#अपराध
July 10, 2025
हिमाचल: पुल पर खड़ा था बुजुर्ग, अचानक उफनती नदी में लगा दी छलांग; मचा हड़कंप
नदी के तेज बहाव में बुजुर्ग कुछ ही पलों में हो गया ओझल
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चंबा। हिमाचल प्रदेश में आपदा के बीच एक दर्दनाक घटना सामने आई है। यहां एक व्यक्ति ने पुल से सीधे नदी में छलांग लगा दी है। यह घटना हिमाचल के चंबा जिला से सामने आई है। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है। स्थानीय लोगों की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने तुरंत ही सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है, लेकिन अभी तक शख्स का कोई सुराग नहीं लगा है।
मिली जानकारी के अनुसार आज गुरुवार को चंबा जिला के साथ लगते भड़ियां पंचायत में उस समय हड़कंप मच गया, जब एक बुजुर्ग ने करिया भड़ियां पुल से रावी नदी में छलांग लगा कर आत्महत्या कर ली। बुजुर्ग ने पुल से सीधे उफनती रावी नदी में छलांग लगा दी। पानी का बहाव तेज होने के चलते कुछ ही सेकेंड के बाद बुजुर्ग पानी में समा गया और लापता हो गया।
पुलिस को दी जानकारी में प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि एक बुजुर्ग व्यक्ति पुल के बीचों बीच खड़ा था। इससे पहले की कोई कुछ समझ पाता और बुजुर्ग को रोक पाता, बुजुर्ग ने अचानक से पुल से नीचे नदी में छलांग लगा दी। तेज बहाव वाली रावी नदी की धारा में वह कुछ ही पलों में आंखों से ओझल हो गया। इस बुजुर्ग की पहचान चंबा की चनोखड़ी गांव निवासी के रूप में हुई है। जिनकी उम्र 88 साल के करीब ताई जा रही है।
हादसे की जानकारी मिलते ही चंबा सदर थाना की टीम थाना प्रभारी सुरेंद्र कुमार के नेतृत्व में मौके पर पहुंची। पुलिस ने स्थानीय ग्रामीणों की सहायता से त्वरित सर्च ऑपरेशन शुरू किया। हालांकि, नदी की तेज बहाव और पत्थरों से भरे दुर्गम इलाकों के कारण राहत कार्यों में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। अभी तक लापता बुजुर्ग का कोई सुराग नहीं मिल पाया है।
पुलिस ने प्रारंभिक जांच में बताया कि लापता व्यक्ति की पहचान चंबा की चनोखड़ी गांव के निवासी के रूप में हुई है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि बुजुर्ग ने यह कदम किन परिस्थितियों में उठाया। पुलिस परिजनों और स्थानीय लोगों से पूछताछ कर घटना के पीछे की वजह जानने का प्रयास कर रही है।
स्थानीय प्रशासन ने भी इस घटना को गंभीरता से लेते हुए रावी नदी के किनारे निगरानी बढ़ाने और तलाश अभियान को तेज करने के निर्देश दिए हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि सर्च ऑपरेशन में एनडीआरएफ या गोताखोरों की टीम को भी शामिल किया जाए, ताकि बुजुर्ग को जल्द से जल्द ढूंढा जा सके। यह घटना एक बार फिर से बुजुर्गों की मानसिक स्थिति और सामाजिक समर्थन तंत्र पर सवाल खड़े करती है। 88 वर्षीय व्यक्ति द्वारा ऐसा कदम उठाना कई संवेदनशील पहलुओं की ओर संकेत करता है जिन पर समाज और प्रशासन दोनों को गंभीरता से विचार करना चाहिए।