#हादसा
December 26, 2025
हिमाचल: सर्द रात में राख का ढेर बन गए 45 आशियाने, पहने कपड़ों के सिवा कुछ नहीं बचा
45 परिवार हुए बेघर, बच्चों और बुजुर्गों की सता रही चिंता
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ऊना। ठिठुराती सर्द रात और गहरी नींद के बीच अचानक उठती लपटों ने दर्जनों परिवारों की जिंदगी पलभर में बदल दी। मामला ऊना जिले के गगरेट विधानसभा क्षेत्र से सामने आया है। यहां हुए एक भयानक अग्निकांड ने पल भर में 45 झुग्गियों को राख के ढेर में तब्दील कर दिया। यह आग अंदौरा गांव में सोमभद्रा नदी किनारे बनी मजदूरों की अस्थायी बस्ती में बीती रात को लगी थी। हालांकि समय रहते सभी मजदूर परिवारों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया, लेकिन उनका आशियाना, मेहनत की कमाई और भविष्य की उम्मीदें आग में जलकर खाक हो गईं।
घटना रात करीब साढ़े दस बजे की है। दिनभर मेहनत करने के बाद मजदूर परिवार अपने.अपने झोपड़ों में सो रहे थे। अचानक किसी झुग्गी से उठी आग की लपटों ने पूरे इलाके को अपनी चपेट में ले लिया। कुछ ही मिनटों में आग ने विकराल रूप धारण कर लिया और चारों ओर चीख.पुकार मच गई। बच्चे डर से रोते रहे, महिलाएं जरूरी सामान समेटने की कोशिश करती रहीं और बुजुर्ग हड़बड़ी में बाहर निकलते नजर आए। कई परिवार तो केवल पहने हुए कपड़ों में ही बाहर निकल पाए।
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इस अग्निकांड में मजदूरों का घरेलू सामान, बिस्तर, कपड़े, राशन, बर्तन और जमा की गई नकदी पूरी तरह जलकर राख हो गई। जिन परिवारों के पास पहले ही सीमित साधन थे] उनके लिए यह हादसा किसी बड़े सदमे से कम नहीं है। सर्द रातों में सिर से छत छिन जाने के बाद बच्चों और बुजुर्गों की चिंता सबसे ज्यादा सता रही है। कई बुजुर्ग ठंड और सदमे से बेहाल नजर आए, वहीं छोटे बच्चों को समझ ही नहीं आ रहा था कि उनका घर कहां चला गया।
अग्निकांड की सूचना मिलते ही एसडीएम गगरेट सौमिल गौतम और तहसीलदार कुलताज सिंह प्रशासनिक टीम के साथ तुरंत मौके पर पहुंचे। रात के अंधेरे में ही राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया। प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी बेघर हुए मजदूर परिवारों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया और गगरेट स्थित रैन बसेरे में रात गुजारने की व्यवस्था करवाई। अधिकारियों ने पीड़ितों को आश्वासन दिया कि नियमानुसार राहत सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी।
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एसडीएम सौमिल गौतम के अनुसार आग लगने के वास्तविक कारणों की जांच की जा रही है। फिलहाल किसी भी कारण की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। इस घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस इलाके में झुग्गियां जलीं, वहां खड़पोश बस्तियों पर पहले से प्रतिबंध लगाया गया है। इसके बावजूद इतने बड़े पैमाने पर मजदूर परिवारों का बसना और लंबे समय तक रहना प्रशासन की निगरानी पर सवालिया निशान खड़ा करता है।
हालांकि इस हादसे में कोई जानी नुकसान नहीं हुआ, लेकिन 45 परिवारों के सामने अब नए सिरे से जिंदगी शुरू करने की चुनौती खड़ी हो गई है। पीड़ित परिवार प्रशासन से सिर्फ अस्थायी राहत नहीं, बल्कि स्थायी पुनर्वास और मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं। अंदौरा की यह सर्द रात अब केवल एक हादसा नहीं, बल्कि उन गरीब मजदूर परिवारों के लिए जिंदगी की सबसे लंबी और सबसे डरावनी रात बनकर रह गई है।