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September 9, 2025

CM सुक्खू बोले-PM से वन नियम में ढील का उठाया मुद्दा, 1500 करोड़ पर कही बड़ी बात

PM से बोले सीएम सुक्खू- हिमाचल को बसाने के लिए वन नियमों में संशोधन जरूरी

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धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि राज्य को आई प्राकृतिक आपदा के चलते हुए भारी नुकसान की भरपाई के लिए प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विशेष राहत पैकेज की मांग की है। प्रधानमंत्री ने 1500 करोड़ रुपये की फौरी राहत देने का आश्वासन जरूर दिया है, लेकिन यह राशि किस रूप में और किस प्रक्रिया के तहत जारी होगी, इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं है।

 

मुख्यमंत्री सुक्खू ने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक के बाद धर्मशाला के गगल में बताया कि प्रदेश में आपदा से हुए नुकसान का प्रारंभिक अनुमान 5,000 करोड़ रुपये है, जो कि आगे चलकर 10,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि अगर राहत समय पर नहीं मिली तो उसका औचित्य समाप्त हो जाता है, इसलिए केंद्र से तत्काल विशेष राहत की आवश्यकता है।

 

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पुनर्वास में वन कानून बना बड़ी बाधा

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रभावितों को पुनर्वासित करने के लिए सबसे बड़ी बाधा वन कानून हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को जानकारी दी कि हिमाचल प्रदेश की 68% भूमि वन क्षेत्र के तहत दर्ज है, और 1950 के एक्ट के तहत सभी 'वेस्ट लैंड' को भी वन भूमि का दर्जा दे दिया गया है, जो वर्तमान परिस्थितियों में अव्यवहारिक है।

 

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उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री के रूप में मैं किसी आपदा पीड़ित को एक बीघा जमीन देना चाहूं तो नहीं दे सकता। यहां तक कि कोई केंद्रीय मंत्री भी ऐसा नहीं कर सकता। इसलिए कानूनों में संशोधन जरूरी है। मुख्यमंत्री ने मांग की है कि कम से कम एक बीघा जमीन वन भूमि से आपदा प्रभावितों को दी जा सके। इस प्रस्ताव की प्रजेंटेशन भी प्रधानमंत्री को दी गई।

मौत के प्रमाणपत्र में देरी, राहत में बाधा

मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि उन्होंने आपदा में मृत्यु होने पर मृत्यु प्रमाणपत्र बनने की प्रक्रिया को सरल और तेज़ करने की मांग भी प्रधानमंत्री के समक्ष रखी है। वर्तमान प्रक्रिया में वर्षों लग जाते हैं, जिससे मृतकों के परिजनों को सरकारी सहायता मिलने में गंभीर देरी होती है। उन्होंने कहा कि चार लाख रुपये की राहत राशि मृतक के परिजन को देनी हो तो भी प्रमाणपत्र न होने के कारण दे नहीं सकते।

 

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सड़कों व सुरंगों का किया सुझाव

मुख्यमंत्री ने राज्य की भौगोलिक स्थिति और बढ़ती आपदाओं के मद्देनज़र सुरंग आधारित सड़क निर्माण और वैकल्पिक मार्गों के निर्माण पर बल दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि कांगड़ा से मनाली तक सुरंग बनाई जाए और हिमाचल के लिए दीर्घकालिक समाधान की दिशा में कार्य हो।

केंद्र से 1500 करोड़ की फौरी राहत 

प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री सुक्खू की बातों को गंभीरता से लिया और 1500 करोड़ रुपये की फौरी राहत देने का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह राशि प्रधानमंत्री विशेष राहत कोष से जारी की जाएगी या फिर योजनागत बजट में समायोजित कर राज्य को दी जाएगी। राज्य सरकार इसके लिए केंद्र से स्पष्टीकरण की प्रतीक्षा कर रही है।

 

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हिमाचल सरकार ने शुरू की राहत योजना

राज्य सरकार ने अपने स्तर पर आपदा पीड़ितों के लिए राहत योजना लागू कर दी है। इसके तहत जिन लोगों के घर पूरी तरह तबाह हो गए हैं, उन्हें 7 लाख रुपये की सहायता राशि दी जा रही है। साथ ही बर्तन खरीदने के लिए 70 हजार रुपये, और मवेशियों के नुकसान की भरपाई के लिए अलग से सहायता दी जा रही है। जिनके घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें एक लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी।

केंद्र पर टिकी सभी की नजरें

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने हिमाचल के लिए अपनी तरफ से आपदा राहत पैकेज घोषित किया है, लेकिन अब हमारी निगाहें केंद्र सरकार से मिलने वाली 1500 करोड़ की राहत पर टिकी हैं। यह पैसा योजना आधारित आता है या विशेष राहत के तहत, यह देखना अभी बाकी है।

 

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हिमाचल प्रदेश एक बड़े प्राकृतिक संकट से जूझ रहा है और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की ओर से उठाए गए मुद्दे राज्य की गंभीर स्थिति को दर्शाते हैं। अब केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता और आवश्यक कानून संशोधन ही यह तय करेंगे कि प्रदेश इस संकट से कितनी तेजी और मजबूती से बाहर निकल पाएगा।

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