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September 22, 2025

हिमाचल की धरती.. कब्जा पंजाब का: सुप्रीम कोर्ट में आज शानन परियोजना पर हो सकता है बड़ा फैसला

शानन जलविद्युत परियोजना से सालाना होती है 200 करोड़ की कमाई

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supreme court

शिमला। हिमाचल प्रदेश के लिए आज सोमवार 22 सितंबर 2025 का दिन ऐतिहासिक साबित हो सकता है। करीब 200 करोड़ रुपये सालाना राजस्व देने वाली शानन जलविद्युत परियोजना के स्वामित्व को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में बड़ा फैसला आने की संभावना है। यह परियोजना हिमाचल की भूमि पर स्थित है, लेकिन पिछले कई दशकों से पंजाब सरकार के नियंत्रण में है। अब जब लीज की अवधि समाप्त हो चुकी है, हिमाचल प्रदेश सरकार इसे अपने अधिकार क्षेत्र में लेने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही है।

क्या है मामला?

शानन पावर प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश के मंडी ज़िले के जोगिंद्रनगर क्षेत्र में स्थित है। यह परियोजना ब्रिटिश काल में स्थापित की गई थी। वर्ष 1925 में अंग्रेजों और तत्कालीन मंडी रियासत के शासक राजा जोगिंद्र सेन के बीच हुए एक समझौते के तहत परियोजना की स्थापना हुई। उस समय जमीन मंडी रियासत ने दी थी और इसके बदले 99 साल की लीज पर प्रोजेक्ट पंजाब सरकार (तत्कालीन ब्रिटिश शासन के माध्यम से) को सौंपा गया।

 

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मार्च 2024 में लीज की अवधि समाप्त हो गई है। इसके बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि परियोजना हिमाचल प्रदेश सरकार को सौंप दी जाएगी। लेकिन पंजाब सरकार ने प्रोजेक्ट पर से नियंत्रण छोड़ने से इनकार कर दिया, जिससे विवाद ने कानूनी रूप ले लिया।

राजनीतिक और कानूनी मोर्चा

हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रही है। मुख्यमंत्री भले ही इन दिनों विदेश दौरे पर हैं, लेकिन उन्होंने इस मामले की पल-पल की जानकारी लेने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में हिमाचल का पक्ष रख रहे हैं। उनके साथ एडवोकेट जनरल अनूप रतन, एडिशनल एडवोकेट जनरल वैभव श्रीवास्तव और वरिष्ठ अधिवक्ता विनय कुठियाला भी अदालत में मौजूद हैं। हिमाचल सरकार का कहना है कि लीज समाप्त होने के बाद अब यह परियोजना कानूनी रूप से राज्य की होनी चाहिए, क्योंकि यह प्रदेश की भूमि पर स्थापित है और इसके संसाधनों का दोहन हो रहा है।

 

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पंजाब का पक्ष क्या है?

पंजाब सरकार इस प्रोजेक्ट को विकास का अहम हिस्सा मानते हुए इसके नियंत्रण को छोड़ने के पक्ष में नहीं है। उसका दावा है कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के तहत यह प्रोजेक्ट उसके प्रशासनिक दायरे में आया था] और इसके संचालन और रख-रखाव की जिम्मेदारी उसी को दी गई थी। पंजाब का यह भी तर्क है कि प्रोजेक्ट में समय-समय पर किए गए विस्तार और आधुनिकीकरण में उसके संसाधन लगे हैं] इसलिए उसे अधिकार देना उचित नहीं होगा।

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शानन पावर प्रोजेक्ट

  • स्थापना वर्ष: 1932
  • स्थल: ऊहल नदी, जोगिंद्रनगर, जिला मंडी
  • प्रारंभिक क्षमता: 48 मेगावाट
  • 1982 में अपग्रेड: 60 मेगावाट
  • वर्तमान क्षमता: 110 मेगावाट
  • वार्षिक आय: लगभग ₹200 करोड़

यह पावर हाउस देश के सबसे पुराने जलविद्युत प्रोजेक्ट्स में से एक है और तकनीकी रूप से आज भी अत्यंत प्रभावी माना जाता है।

क्या कहता है कानून

विधि विशेषज्ञों की मानें तो लीज की समाप्ति के बाद संपत्ति मूल भूमि मालिक को वापस दी जाती है, जब तक कि कोई नया समझौता न हो। हिमाचल का दावा इसी आधार पर मजबूत माना जा रहा है, क्योंकि मंडी रियासत द्वारा दी गई जमीन अब राज्य सरकार के अधीन है। सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले पर अंतिम सुनवाई हो सकती है और अदालत का फैसला यह तय करेगा कि शानन बिजलीघर पर किसका हक बनता है। उस राज्य का जिसकी धरती पर यह खड़ा है] या उस राज्य का जिसने इसे अब तक चलाया है।

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राजनीतिक और आर्थिक असर

यदि फैसला हिमाचल के पक्ष में आता है] तो यह न केवल राज्य की राजस्व आय में इजाफा करेगा बल्कि राजनीतिक रूप से भी कांग्रेस सरकार के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। वहीं पंजाब के लिए यह एक बड़ा झटका हो सकता है, खासकर तब जब राज्य की आर्थिक स्थिति पहले से दबाव में है। नजरें आज सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं। यह फैसला दो राज्यों के बीच संसाधनों के न्यायोचित वितरण की दिशा में एक मिसाल बन सकता है।

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