#विविध
November 1, 2025
हिमाचल में फिर धंसने लगी जमीन, कई घरों में पड़ी चौड़ी दरारें- दहशत में लोग
गांव के बीचोंबीच एक विशाल गड्ढा बन गया है
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मंडी। हिमाचल प्रदेश को बरसात ने इस बार काफी गहरे जख्म दिए हैं। मंडी जिले के कई लोग इस साल आई आपदा के कारण बेघर हो गए हैं। कई लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों की अपनी नजरों के सामने जाने जाते हुए देखी।
बरसात में आई त्रासदी को याद करके अभी लोग सहम जाते हैं। इसी बीच एक बार फिर जिले में जमीन धंसने से हड़कंप मच गया है। यहां दयोड गांव के कई घरों में चौड़ी दरारें पड़ गई हैं- जिससे लोगों में डर का माहौल है।
यह घटना जिले के दयोड़ गांव में पेश आई है। यहां बीती रात जमीन का एक बड़ा हिस्सा अचानक धंस गया। जिसके कारण यहां पर बहुत बड़ा गड्ढा बन गया। इतना ही नहीं गांव के कई घरों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं।
इस घटना ने लोगों की नींद उड़ा दी है। बीती रात अचानक गांव के बीचोंबीच एक विशाल गड्ढा बन गया। यह इस क्षेत्र में तीसरी बार हुआ है जब धरती अचानक नीचे चली गई हो। हादसे के बाद आसपास के कई मकानों में चौड़ी दरारें पड़ गई हैं और ग्रामीण भय के माहौल में घर छोड़ने को मजबूर हैं।
दयोड गांव में भूमि धंसने का खतरा कोई नया नहीं है। वर्ष 2022 में पहली बार यहां जमीन खिसकने की घटना सामने आई थी। उस समय कई मकानों में दरारें आई थीं और प्रशासन ने अस्थायी राहत दी थी।
इसके बाद वर्ष 2024 में फिर से इसी क्षेत्र के ऊपर वाले हिस्से में गड्ढा बन गया था, जिसे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने मिट्टी डालकर भर दिया था। हालांकि, अब उसी स्थान के नीचे फिर से जमीन धंस गई है, जिससे यह साफ हो गया है कि समस्या सिर्फ सतही नहीं, बल्कि भूमिगत स्तर पर गंभीर है।
रात के सन्नाटे में हड़कंप
गांववालों के अनुसार बीती रात करीब 10 बजे के आसपास जोरदार आवाज सुनाई दी, जिसके कुछ ही क्षण बाद जमीन धंस गई। बताया जा रहा है कि लगभग आधा बीघा क्षेत्रफल में धरती नीचे बैठ गई
इस दौरान एक ग्रामीण का पूरा घर प्रभावित हो गया। उनके मकान की दीवारें, छत और फर्श में गहरी दरारें पड़ चुकी हैं। परिवार को आनन-फानन में घर खाली करना पड़ा। इसी तरह पास के एक और बड़े मकान में भी दरारें आई हैं। गांव के अन्य लोग अब अपने घरों से सामान निकालकर सुरक्षित जगहों की तलाश में हैं।
गांव के पास NHAI की एक सुरंग (टनल) का निर्माण कार्य चल रहा है, और यही मुद्दा अब ग्रामीणों के गुस्से का केंद्र बन गया है। लोगों का आरोप है कि टनल निर्माण के लिए किए जा रहे ड्रिलिंग और ब्लास्टिंग कार्यों से पहाड़ के नीचे की चट्टानें कमजोर हो गई हैं।
परिणामस्वरूप, धीरे-धीरे मिट्टी का संतुलन बिगड़ रहा है और जमीन धंस रही है। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले तीन वर्षों से वे लगातार इस खतरे की ओर प्रशासन का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, मगर स्थायी समाधान नहीं निकाला गया।
घटना के बाद क्षेत्र के लोग अब प्रशासन से त्वरित राहत और मुआवजा मांग रहे हैं। प्रभावित परिवारों ने कहा कि उन्हें अस्थायी टेंट, खाने-पीने का सामान और सुरक्षित आवास दिया जाए।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही टनल निर्माण की तकनीकी जांच और भूमि स्थिरता का परीक्षण नहीं कराया गया, तो भविष्य में बड़ा हादसा हो सकता है।
ग्रामीणों ने बताया कि पहले भी दो बार ऐसी घटनाएं हुईं, लेकिन प्रशासन ने केवल मिट्टी डालकर काम चलाया। अब तीसरी बार यह खतरा सामने है। हमें डर है कि अगली बार पूरा इलाका ही नीचे न चला जाए।