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October 16, 2025

डूबते को तिनके का सहारा: सरकारी खजाने में आएंगे ₹401 करोड़, CM सुक्खू खुश

वाइल्ड फ्लावर हॉल संपत्ति से मिलेगा पैसा

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CM Sukhvinder Singh Sukhu

शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक और बड़ी कानूनी जीत हासिल की है। अब मशोबरा रिजॉर्ट लिमिटेड (MRL) कंपनी को वाइल्ड फ्लावर हॉल संपत्ति से 401 करोड़ रुपये मिलेंगे। ऐसे में राज्य अब MRL कंपनी का एकमात्र मालिक बन जाएगा। हिमाचल हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि राज्य संयुक्त उद्यम कंपनी (JVC) के बैंक में जमा राशि, शेयर होल्डिंग्स व पूंजी के खिलाफ अग्रिम राशि के 50 प्रतिशत का एकमात्र स्वामी बन गया है। गौरतलब है कि मामला 30 सालों से कोर्ट में विचाराधीन था। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इस फैसले से काफी प्रसन्न हैं।

25 करोड़ के भुगतान का है आदेश 

हाईकोर्ट के 14 अक्तूबर 2025 के निर्णय के मुताबिक, संयुक्त उद्यम कंपनी के लगभग 320 करोड़ रुपये के बैंक बैलेंस राज्य को हस्तांतरित कर दिए जाएंगे। कोर्ट ने मध्यस्थ निर्णय के मुताबिक राज्य तो 25 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश भी दिया है।

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₹68 करोड़ EIH को होंगे हस्तांतरित 

संयुक्त उद्यम कंपनी में ईस्ट इंडिया होटल्स की संपूर्ण शेयर होल्डिंग 13 करोड़ की राशि राज्य हस्तांतरित की जाएगी। इसके अलावा, राशि का केवल 50 प्रतिशत यानी 68 करोड़ रुपये EIH को हस्तांतरित किए जाएंगे। 

₹68 करोड़ का होगा अतिरिक्त लाभ 

ये धनराशि EIH द्वारा संयुक्त उद्यम कंपनी में जमा की गई 136 करोड़ रुपये की पूंजी के बदले में वापस किए जाएंगे। इससे राज्य को 68 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ होगा। 

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30 वर्षों से चल रही थी कानूनी लड़ाई

गौरतलब है कि MRL पहले वाइल्ड फ्लावर हॉल संपत्ति का संचालन करने वाली ईस्ट इंडिया होटल और राज्य की संयुक्त उद्यम कंपनी थी। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि ये कानूनी लड़ाई लगभग 30 वर्षों से न्यायालय में विचाराधीन थी। 

CM का विशेष हस्तक्षेप और प्रयास 

उन्होंने कहा कि CM के हस्तक्षेप व प्रयासों की वजह से सर्वोच्च न्यायालय ने 20 फरवरी 2024 के अपने आदेश में वाइल्ड फ्लावर हॉल की संपूर्ण संपत्ति का कब्जा व स्वामित्व राज्य के पक्ष में हस्तांतरित कर दिया। इसके बाद, राज्य सरकार ने 31 मार्च, 2025 को संपत्ति का भौतिक कब्जा और स्वामित्व प्राप्त कर लिया। 

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राज्य के लोगों के हित में है ये जीत 

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने मजबूती के साथ इस केस को कार्ट में लड़ा। देश के प्रमुख वकीलों की मदद से राज्य के लोगों के हित में जीत हासिल की गई। पहले इस संपत्ति से प्रदेश को कोई वित्तीय लाभ नहीं मिल रहा था लेकिन सरकार के प्रयासों से सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं।

₹250 करोड़ से अधिक की आय 

इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला लिया था। ये फैसला कड़छम-वांगतू जलविद्युत परियोजना से रॉयल्टी के संबंध में था। कोर्ट ने JSW एनर्जी कंपनी को निर्देश दिए थे कि वो हिमाचल को 12 की जगह 18 रॉयल्टी दे। इस फैसले से राज्य को हर साल 250 करोड़ से ज्याद की आमदनी हो रही है।

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