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October 16, 2025
CM सुक्खू बोले: HRTC में समय पर वेतन-पेंशन देनी है-तो लेने होंगे कड़े फैसले; अफसरों का होगा युक्तिकरण
एचआरटीसी को घाटे से निकालने के लिए सीएम सुक्खू ने दिए सख्त कदम उठाने के संकेत
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में हिमाचल पथ परिवहन निगम एचआरटीसी के कर्मचारियों और पेंशनरों को समय पर वेतन और पेंशन नहीं मिलने को लेकर प्रदेश भर में नाराजगी का माहौल है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए अब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सख्त तेवर अपनाते हुए बड़े फैसले लेने के संकेत दिए हैं। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि एचआरटीसी में अधिकारियों की भारी.भरकम फौज के युक्तिकरण (रैशनलाइजेशन) की जरूरत है, ताकि निगम की आर्थिक हालत सुधारी जा सके और पेंशन-वेतन जैसी मूलभूत जरूरतों को समय पर पूरा किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एचआरटीसी की हालत को सुधारने के लिए साहसिक निर्णय लेने की घड़ी आ गई है। उन्होंने कहा कि निगम की संरचना और प्रबंधन में बदलाव के बिना सुधार संभव नहीं है। कर्मचारियों और पेंशनरों को राहत देने के लिए सबसे पहले निगम को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना होगा। जिसके लिए कड़े फैसले लेने होंगे।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि एचआरटीसी 100 प्रतिशत घाटे में चल रही है और इसे उबारने के लिए सरकार को हर साल लगभग 750 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देनी पड़ रही है। इस वर्ष भी सरकार ने 720 करोड़ रुपये की मदद निगम को दी है, ताकि कर्मचारियों और पेंशनरों की लंबित देनदारियों को निपटाया जा सके। उन्होंने माना कि पेंशनरों को 15 तारीख के बजाय हर महीने की पहली तारीख को ही पेंशन मिलनी चाहिए और इसके लिए जल्द ही उपमुख्यमंत्री के साथ विचार-विमर्श कर निर्णय लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एचआरटीसी को सुचारु रूप से चलाने के लिए ड्राइवर, कंडक्टर और फील्ड स्टाफ की ज्यादा जरूरत है, लेकिन इसके उलट ऊपरी स्तर पर अफसरों की संख्या जरूरत से कहीं ज्यादा है। यह व्यवस्था निगम पर बोझ बन रही है और इसे अब बदला जाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक एचआरटीसी के ढांचे में सुधार नहीं किया जाएगा, तब तक न समय पर पेंशन मिलेगी और न वेतन।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि हाल ही में प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदाओं के चलते एचआरटीसी का दो महीने तक संचालन लगभग ठप रहा। इस दौरान आय नहीं हुई, लेकिन सरकार ने इसकी भरपाई भी की है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में एचआरटीसी के पास करीब 3000 बसें हैं, जिनका संचालन कोई असंभव कार्य नहीं है, लेकिन इसके लिए कुशल प्रबंधन और जवाबदेही जरूरी है।
कुछ अधिकारियों द्वारा महिलाओं को दी जा रही 50 प्रतिशत किराया सब्सिडी को एचआरटीसी के घाटे की वजह बताने पर भी मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि अगर सरकार जनता को राहत देने के लिए सब्सिडी देती है, तो उसे घाटे के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसके लिए प्रबंधन को नए समाधान खोजने चाहिए।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने यह भी जानकारी दी कि बेरोजगार युवाओं को गाड़ियां देकर उन्हें रोजगार से जोड़ने की योजना के तहत अब तक 80 युवाओं को गाड़ियां दी जा चुकी हैं। इन गाड़ियों के लिए युवाओं को केवल 10 प्रतिशत मार्जिन मनी देनी होगी और बाकी सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में दी जा रही है। इन गाड़ियों पर हर महीने 50 से 75 हजार रुपये तक का किराया दिया जाएगा, जिससे युवा आत्मनिर्भर बन सकें।