#अपराध
December 24, 2025
हिमाचल दलित महिला केस: किसे बचा रही थी पुलिस? SHO सस्पेंड, DC-SP भी...
जांच में बरती लापरवाही, सबूतों के साथ की छेड़छाड़
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कुल्लू। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में बीती 14 अगस्त को हुई महिला दुकानदार की हत्या के मामले में नया मोड़ सामने आया है। महिला की मौत के करीब डेढ़ महीने बाद पहले जहां चार लोगों को सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वहीं, अब मामले की जांच से जुड़े SHO को भी सस्पेंड कर दिया गया है। इतना ही नहीं अब जल्द ही मामले से जुड़े SP-DSP पर भी विभागीय जांच की जाएगी।
आपको बता दें कि 30 सितंबर को ही हमारे चैनल news4himalayan ने इस मामले की पूरी सच्चाई को वीडियो के माध्यम से गहराई से उजागर किया था। अब इस मामले में SHO को सस्पेंड कर दिया है।
गौरतलब है कि 14 अगस्त को कुल्लू की सैंज घाटी के देऊरी गांव की 40 वर्षीय महिला इवावंती की लाश मिली थी। प्रारंभिक जांच में आत्महत्या मानने वाली पुलिस ने करीब डेढ़ महीने बाद चार लोगों को सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया।
जांच में पाया गया कि इवावंती देऊरी में एक छोटी सी दुकान करती थी और हर रोज अपने घर जाहिला से देउरी काम के चलते आया जाता करती थी। मगर 12 अगस्त को वह घर नहीं लौटी। दो दिन की तलाश के बाद 14 अगस्त को महिला की लाश जंगल में पेड़ से लटकी मिली।
जंगल में एक बच्चे ने महिला की लाश को देखा और इसकी सूचना ग्रामीणों को दी। जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लिया। वहीं, स्थानीय लोगों ने मृतक महिला की हालत को देखते हुए इस हत्या की आशंका जाहिर की थी।
मृतक महिला के मायका पक्ष ने भी महिला के पति पर हत्या के आरोप लगाए और शिकायत दर्ज करवाई। मायका पक्ष की शिकायत पर पुलिस ने 16 अगस्त को महिला के पति को गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि, बाद में वो निर्दोष पाया गया और 12 सितंबर को उसे जमानत मिल गई।
इस बीच पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे और स्थानीय लोगों और महिला मंडल ने आरोप लगाया कि सैंज व बंजार थाने मामले को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। लोगों ने पंचायत में धरना प्रदर्शन भी किए और SP, DSP के अलावा CM सुखविंद्र सिंह सुक्खू को भी ज्ञापन सौंप कर मामले की जांच की मांग की गई।
इस सब के बीच मामले ने तब नया मोड़ ले लिया, जब महिला की मौत का एक चश्मदीद गवाह सामने आया। जंगल में महिला के साथ सामुहिक दुष्कर्म और हत्या की इस सारी वारदात को PWD में कार्यरत देवराज नामक व्यक्ति ने अपनी आंखों से देखा था। लेकिन आरोपियों ने उसे जान से मारने की धमकी देकर चुप करवा दिया था। डर के चलते देवराज भी एक माह तक खामोश रहा।
करीब एक महीने बाद प्रत्यक्षदर्शी देवराज ने चुप्पी तोड़ी और घटना की असलियत सबको बताई। देवराज के खुलासे और स्थानीय लोगों के धरना प्रदर्शन के दबाव के बाद पुलिस ने मामले की जांच तेज की और बीते दिन यानी 28 सितंबर को चार आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की। पूछताछ के बाद सभी चार आरोपियों को हिरासत में ले लिया।
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इस दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को हिला दिया है। इवावंती अपने पीछे दो बेटों को छोड़ गई है, जिनमें से एक दसवीं और दूसरा आठवीं कक्षा में पढ़ता है। मां की मौत और पिता की गिरफ्तारी ने दोनों बच्चों को गहरे सदमे में डाल दिया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर पुलिस ने शुरुआती दौर में मामले को गंभीरता से लिया होता तो सच्चाई सामने आने में इतनी देर न होती। अब देखना होगा कि यह केस किस दिशा में जाता है और पीड़ित परिवार को न्याय कब तक मिलता है।
वहीं, अब बीते कल राज्य अनुसूचित जाति आयोग के लोगों ने पीड़ित परिवार के सदस्यों से बातचीत की। उन्होंने बताया कि महिला की मौत के मामले में पुलिस द्वारा लापरवाही बरतने और सूबतों के साथ छेड़ने करने व तथ्यों से लीपापोती करने के संकेत मिले हैं।
अध्यक्ष ने बताया कि मामले की जांच से जुड़े SHO को निलंबित कर दिया गया है। अब SP और DSP की विभागीय जांच की CM सुखविंदर सिंह सुक्खू सिफरारिश की जाएगी। उन्होंने परिवार को आश्वासन दिया कि मामले से जुड़े लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि मामले से जुड़े किसी भी व्यक्ति को बक्शा नहीं जाएगा- फिर चाहे वो किसी उच्च पद पर भी क्यों ना हो। उन्होंने कहा कि जांच शुरू से ही सही तरीके से नहीं की गई थी। पुलिस टीम ने ना तो सही धाराएं समय पर लगाई और ना ही पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरे ढंग से करवाई। ऐसे में अब इस मामले में SHO पर निलंबन की गाज गिरी है।
आपको बता दें कि इस मामले को लेकर मंगलवार को राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने सैंज में बहुउद्देश्यीय भवन में अहम सुनवाई की। सुनवाई की अध्यक्षता आयोग के अध्यक्ष कुलदीप कुमार धीमान ने की। उनके साथ आयोग के सदस्य अधिवक्ता दिग्विजय मल्होत्रा और सदस्य सचिव विनय मोदी भी मौजूद रहे।
सुनवाई के दौरान आयोग ने पीड़ित परिवार से आमने-सामने बैठकर पूरी घटना की जानकारी ली और मामले से जुड़े हर पहलू की गहराई से समीक्षा की। आयोग ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि शुरुआती पुलिस जांच में गंभीर लापरवाही हुई है और तथ्यों को दबाने के संकेत भी सामने आए हैं।