#विविध
November 6, 2025
माता चिंतपूर्णी ने संवारे बिगड़े काम, श्रद्धालु ने मंदिर में चढ़ाया 10 तोला सोने का हार
माता की कृपा से परिवार में आई सुख-शांति और खुशहाली
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ऊना। देवभूमि हिमाचल के मंदिरों और शक्तिपीठों से लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। यहां के मंदिरों में स्थानीय और बाहरी राज्यों के लोगों की भीड़ देखने को मिलती है। इन मंदिरों में कई भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और वो भेंट स्वरूप मंदिरों में कई तरह की कीमती चीजें चढ़ाते हैं।
ऐसा ही श्रद्धा और आस्था का अनूठा दृश्य ऊना जिले में स्थित चिंतपूर्णी माता मंदिर में देखने को मिला। जिसके बाद शक्तिपीठ मां चिंतपूर्णी मंदिर एक बार फिर भव्य भेंट से सुर्खियों में आ गया है। चिंतपूर्णी मंदिर के दरबार में एक श्रद्धालु ने दस तोले सोने का हार भेंट किया है।
मंदिर प्रशासन ने बताया कि बीते कल एक श्रद्धालु ने माता के दरबार में दस तोले का सोने का हार अर्पित किया। श्रद्धालु द्वारा भेंट किया गया ये हार कारीगिरी का उत्कृष्ट नमूना है। यह हार शुद्ध सोने से तैयार किया गया है और हार पर बहुत ही सुंदर बारीक कारीगरी की गई है।
वहीं, माता के दरबार में छत्र भेंट करने वाले श्रद्धालु का कहना है कि वो और उनका परिवार कोई साल से मां चिंतपूर्णी का सेवा कर रहे हैं। आज तक उन्होंने माता रानी से जो भी प्रार्थना की- वो सब पूरी हुई हैं। माता के चरणोंं में ये छत्र भेंट करना हमारे लिए सौभाग्य की बात है। श्रद्धालु ने कहा कि माता चिंतूपूर्णी के आशीर्वाद से उनके घर-परिवार में सुख-शांति और खुशहाली बनी हुई है।
आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी श्रद्धाल ने माता के दरबार में भव्य भेंट अर्पित की हो। इससे पहले भी कई श्रद्धालु मंदिर में नकदी, आभूषण और गाड़ियां तक दान कर चुके हैं। कल ही एक भक्त ने ज्वालामुखी माता के मंदिर में सोने की जोत अर्पित की। इसी श्रद्धालु ने कुछ समय पहले मां ज्वालामुखी की मुख्य ज्योति के बाहर सोने का पत्रा चढ़ाने का कार्य करवाया था, जिसमें मुख्य ज्योति स्थल का आवरण विशेष रूप से स्वर्ण मंडित किया गया था।
उल्लेखनीय है कि, भक्तों की सभी चिंताएं हर लेनी वाली माता चिंतपूर्णी का यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है-जहां माता सती के पैर गिरे थे। यहां पर हर साल सैंकड़ों श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए आते हैं।
हिमाचल के छिन्नमस्तिका माता चिंतपूर्णी मंदिर के चारों ओर भगवान शिव रक्षक बनकर विराजते हैं। इस मंदिर में माता रानी ने अपने भक्त को कन्या रूप में दर्शन भी दिए थे- जिसके प्रमाण आज भी मंदिर में मौजूद हैं।
चिंतपूर्णी मंदिर की एक खासियत यह भी है कि मंदिर के चारों ओर स्वयं भगवान शिव वास करते हैं। मंदिर के पूर्व में कालेश्वर महादेव मंदिर, पश्चिम में नारायण महादेव मंदिर, उत्तर में मककंद महादेव मंदिर और दक्षिण में शिव बारी मंदिर आज भी मौजूद हैं।
पौराणिक कथाओं में इसका जिक्र होता है कि यहीं पर मां भगवती ने भक्त 'मैदास जी' को कन्या रूप में साक्षात दर्शन दिए थे और उनकी चिंता दूर हो गई थीं। कहा जाता है कि मैदास जी को दर्शन देने के बाद माता ने उनसे कहा कि वो जहां से भी पत्थर हटाएंगे-वहां से पानी निकलना शुरू हो जाएगा।
ऐसे में माता के कहे अनुसार, भक्त मैदास ने जब वहां से पत्थर हटाया तो उसी स्थान से जल प्रवाह शुरू हो गया। आज भी इस पानी से बना तालाब मौके पर मौजूद है। साथ ही भक्त मैदास ने जिस पत्थर को निकाला था- वो पत्थर आज भी माता चिंतपूर्णी मंदिर के मुख्य द्वार के पास दाईं ओर रखा देखा जा सकता है।