन के बाद घर की जिम्मेदारी बूढ़ी मां के कंधों पर आ गई। अब वही मां दिन में मजदूरी करती है और रात में अपने बेटे की सेवा करती है। पर अब बीमारी ने उन्हें भी जकड़ लिया है। राजेश ने बताया कि मुझे उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री से मिलकर अपने इलाज के लिए कुछ मदद मिल जाएगी। लेकिन वह नहीं आए, अब समझ नहीं आता कि कहां जाऊं।

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विधायक ने जताई नाराजगी

बड़सर के विधायक इंद्रदत्त लखनपाल ने भी इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने स्वयं रेस्ट हाउस में ढाई बजे मिलने का समय बताया था। दिव्यांगजन वहां पहुंचे भी, पर उनसे मुलाकात नहीं की गई। यह संवेदनशीलता की कमी दर्शाता है। 

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