#विविध
July 30, 2025
हिमाचल फ्लड : 9 वर्षीय अद्विक ने दान की गुल्लक, 9525 रुपये दे बोला- लोगों की करो मदद
आपदा पीड़ितों के लिए पसीजा बच्चे का दिल
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कांगड़ा। जब आपदा इंसान की परीक्षा लेती है, तब कुछ ऐसे चेहरे सामने आते हैं जो उम्मीद की किरण बन जाते हैं। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की सराज घाटी इस समय बाढ़ और भूस्खलन से बुरी तरह प्रभावित है। ऐसे में कांगड़ा जिले के इंदौरा उपमंडल से महज 9 वर्षीय छात्र अद्विक कटोच ने जो पहल की, वह छोटी उम्र में बड़ी सोच की मिसाल बन गई है।
इंदौरा के एक निजी स्कूल में पढ़ने वाले अद्विक कटोच ने अपनी वर्षों की बचत- जो वह क्रिकेट किट खरीदने के लिए जमा कर रहा था। उसने वो मंडी बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए दान कर दी।
गुरुवार को अद्विक ने अपने पिता सचिन कटोच के साथ एसडीएम इंदौरा सुरेंद्र ठाकुर को अपनी मिट्टी की गुल्लक सौंपी, जिसे तोड़ने पर ₹9,525 निकले। यह कोई मामूली दान नहीं था, बल्कि यह एक बच्चे की संवेदनशीलता, जागरूकता और निःस्वार्थ सेवा भावना का प्रतीक था।
अद्विक के पिता ने बताया कि यह गुल्लक पिछले कई वर्षों से अद्विक के पास थी, जिसमें वह त्योहारों, जन्मदिन, रिश्तेदारों व परिवार से मिलने वाले उपहारस्वरूप पैसों को धीरे-धीरे जमा कर रहा था।
उसका सपना था कि वह इन पैसों से एक शानदार क्रिकेट किट खरीदेगा। मगर जब उसने मंडी जिले में आई बाढ़ और तबाही की तस्वीरें देखीं, टूटे हुए घर, भूखे बच्चे और बेघर परिवारों के हालात समझे- तो उसका बाल मन भीतर से हिल गया।
अद्विक ने अपने माता-पिता से कहा, “इन पैसों से मैं किसी का घर नहीं बना सकता, लेकिन शायद किसी को एक वक्त की रोटी मिल जाए। क्रिकेट किट तो बाद में भी आ जाएगी, लेकिन अभी किसी को हमारी ज़रूरत है।”
अद्विक ने गुल्लक सौंपते समय कहा कि जह मंडी में आई बाढ़ में कई लोगों के घर टूट गए हैं। लोगों का दुख उससे देखा नहीं गया। ऐसे में उसने तय किया कि वो उस बार अपने लिए क्रिकेट किट नहीं खरीदेगा और बाढ़ पीड़ितों की मदद करेगा।
SDM सुरेंद्र ठाकुर ने अद्विक की इस पहल को अत्यंत सराहनीय बताया और कहा कि एक बच्चे का इस तरह से आगे आना, बड़े-बड़ों को सोचने पर मजबूर कर देता है। “यह दान सिर्फ एक गुल्लक नहीं है, यह सच्ची मानवता और संवेदनशील नागरिकता का प्रमाण है।”
आज जब समाज में स्वार्थ और उपभोक्तावाद हावी है, अद्विक जैसे बच्चों की संवेदनशीलता हमें यह याद दिलाती है कि इंसानियत अभी भी जिंदा है। उसकी सोच, उसकी संवेदना और उसकी निःस्वार्थ मदद यह दिखाती है कि मदद करने के लिए उम्र नहीं, दिल बड़ा होना चाहिए।
आपको बता दें कि इससे पहले सुंदरनगर की छठी कक्षा की छात्रा मोक्षथिका ठाकुर ने भी गुल्लक से पैसे दान किए थे। उसने अपनी गुल्लक तोड़कर 1660 रुपये निकाले और ये पैसे अपने पापा के हाथों में थमाते हुए कहा “पापा, इन पैसों से सराज के आपदा पीड़ितों के लिए कुछ जरूरी सामान ले लेना।”