#अपराध
June 23, 2025
हिमाचल: सरकारी स्कूल में छात्र को जातिसूचक शब्द कह किया अपमानित, शौचालय में किया बंद
मां की शिकायत पर शिक्षक के खिलाफ मामला दर्ज
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मंडी। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के एक सरकारी स्कूल से एक शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। यहां एक 11वीं कक्षा के छात्र को को तीन घंटे तक शौचालय में बंद रखने के अलावा छात्र को जातिसूचक शब्द कह कर अपमानित करने के गंभीर आरोप लगे हैं। यह आरोप छात्र की मां ने सरकारी स्कूल के शिक्षक पर लगाए हैं। छात्र की मां की शिकायत पर पुलिस ने एससी एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत गंभीर धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई है।
उपमंडल सुंदरनगर की राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मलोह में पढ़ने वाले 11वीं कक्षा के छात्र के साथ हुई कथित अमानवीय और अपमानजनक घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना के बाद लोगों में खासा रोष है। लोग आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। वहीं सामाजिक संगठनों ने भी इस मामले को लेकर चिंता जताई है और शिक्षा विभाग से जवाब मांगा है।
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घटना शनिवार दोपहर की बताई जा रही है। पीड़ित छात्र की मां हिमा देवी निवासी नालनी ने सुंदरनगर पुलिस थाना में दर्ज करवाई शिकायत में आरोप लगाया है कि उनका बेटा दोपहर करीब 3 बजे से लापता था। जब वह शाम 6 बजे तक घर नहीं पहुंचा तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की। आखिरकार बच्चा स्कूल के बाथरूम में बंद मिला, जहां से उसे बाहर निकाला गया। मां का दावा है कि यह सब स्कूल के एक अध्यापक द्वारा जानबूझकर किया गया।
महिला ने अपनी शिकायत में एक शिक्षक पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि स्कूल का एक शिक्षक उसके बेटे को जातिसूचक शब्द कहकर अपमानित करता है और जान से मारने की धमकी भी देता है। शिक्षक की इन हरकतों के चलते उनका बेटा काफी डरा और सहमा रहता है और स्कूल जाने से भी इंकार करता है।
पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए भारतीय न्याय संहिता की धारा 127(2), 351(2) बीएनएस और अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1)(r) और 3(1)(s) के तहत मामला दर्ज किया है। डीएसपी सुंदरनगर भारत भूषण ने पुष्टि की कि मामला दर्ज कर लिया गया है और सभी पहलुओं से गहन जांच की जा रही है। वहीं इस मामले में स्कूल के प्रधानाचार्य कमल सिंह ने बताया कि वह दो दिन की छुट्टी पर थे। सोमवार को स्कूल पहुंचने के बाद इस मामले की जानकारी जुटाई जा रही है।
इस घटना ने एक बार फिर सरकारी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा और जातिगत भेदभाव के मुद्दे को सामने ला दिया है। क्या बच्चों के लिए सुरक्षित और समावेशी शिक्षा का माहौल वास्तव में उपलब्ध है और क्या शिक्षा जैसे पवित्र संस्थान में जातिगत सोच रखने वाले लोगों के लिए कोई जगह होनी चाहिए।