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October 31, 2025

चिंतपूर्णी के दरबार में आस्था का नजारा : मां घुटनों के बल तो बेटी दंडवत प्रणाम करते पहुंची मंदिर

मां-बेटी अनोखी तपस्या ने जीता सबका दिल

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Chintpurni Mata Una

ऊना। हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध मां चिंतपूर्णी धाम में ऐसा अद्भुत दृश्य देखने को मिला, जिसने हर श्रद्धालु को भाव-विभोर कर दिया। वृंदावन से आई एक मां-बेटी ने देवी के चरणों तक पहुंचने के लिए ऐसी कठिन साधना की, जिसे देखकर हर कोई श्रद्धा से नतमस्तक हो गया।

मां-बेटी की कठिन साधना

बेटी ने ऊना बस स्टैंड से लेकर चिंतपूर्णी मंदिर तक लगभग एक किलोमीटर की दूरी दंडवत प्रणाम करते हुए तय की, जबकि मां ने पूरी यात्रा घुटनों के बल चलकर पूरी की। मां-बेटी की इस आस्था को हर कोई देखता ही रह गया।

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वृंदावन से शुरू की भक्ति यात्रा

सूत्रों के अनुसार, मां-बेटी उत्तर प्रदेश के वृंदावन धाम की रहने वाली हैं। उन्होंने कई सप्ताह पहले ही यह आस्था यात्रा शुरू की थी। मां ने संकल्प लिया था कि मां चिंतपूर्णी के दर्शन वह घुटनों के बल चलकर ही करेंगी, जबकि बेटी ने वचन दिया कि वह माता के दरबार तक हर पग पर दंडवत प्रणाम करते हुए पहुंचेगी।

मां घुटनों के बल, बेटी दंडवत प्रणाम करते हुए....

बस स्टैंड से मंदिर तक की चढ़ाई भले ही केवल एक किलोमीटर हो, लेकिन इस मार्ग में ढलान, मोड़, और सीढ़ियों की संख्या श्रद्धा की परीक्षा लेती है। बावजूद इसके, मां-बेटी ने बिना किसी विश्राम के, बदलते मौसम और शारीरिक थकान की परवाह किए बिना, हर कदम को भक्ति का अर्पण माना।

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श्रद्धालु हुए भाव-विभोर

जैसे-जैसे मां और बेटी मंदिर के करीब पहुंचती गईं, वैसे-वैसे भीड़ का रेला उनके पीछे बढ़ता गया। कई श्रद्धालु उनके चारों ओर रुककर मंत्रोच्चार करने लगे। "जय मां चिंतपूर्णी" के जयकारों से पूरा परिसर गूंज उठा।

देवी के जयकारों की गूंज

मां के घुटनों पर चोट के निशान और बेटी के शरीर पर धूल के बावजूद उनके चेहरे पर केवल शांति और भक्ति की आभा दिखाई दे रही थी। मंदिर के मुख्य पुजारियों और सेवादारों ने भी मां-बेटी के इस भाव को देखकर उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा कि यह दृश्य हमें याद दिलाता है कि सच्ची भक्ति का अर्थ केवल पूजा नहीं, बल्कि आस्था की गहराई में उतरना है।

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मां-बेटी के बंधन में भक्ति की एकता

स्थानीय श्रद्धालुओं का कहना है कि इस प्रकार की भक्ति यात्रा न केवल देवी मां के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि मां-बेटी के अटूट बंधन का भी उदाहरण है। मां ने अपनी बेटी के हर दंडवत प्रणाम के साथ मौन प्रार्थना की, जबकि बेटी ने हर गिरते-पड़ते क्षण में मां की छवि को याद करते हुए हिम्मत जुटाई।

नहीं भूल पाएंगे ये नजारा

मां-बेटी को देख एक महिला श्रद्धालु ने भावुक होकर कहा कि आज हमने देखा कि मां की ममता और देवी की शक्ति एक साथ कैसे प्रकट होती है। यह नजारा हम जिंदगी भर नहीं भूल पाएंगे।

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मां चिंतपूर्णी दरबार में आस्था का संदेश

मां और बेटी जब मां चिंतपूर्णी के गर्भगृह में पहुंचीं और देवी को पुष्प अर्पित किए, तो पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठा। पुजारियों ने विधिवत पूजा कराई और मां-बेटी को देवी का प्रसाद दिया। इस दौरान कई श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गईं।

कठिनाइयों से ऊपर होती है सच्ची श्रद्धा

मंदिर के प्रबंधक ने बताया कि देवी मां के दरबार में ऐसे अद्वितीय उदाहरण अक्सर लोगों को भक्ति और समर्पण का नया अर्थ सिखा जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ यात्रा नहीं थी, यह आत्मा की साधना थी जिसने हमें याद दिलाया कि सच्ची श्रद्धा हमेशा कठिनाइयों से ऊपर होती है।

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