#विविध
July 12, 2025
हिमाचल आपदा : किसी के मां-बाप बाढ़ में बहे, कोई मलबे में तलाश रहा अपने बच्चे; भटकने को मजबूर लोग
एक बुजुर्ग का बेटा, बहू और पोते बाढ़ के सैलाब में बहे
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मंडी। हिमाचल प्रदेश में इस बार बरसात कहर बन कर रही बरसी है। मंडी जिले में 30 जून की रात जो हुआ, वह केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि कई जिंदगियों की एक साथ मौत बनकर आया।
सराज, थुनाग, देजी, रूशाड़ और पंगलियुर जैसे गांवों में अब सिर्फ मातम पसरा है। हर घर में रोते-बिलखते लोग हैं, हर चेहरे पर दुख का समंदर है। कहीं मलबे के नीचे अपनों की तलाश है, तो कहीं टूटे आंगन में वीरानियों की सिसकियां हैं।
मंडी जिला के देजी गांव में बाढ़ ने दो परिवारों की पूरी दुनिया उजाड़ दी। इनमें एक ही परिवार के नौ सदस्य बाढ़ में बह गए। उनके घर, खेत और जीवन की पूरी बुनियाद मिट्टी में दफन हो गई। वहां अब न बच्चों की किलकारी सुनाई देती है, न बड़ों की आवाज- सिर्फ चुप्पी और दर्द पसरा है। ग्रामीणों के अनुसार, त्रिलोक, रोशन लाल और विशन जैसे नाम अब सिर्फ स्मृतियों में हैं।
रूशाड़ गांव की महिला भावना, जिनका पति वीरेंद्र इस आपदा में लापता हो गया, अब बेसुध पड़ी है। सात साल का बेटा बार-बार पिता के लौटने की बात करता है, पर भावना के पास अब न कोई जवाब है, न कोई उम्मीद। वीरेंद्र फार्मा कंपनी में काम करता था और परिवार का सहारा था। उनका घर अब मलबे में तब्दील हो चुका है।
इंद्र सिंह, जो पेशे से टेलर हैं, उनकी पत्नी और तीन मासूम बेटियाँ बाढ़ में बह गईं। मलबे में तब्दील हुआ उनका घर अब इंद्र के लिए एक ऐसा जख्म है जिसे देखना भी वह नहीं चाहता। वह खामोश है, लेकिन उसकी आंखें बहुत कुछ कहती हैं- दर्द, खालीपन और हार।
मुकेश का भी कुछ ऐसा ही हाल है। उनकी दो जुड़वां बेटियां और एक बेटा, अपनी मां के साथ बाढ़ में लापता हो गए। मुकेश ने बेटी की बात मानकर यात्रा टाल दी थी, पर आज यही निर्णय उसे कचोटता है। वह खुद को कोस रहा है- जिंदा होते हुए भी एक पल को जी नहीं पा रहा।
थुनाग के बाला राम, जिनके बेटे-बहू और दो पोते इस आपदा में बह गए, अब उजड़े घर के मलबे के पास चुपचाप खड़े रहते हैं। उनके पोते अरुण और पोती सोनिया की किलकारियां आज भी उनके कानों में गूंजती हैं। उन्होंने NDRF से लेकर मुख्यमंत्री तक को कई बार गुहार लगाई, पर अब उम्मीदें भी कमजोर पड़ने लगी हैं।
तलबाड़ा गांव में 30 जून की रात एक दिल दहला देने वाली घटना हुई। 11 महीने की बच्ची नितिका उस रात अपनी रसोई में बच गई, लेकिन उसके माता-पिता और दादी पानी के तेज बहाव में बह गए। वे लोग घर के पीछे बहाव की दिशा बदलने की कोशिश कर रहे थे कि अचानक पीछे से पानी आया और सबको बहा ले गया। सुबह जब गांव के लोगों ने रसोई से बच्ची की रोने की आवाज सुनी तो उसे मलबे से निकालकर बचा लिया गया। यह बच्ची अब अपने माता-पिता की तस्वीर भी नहीं देख पाएगी।
नाचन विधानसभा क्षेत्र के पंगलियुर गांव में बाढ़ दो परिवारों को लील गई। रात के सन्नाटे में जब सब सो रहे थे, तभी पानी का रौद्र रूप आया और नौ लोगों को बहा ले गया। इनमें से सात लोग एक ही परिवार के थे। अब तक केवल चार शव मिले हैं। शेष लोगों की तलाश जारी है। हर गुजरते दिन के साथ परिजन की उम्मीदें डगमगाने लगी हैं।