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July 10, 2025

हिमाचल: MC धर्मशाला के साथ लाखों की ठगी, आयुक्त के जाली हस्ताक्षर से की धोखाधड़ी

दिल्ली की निजी कंपनी ने धर्मशाला नगर निगम से की धोखाधड़ी

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MC Dharamshala News

धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश में एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। यह घोटाला कांगड़ा जिला के धर्मशाला नगर निगम के साथ हुआ है। धर्मशाला नगर निगम के साथ दिल्ली की एक निजी कंपनी ने सिक्योरिटी राशि के नाम बड़ी धोखाधड़ी की है। धर्मशाला नगर निगम ने इसकी शिकायत पुलिस थाना में दर्ज करवाई है। आरोप है कि निजी फर्म ने नगर निगम धर्मशाला के आयुक्त के नकली साइन और नकली मोहर का इस्तेमाल कर यह धोखाधड़ी की है। पुलिस ने मामला दर्ज कर आगामी जांच शुरू कर दी है। 

बैंक से संपर्क करने पर हुआ खुलासा

दरअसल दिल्ली की एक निजी कंपनी पर नगर निगम की सिक्योरिटी राशि (एफडीआर) में जालसाजी कर करोड़ों रुपए हड़पने का आरोप है। इस फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब नगर निगम  ने बैंक से संपर्क किया। जिसमें पता चला कि अनुबंध के तहत बतौर जमा करवाई गई सिक्योरिटी राशि को निजी फर्म ने पहले ही निकाल लिया है। अब इस मामले में नगर निगम की शिकायत पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच तेज कर दी है।

 

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क्या है पूरा मामला

नगर निगम धर्मशाला ने साल 2021 में दिल्ली की एक निजी कंपनी को शहर के 10 वार्डों में घर-घर कचरा संग्रहण का ठेका दिया था। इस ठेके के तहत कंपनी को 16.38 लाख रुपए की एफडीआर (फिक्स्ड डिपॉजिट रसीद) नगर निगम आयुक्त के नाम के साथ संयुक्त रूप से बैंक में जमा करनी थी। एफडीआर को भविष्य में अनुबंध उल्लंघन की स्थिति में जब्त किया जाना था।

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बैंक ने दी जानकारी

कुछ ही महीनों के भीतर कंपनी ने कार्य को ठीक से अंजाम देना बंद कर दिया और 14 अक्टूबर 2021 को बिना कोई पूर्व सूचना दिए काम छोड़ दिया। नगर निगम ने कई बार नोटिस भेजे, लेकिन कंपनी ने जवाब नहीं दिया। इसके बाद नगर निगम ने नया ठेका किसी अन्य एजेंसी को दे दिया। धर्मशाला नगर निगम ने ठेके की शर्तों के अनुसार दिल्ली की निजी कंपनी की एफडीआर की राशि जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन जब जुलाई 2025 में बैंक से एफडीआर की स्थिति जानने के लिए संपर्क किया गया, तो होश उड़ गए। बैंक ने जानकारी दी कि एफडीआर 10 मई 2024 को ही बंद की जा चुकी है और 20.13 लाख रुपए (ब्याज सहित) पहले ही निकाल लिए गए हैं।

 

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फर्जी हस्ताक्षर और नकली मुहर से हुई निकासी

नगर निगम द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों की प्रारंभिक जांच में यह पाया गया कि एफडीआर को बंद करने के लिए निगम आयुक्त के फर्जी हस्ताक्षरों का इस्तेमाल किया गया है। साथ ही एफडीआर दस्तावेज़ों पर लगी मुहर भी नकली पाई गई। यानी इस पूरी प्रक्रिया में न केवल सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ की गई, बल्कि सरकारी धन की धोखाधड़ी से निकासी की गई है।

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पुलिस जांच शुरू

एसएसपी कांगड़ा शालिनी अग्निहोत्री ने बताया कि धर्मशाला थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। प्राथमिकी में स्पष्ट रूप से सरकारी दस्तावेजों की जालसाजी, हस्ताक्षर की फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी से बैंक से रकम निकालने की बात कही गई है। पुलिस इस समय एफडीआर दस्तावेजों की सत्यता, बैंक की प्रक्रिया, और पैसे की निकासी में शामिल सभी पक्षों की जांच कर रही है। जल्द ही संबंधित बैंक अधिकारियों, नगर निगम कर्मचारियों और ठेका कंपनी के प्रतिनिधियों से पूछताछ की जाएगी।

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नगर निगम को भारी वित्तीय नुकसान

इस फर्जीवाड़े के चलते नगर निगम को न केवल आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है, बल्कि सरकारी तंत्र की पारदर्शिता और सुरक्षा प्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं। एक ओर जहां जनता के टैक्स का पैसा सुरक्षित नहीं है, वहीं ठेका प्रणाली की निगरानी और अनुबंध की वैधता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

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