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June 21, 2025

हिमाचल: मरीज़ों की जा*न के साथ खिलवाड़! हार्ट, BP, बुखार सहित 186 दवाओं के सैंपल फेल

हिमाचल की 37 दवा कंपनियों की 50 दवाएं गुणवत्ता मानकों पर फेल

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Medicine Sample Failed

शिमला। फार्मा हब कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश सहित देशभर में फार्मास्युटिकल कंपनियों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की ताजा जांच रिपोर्ट ने राज्य की फार्मा इंडस्ट्री को झकझोर कर रख दिया है। रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल की 37 दवा कंपनियों की 50 दवाएं गुणवत्ता मानकों पर फेल पाई गई हैं। ये दवाएं आम बीमारियों से लेकर गंभीर रोगों तक के इलाज में प्रयोग होती रही हैं।

देशभर में 186 दवाओं के सैंपल फेल

CDSCO की मई महीने की ड्रग अलर्ट रिपोर्ट शुक्रवार रात जारी की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि देशभर में कुल 186 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं,  जिनमें 58 सैंपल खुद और सेंट्रल लेबोरेटरी की जांच में, जबकि 128 सैंपल विभिन्न राज्यों की प्रयोगशालाओं में अस्वीकार्य पाए गए। चौंकाने वाली बात यह है कि कई राज्यों ने अब तक अपनी जांच रिपोर्ट CDSCO को भेजी ही नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब ये आंकड़े भी सामने आएंगे तो अस्वीकृत दवाओं की संख्या और भी बढ़ जाएगी।

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मरीजों की सेहत पर खतरा

रिपोर्ट के मुताबिक जो दवाएं फेल हुई हैं, उनका उपयोग पेट की गैस, बुखार, अल्सर, दिल की बीमारियों, उच्च रक्तचाप, सूजन और आर्थराइटिस जैसे रोगों के इलाज में किया जाता है। इन दवाओं का फेल होना सिर्फ एक तकनीकी खामी नहीं, बल्कि यह सीधे तौर पर मरीजों की सेहत और जीवन के साथ खिलवाड़ है। मरीज अपनी गाढ़ी कमाई से ये दवाएं खरीदते हैं, लेकिन उन्हें इससे न तो आराम मिलता है और न ही इलाज संभव हो पाता है।

 

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फार्मा हब बन चुके हिमाचल की साख को झटका

हिमाचल प्रदेश लंबे समय से भारत के दवा उद्योग का बड़ा केंद्र रहा है। बद्दी, सोलन, बरोटीवाला, कालाअंब, नालागढ़, ऊना, पांवटा साहिब और कांगड़ा जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में बड़ी संख्या में फार्मा कंपनियां संचालित हो रही हैं। लेकिन बार.बार सामने आ रही गुणवत्ता संबंधी खामियों ने राज्य की साख पर बट्टा लगा दिया है।

ड्रग कंट्रोलर की चेतावनी

प्रदेश के ड्रग कंट्रोलर मनीष कपूर ने बताया कि जिन कंपनियों की दवाएं फेल हुई हैं, उन्हें नोटिस जारी किए जाएंगे। साथ ही संबंधित दवाओं का स्टॉक बाजार में नहीं भेजने के निर्देश दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जो कंपनियां बार.बार इसी तरह की गलती दोहरा रही हैं, उन्हें चिह्नित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ड्रग विभाग अब इन कंपनियों पर विशेष नजर रखेगा और जरूरत पड़ी तो उनके लाइसेंस तक रद्द किए जा सकते हैं।

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सरकार की नीतियों पर भी सवाल

यह स्थिति सरकार और दवा नियामक एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। लगातार ड्रग अलर्ट जारी होने और बड़ी संख्या में दवाओं के फेल होने के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यह विफलता राज्य सरकार और ड्रग कंट्रोल प्रशासन की जवाबदेही पर सीधा सवाल है। जब मरीजों की जान पर बन आती है, तो नीतियों का शिथिल रहना अस्वीकार्य है।

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मरीजों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल

हिमाचल की दवा कंपनियों से जुड़े इस गंभीर मामले ने मरीजों की सुरक्षा और फार्मा इंडस्ट्री की छवि दोनों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अब वक्त आ गया है कि ड्रग क्वालिटी की निगरानी महज़ खानापूर्ति न रह जाए, बल्कि उसे जमीनी स्तर पर प्रभावी बनाया जाए। मरीजों की जान की कीमत किसी भी व्यापारिक मुनाफे से बड़ी होनी चाहिए।

किन कंपनियों की कौन कौन सी दवाओं के सैंपल हुए फेल

 

 

 

 

 

 

 

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