#अपराध
July 8, 2025
हिमाचल: सेना के उच्च अधिकारी के दस्तावेज निकले फर्जी, कई सालों बाद हुआ खुलासा; जानें कैसे
जांच के घेरे में डगशाई छावनी का सैन्य अधिकारी
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सोलन। हिमाचल प्रदेश अकसर फर्जी दस्तावेज से सरकारी नौकरी हासिल करने की खबरें सामने आती रहती हैं। लेकिन अब हिमाचल के सोलन जिला से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सभी को चौंका दिया है। यहां एक व्यक्ति ने फर्जी दस्तावेज से भारतीय सेना में बड़ा पद हासिल कर लिया है। मामले का खुलासा तब हुआ जब दस्तावेज की जांच की गई। आरोपी सोलन जिला के डगशाई छावनी क्षेत्र में तैनात है।
दरअसल सोलन जिला के डगशाई छावनी में तैनात सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल पर फर्जी दस्तावेज के आरोप लगे हैं। सेना की आंतरिक जांच में इस अधिकारी के पास मौजूद कई अहम दस्तावेज जाली पाए गए, जिसके बाद मामला धर्मपुर पुलिस के पास भेजा गया। अब आरोपी सैन्य अधिकारी के खिलाफ आईपीसी की धोखाधड़ी से संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है।
सेना सूत्रों के अनुसार यह मामला नया नहीं है। वर्ष 2023 से ही आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल के विरुद्ध विभागीय स्तर पर जांच चल रही थी। इस दौरान 23 अगस्त 2023 को आरोपी के पास से 12 बोर की एक बंदूक बरामद की गई थी। इसके साथ ही उसके कब्जे से कई ऐसे दस्तावेज भी मिले थे जो प्रथम दृष्टया में फर्जी प्रतीत हुए।
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सेना द्वारा की गई जांच में जिन दस्तावेजों की जांच की गई उनमें ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड, आधार कार्ड और पैन कार्ड शामिल थे। दस्तावेजों पर आरोपी की तस्वीर तो पाई गई, लेकिन जिन नामों पर ये दस्तावेज बने थे, वे किसी और व्यक्ति के थे। यह भी शक जताया जा रहा है कि दस्तावेजों का इस्तेमाल किसी पहचान छुपाने या धोखाधड़ी के उद्देश्य से किया गया होगा।
सेना की ओर से इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए लेफ्टिनेंट कर्नल के विरुद्ध धर्मपुर थाने में औपचारिक शिकायत दर्ज करवाई गई है। शिकायतकर्ता सेना अधिकारी जाधव एनएस ने पुलिस को सौंपी गई रिपोर्ट में पूरे घटनाक्रम का ब्यौरा दिया है। इसके आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है।
सोलन के पुलिस अधीक्षक गौरव सिंह ने पुष्टि करते हुए कहा कि हमें सेना की ओर से शिकायत प्राप्त हुई है। जिसमें डगशाई में तैनात एक अधिकारी के दस्तावेजों को फर्जी बताया गया है। हमने केस दर्ज कर लिया है और अब सभी पहलुओं की गहनता से जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि आरोपी ने ऐसा क्यों किया और इसके पीछे उसका क्या मकसद था।
एक उच्च पदस्थ सैन्य अधिकारी पर इस प्रकार के फर्जीवाड़े का आरोप लगना न केवल गंभीर है, बल्कि यह सेना जैसी अनुशासित संस्था की छवि पर भी सवाल खड़े करता है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है और क्या इस मामले में कोई बड़ा खुलासा सामने आता है।
फिलहाल आरोपी अधिकारी की भूमिका और संभावित साजिश की परतें खुलने में वक्त लग सकता है। पुलिस विभाग और सेना दोनों ही मामले को गंभीरता से लेते हुए कानूनी कार्रवाई की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। आने वाले दिनों में इस प्रकरण में कुछ और चौंकाने वाले तथ्य सामने आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।