#विविध
July 10, 2025
जयराम ठाकुर बांटते रहे लोगों का दर्द, 10 दिन बाद लौटे-तो अपने घर की तबाही देख हुए दुखी
आपदा में क्षतिग्रस्त हुआ जयराम ठाकुर का तांदी में स्थित घर और बगीचा
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मंडी। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला में 30 जून की रात को आई भयंकर प्राकृतिक आपदा ने जमकर कहर ढाया था। मंडी जिला में एक ही रात में करीब 1200 घर क्षतिग्रस्त और जमींदोज हो गए थे। आपदा ने किसी को भी नहीं बख्शा, चाहे आम हो या खास हर कोई इस तबाही की चपेट में आ गया। इसका एक उदाहरण आज उस समय देखने को मिला, जब पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर 10 दिन तक आपदा पीड़ितों का दर्द बांटने और राहत कार्यों में जुटने के बाद आज अपने पैतृक गांव सराज के तांदी पहुंचे।
जयराम ठाकुर जैस ही अपने पैतृक गांव पहुंचे और अपने बचपन के घर को देखा तो काफी मायूस हुए। जयराम ठाकुर का अपना घर भी आपदा की चपेट में आ चुका था। वहीं उनका आधे से ज्यादा बगीचा भी बाढ़ में तबाही का शिकार हो चुका था। अपने बचपन के घर की हालत देख कर जयराम ठाकुर खुद भी गमगीन हो उठे।
दरअसल आपदा प्रभावितों के बीच रहकर दिन.रात राहत कार्यों में जुटे जयराम ठाकुर लोगों का दर्द बांटते.बांटते अपने घर की सुध ही नहीं ले पाए। कनेक्टिविटी न होने और व्यस्तता के कारण उन्हें यह भी खबर नहीं थी कि उनका अपना बचपन का आशियाना भी अब रहने लायक नहीं रहा है। लेकिन जब वह आज अपने गांव पहुंचे तो देखा कि उनका पुश्तैनी घर दरारों से चीर चुका है, गोशाला और शौचालय धराशायी हो चुके हैं और उनका सुंदर बगीचा आधा बह गया है। वहां भूस्खलन से सड़क भी धंस गई है और लैंडस्लाइड रोकने के लिए सिर्फ तिरपाल का सहारा लिया गया है।
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बता दें कि पूर्व सीएम जयराम ठाकुर का यह पुश्तैनी घर तांदी गांव में है। जयराम ठाकुर वर्षों तक इसी घर में रहे हैं। हालांकि बाद में उन्होंने अपने पुराने घर से थोड़ी ही दूरी पर अपना नया घर बना लिया है। जबकि पुश्तैनी घर में जयराम ठाकुर का दूसरे नंबर का भाई बीरी सिंह अपने परिवार के साथ रहता है। लेकिन इस पुश्तैनी घर में जयराम ठाकुर का बचपन बीता है और इससे उनकी बचपन की यादें जुड़ी हुई हैं। आपदा ने जयराम ठाकुर के इस पुश्तैनी घर को भी चपेट में ले लिया।
यह दृश्य खुद जयराम ठाकुर के लिए भी बेहद भावुक कर देने वाला था। जिस घर में उन्होंने अपने जीवन के शुरुआती साल बिताए, वह अब खतरे की जद में है। उनके छोटे भाई बीरी सिंह और बड़े भाई अनंत राम का नया घर भी प्रभावित हुआ है। जयराम ठाकुर मायूस जरूर दिखे, लेकिन अपने परिजनों से मिलते ही फिर से राहत कार्यों में जुट गए। इस त्रासदी ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि आपदा ने किसी को नहीं छोड़ा, ना आम आदमी को, ना ही प्रदेश के शीर्ष नेताओं को।
बता दें कि हिमाचल के मंडी जिला में 30 जून को आई भयंकर आपदा ने जमकर तबाही मचाई थी। इस आपदा में मंडी जिले में 1200 घर टूट चुके हैं, 15 लोगों की जान जा चुकी है और 28 लोग अब भी लापता हैं। अकेले सराज घाटी में अब तक 500 से अधिक घर आंशिक या पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।
इस घटना के बाद पहली जुलाई से ही जयराम ठाकुर लगातार सराज क्षेत्र में मौजूद रहे और राहत.बचाव कार्यों की निगरानी करते रहे। उन्होंने हर गांव, हर पीड़ित तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन इस व्यस्तता में उन्हें खुद अपने घर की त्रासदी का पता ही नहीं चला। अपने पुराने घर की दशा देखकर मायूस जरूर हुए, लेकिन जयराम ठाकुर ने अपने दर्द को पीछे रखते हुए एक बार फिर क्षेत्रीय जनता की मदद को प्राथमिकता दी। उनके इस समर्पण की सराहना चारों ओर हो रही है। नेता प्रतिपक्ष होने के बावजूद उन्होंने राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर सिर्फ इंसानियत को महत्व दिया।