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July 18, 2025
हिमाचल : पानी में समाने लगा चमत्कारी मंदिर, पांडवों ने यहां बनाई थी स्वर्ग को जाने वाली सीढ़ियां
तेजी से बढ़ रहा है झील का जलस्तर
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कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश में इस बार बरसात ने जमकर कहर बरपाया। भारी बारिश के कारण प्रदेश के कई नदियों-नालों का जलस्तर बढ़ गया है। इसी बीच कांगड़ा जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है। यहां स्थित बाथू दी लड़ी झील का जलस्तर बढ़ गया है।
जलस्तर बढ़ने के कारण झील में बना मंदिर गहरे पानी में समाना शुरू हो गया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि झील में जलस्तर काफी तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में 15-20 दिन के अंदर पूरा मंदिर पानी में समा जाएगा।
आपको बता दें कि बाथू दी लड़ी झील का जलस्तर कम होने पर चार महीने मंदिर पर्यटकों की आस्था का केंद्र बना रहा। मगर अब झील में बढ़ रहे पानी के जलस्तर ने मंदिर को चारों तरफ से घेर लिया है। जिसके कारण मंदिर और मंदिर परिसर आधा-आधा पानी में समा गए हैं। बाथू दी लड़ी में अभी पर्यटकों दूर से ही दर्शन करके वापस लौट रहे हैं।
गौरतलब है कि कांगड़ा जिले की प्रसिद्ध पौंग झील के मध्य स्थित बाथू दी लड़ी का ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल गर्मियों के दौरान जलस्तर घटने पर करीब चार महीनों तक भक्तों और पर्यटकों की आस्था का केंद्र बना रहता है। मगर झील का जलस्तर लगातार बढ़ने के कारण यह स्थल 8 महीने पानी में डूबा रहता है। यानी अब आठ महीने बाद ही लोग मंदिर के दर्शन कर पाएंगे।
वर्तमान में पौंग डैम में जलस्तर 1329.15 फीट तक पहुंच चुका है। झील में प्रतिदिन लगभग 26751 क्यूसिक पानी आ रहा है, जबकि केवल 18,000 क्यूसिक पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे जलस्तर लगातार चढ़ रहा है।
बाथू दी लड़ी से जुड़ी लोककथा के अनुसार, महाभारत काल में पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान इस क्षेत्र में कुछ समय के लिए रुके थे। यहां उन्होंने द्रौपदी के स्नान के लिए एक कुआं और पूजा अर्चना के लिए मंदिर का निर्माण कराया था।
कहा जाता है कि उन्होंने स्वर्ग जाने के लिए एक सीढ़ीनुमा लड़ी (श्रृंखला) का निर्माण किया था, जिसे सिर्फ एक रात में पूरा करना था। पांडवों ने छह महीने की एक रात बना भी डाली, लेकिन जैसे ही अंतिम अढ़ाई सीढ़ियां बाकी रह गई थीं, उसी समय एक तेल निकाल रही महिला (तेलिन) चिल्ला उठी।
उसकी आवाज सुनते ही पांडवों का निर्माण अधूरा रह गया और अधूरी सीढ़ियां गिर गईं। आज भी उस लड़ी का एक मीनारनुमा अवशेष खड़ा है, जिसे देखने हजारों पर्यटक गर्मियों में यहां आते हैं।
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हालांकि, अब बाथू दी लड़ी के अधिकतर हिस्से पानी में डूब चुके हैं, लेकिन फिर भी कुछ पर्यटक अब भी दूर से इस स्थल के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। बुद्धिजीवियों और स्थानीय लोगों का मानना है कि अब इस क्षेत्र में दलदल और फिसलन बहुत बढ़ गई है, जिससे किसी भी प्रकार की दुर्घटना का खतरा बढ़ गया है। स्थानीय प्रशासन, पुलिस व वन्य प्राणी विभाग से यह मांग उठ रही है कि इस स्थल को अगले कुछ महीनों तक पर्यटकों के लिए बंद कर दिया जाए ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।