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July 25, 2025

देवभूमि हिमाचल में 51 में से कितने शक्तिपीठ ? जानें पहुंचने का रास्ता

अकेले कांगड़ा में हैं 3 देवियां

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Himachal Shaktipeeth

शिमला। भारत में कुल 51 शक्तिपीठ हैं। ये देश के विभिन्न कोनों में स्थापित हैं। क्या आप जानते हैं कि इन 51 शक्तिपीठों में से हिमाचल में कितने शक्तिपीठ हैं ? अगर नहीं, तो आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं। हिमाचल में कुल 5 शक्तिपीठ हैं। आइए जानते हैं ये कौनसे शक्तिपीठ हैं, ये कहां स्थित हैं और यहां कैसे पहुंचा जा सकता है।

1. मां ज्वाला देवी, कांगड़ा 

हिमाचल के कांगड़ा जिले में स्थित है मां ज्वाला देवी का मंदिर। भक्त देवी को मां जोतां वाली या ज्वाला जी के नाम से भी पुकारते हैं। आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि ज्वाला जी में कोई मूर्ति नहीं है जिसकी पूजा की जाए। यहां धरती से प्राकृतिक रूप से 9 ज्वालाएं निकली हुई हैं और बरसों से इन्हीं ज्योतियों की पूजा होती आ रही है और लोग इनके दर्शन करते आ रहे हैं। 

कैसे पहुंचे ज्वाला जी ?

ज्वाला जी राष्ट्रीय राजमार्ग पर है इसलिए यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। आप हवाई मार्ग, ट्रेन या सड़क मार्ग से आराम से ज्वाला जी पहुंच सकते हैं। कांगड़ा का गग्गल स्थित हवाई अड्डा ज्वालाजी से 50 किलोमीटर की दूरी पर है। सबसे नजदीक नैरोगेज रेलवे स्टेशन ज्वालाजी रोड रानीताल है जो मंदिर से 20 किलोमीटर की दूरी पर है। दिल्ली, चंडीगढ़ और धर्मशाला से इस तीर्थस्थल को मोटर वाहन के जरिए जोड़ा जाता है।

 

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2. मां ब्रजेश्वरी देवी, कांगड़ा

मां ब्रजेश्वरी देवी का शक्तिपीठ भी कांगड़ा जिले में स्थित है। कहा जाता है कि देवी मां भगवान के रूप भैरोनाथ के साथ विराजमान हैं। ये भी कहा जाता है कि महाभारत के वक्त पांड़वों ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर को कई बार विदेशियों द्वारा लूटा गया। इस मंदिर में सिर्फ हिंदू और सिख ही नहीं आते बल्कि मुस्लिम समुदाय भी यहां फूल चढ़ाता है। इसी वजह से मंदिर में तीन गुंबद हैं जो तीनों धर्मों के प्रतीक हैं।

कैसे पहुंचे ब्रजेश्वरी मंदिर ?

आप ब्रजेश्वरी मंदिर के लिए हवाई यात्रा कर सकते हैं, ट्रेन में सफर कर सकते हैं और सड़क मार्ग से भी आप यहां आसानी से पहुंच जाएंगे। गग्गल हवाई अड्डा सबसे नजदीक है जो मंदिर से 10 किलोमीटर दूर है। मंदिर कांगड़ा सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, यहां तक पहुंचने के लिए आपको बस और टैक्सी मिल जाएंगी। सबसे नजदीक और बड़ा रेलवे स्टेशन पठानकोट है जो कांगड़ा से 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

 

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3. मां चामुंडा देवी, कांगड़ा

ये तीसरा शक्तिपीठ है जो हिमाचल के कांगड़ा जिले में ही स्थित है। सबसे पहले तो बता दें कि मां चामुंडा का नाम चंड मुंड नाम के राक्षसों का संहार करने के चलते पड़ा था। मंदिर में शिव भगवान भी पिंडी रूप में विराजमान हैं। इसी के चलते ये स्थान चामुंडा नंदिकेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है। स्थानीय लोग मानते हैं कि देवी चामुंडा का ये मंदिर शिव और शक्ति का वो निवास स्थान है जहां वे दोनों विश्व भ्रमण में आराम करने आते हैं। 

कैसे पहुंचे चामुंडा मंदिर ?

मां चामुंडा देवी भी आप तीनों जरिए से पहुंच सकते हैं। आप हवाई यात्रा चुन सकते हैं, ट्रेन का सफर कर सकते हैं और सड़क मार्ग तो है ही। गग्गल हवाई अड्डा चामुंडा देवी मंदिर के सबसे नजदीक है। दोनों के बीच की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है। चामुंडा देवी मंदिर से लगभग 115 किलोमीटर दूर पठानकोट में सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। पठानकोट जंक्शन दिल्ली, मुंबई और कोलकाता सहित भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। चामुंडा देवी मंदिर धर्मशाला से लगभग 15 किलोमीटर दूर है। पठानकोट और चंडीगढ़ जैसे नजदीकी शहरों से यात्री सड़क मार्ग से आसानी से धर्मशाला पहुंच सकते हैं। धर्मशाला से पर्यटकों को मंदिर तक लाने के लिए टैक्सी और स्थानीय बसें उपलब्ध हैं।

 

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4. मां चिंतपूर्णी देवी, ऊना

ये शक्तिपीठ हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में स्थित है। कहा जाता है कि मा अपने नाम की तरह अपने भक्तों की चिंताएं दूर कर देती हैं। मां को यहां सिर के बिना पिंडी रूप में दिखाया गया है। बता दें कि ये मां भगवती छिन्नमस्ता देवी का प्राचीन मंदिर भी है। 

कैसे पहुंचे चिंतपूर्णी मंदिर ?

अगर आप हवाई यात्रा करना चाहते हैं तो सबसे नजदीकी गग्गल एयरपोर्ट है जो चिंतपूर्णी से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है। नजदीकी रेलवे स्टेशन ऊना है जो मंदिर से 54 किलोमीटर की दूरी पर है। हिमाचल प्रदेश में और पास के राज्यों पंजाब, हरियाणा और दिल्ली से लगातार सार्वजनिक परिवहन बस सेवाएं उपलब्ध हैं। बस मार्ग विभिन्न स्थानों को चिंतपूर्णी बस स्टॉप से जोड़ते हैं।

 

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5. मां नैना देवी, बिलासपुर 

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित है मां नैना देवी मंदिर। इस मंदिर का निर्माण राजा बीर चंद ने आठवीं शताब्दी में करवाया था। नैना देवी का मंदिर पहाड़ों में स्थित है। यहां आप या तो पैदल चलकर पहुंच सकते हैं या रोपवे का इस्तेमाल कर सकते हैं। नैना देवी में मां पिंडी रूप में विराजमान हैं और इसी स्वरूप में उनकी पूजा की जाती है। 

कैसे पहुंचे नैना देवी मंदिर ?

मंदिर पहुंचने के लिए सबसे पास का एयरपोर्ट चंडीगढ़ है जो मंदिर से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन आनंदपुर साहिब है। यहां से मंदिर की दूरी 30 किमी है। ये मंदिर नेशनल हाइवे 21 से जुड़ा है। आनंदपुर साहिब से आप टैक्सी के माध्यम से भी यहां पहुंच सकते हैं।

 

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