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December 26, 2025

हिमाचल में कल से अनिश्चकालीन हड़ताल पर रहेंगे डॉक्टर, सीएम के आश्वासन के बाद भी नहीं मानें

डॉ राघव के टर्मिनेशन को रद्द करने पर अड़ी डॉक्टर एसोसिएशन

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IGMC Case

शिमला। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) में डॉक्टर और मरीज  के बीच हुई मारपीट व विवाद का मामला अब बेहद गंभीर चरण में पहुंच गया है। इस घटनाक्रम के विरोध में हिमाचल प्रदेश के रेजिडेंट डॉक्टरों ने कल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ हुई बैठक के कुछ ही घंटों बाद डॉक्टर संगठनों की संयुक्त बैठक में यह बड़ा फैसला लिया गया।

जारी रहेगा आंदोलन

रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA), हिमाचल मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन (HMOA) और स्टेट एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज टीचर्स (SAMDCOT) की जॉइंट एक्शन कमेटी ने दोपहर बाद बैठक कर सरकार को साफ संदेश दिया कि जब तक मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

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रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने इस फैसले की लिखित जानकारी कॉलेज प्रशासन को दे दी है। यह कदम अस्पताल में मरीज और डॉक्टर के बीच हुई कहासुनी के बाद उठाया गया है, जिसके चलते सरकार ने सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर राघव नरुला की सेवाएं समाप्त कर दी थीं। इसी कार्रवाई के विरोध में डॉक्टरों ने पहले अवकाश पर जाने का निर्णय लिया था, लेकिन बाद में शाम के समय इसे अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदलने का फैसला किया गया।

 

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आपातकालीन सेवाएं नहीं होंगी प्रभावित

SAMDCOT की सामान्य निकाय बैठक (GBM) में यह निर्णय लिया गया है कि रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA) को पूर्ण समर्थन जारी रहेगा। चूंकि RDA ने अपनी हड़ताल जारी रखने का निर्णय लिया है इसलिए नियमित सेवाओं को सुचारू रूप से चलाने में मुश्किल होगी।हालांकि, इस अवधि में सभी आपातकालीन सेवाएँ पूरी तरह सुचारु रूप से जारी रहेंगी और किसी भी आपातकालीन मरीज़ और जो मरीज़ पहले से हस्पताल में दाखिल हैं उनको किसी प्रकार की असुविधा नहीं होने दी जाएगी। अनिश्चितकालीन हड़ताल के संबंध में आगे की रणनीति पर अंतिम निर्णय सोमवार को लिया जाएगा।

 

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डॉ. राघव की बर्खास्तगी बनी आंदोलन की वजह

डॉक्टर संगठनों की सबसे प्रमुख मांग आईजीएमसी के डॉक्टर राघव के खिलाफ की गई टर्मिनेशन की कार्रवाई को तुरंत निरस्त करने की है। डॉक्टरों का कहना है कि बिना निष्पक्ष जांच के लिया गया यह फैसला अन्यायपूर्ण है और इससे पूरे मेडिकल समुदाय में असंतोष फैला है। इसके साथ ही डॉक्टरों ने आईजीएमसी परिसर में हुई कथित मारपीट, भीड़ द्वारा डराने-धमकाने और कथित “ट्रायल” जैसी घटना को बेहद गंभीर बताया है।

 

संगठनों ने इस मामले में दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने, डॉक्टर को जान से मारने की धमकी देने और देश छोड़ने को मजबूर करने के आरोपों में नरेश दस्ता के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

 

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सीएम से मुलाकात के बावजूद हड़ताल का फैसला

डॉक्टर संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने सुबह मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से उनके आवास ओक ओवर में मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री ने पूरे मामले की दोबारा जांच कराने और डॉक्टरों की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का भरोसा दिलाया। इसके बावजूद डॉक्टर संगठनों का कहना है कि सिर्फ आश्वासन से बात नहीं बनेगी और जब तक ठोस कार्रवाई नहीं होती, तब तक हड़ताल ही एकमात्र रास्ता है।

स्वास्थ्य सेवाएं चरमराईं, मरीज लौटे खाली हाथ

डॉक्टरों की सामूहिक हड़ताल का असर पहले ही दिन प्रदेशभर में देखने को मिला। 3000 से अधिक डॉक्टर आज सामूहिक अवकाश पर रहे, जिससे सरकारी अस्पतालों की ओपीडी सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं। शिमला स्थित आईजीएमसी सहित प्रदेश के कई अस्पतालों में दूर-दराज क्षेत्रों से आए मरीजों को बिना उपचार लौटना पड़ा।

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मरीजों की पीड़ा, इलाज अधर में लटका

आईजीएमसी पहुंचे मरीज जीवन राम ने बताया कि उन्हें हृदय संबंधी समस्या है, लेकिन डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण उनका इलाज नहीं हो पाया। वहीं कुमारसैन की रहने वाली कृष्णा देवी ने बताया कि आज उनका एमआरआई होना था। वह पिछले दस दिनों से रिपन अस्पताल में भर्ती हैं और बड़ी मुश्किल से जांच की तारीख मिली थी, लेकिन हड़ताल के चलते अब उन्हें फिर से नई तारीख लेनी पड़ेगी।

जांच रिपोर्ट पर उठे सवाल

सैमडकोट के महासचिव डॉ. पियूष कपिला ने कहा कि जांच रिपोर्ट में मरीज और डॉक्टर दोनों को दोषी बताया गया, लेकिन कार्रवाई सिर्फ डॉक्टर पर की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि पूरे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच नहीं हुई और न ही दोनों पक्षों को आमने-सामने रखने का मौका मिला।

पुलिस जांच भी जारी

इस मामले में मरीज की शिकायत पर पुलिस भी अलग से जांच कर रही है। अस्पताल का CCTV फुटेज सामने नहीं आ पाया है, अब पुलिस वायरल वीडियो के मूल स्रोत तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।

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