#अपराध
May 4, 2025
हिमाचल : फर्जी डॉक्यूमेंट्स पर लिया 56 लाख का लोन- फिर फॉर्च्यूनर गाड़ी खरीद करने लगा अय्याशी
बैंक अधिकारियों की भूमिका बेहद संदिग्ध मानी जा रही है
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शिमला। हिमाचल प्रदेश के धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। आए दिन कई लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। कुछ शातिर दूसरों के जरूरी दस्तावेज इस्तेमाल कर ठगी को अंजाम दे रहे हैं। इसी कड़ी में ताजा मामला हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से सामने आया है- यहां पर एक व्यक्ति ने चार लोगों के दस्तावोजों का गलत इस्तेमाल किया है।
आरोपी ने चार लोगों के फर्जी दस्तावेज तैयार कर बैंक से 56.53 लाख रुपए का लोन लिया है। इतना ही नहीं इसी रकम से उसने लग्जरी गाड़ी फॉर्च्यूनर तक खरीद डाली। मामले का खुलासा होने पर चार पीड़ितों ने पुलिस में आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है।
आपको बता दें कि यह चौंकाने वाला मामला ठियोग क्षेत्र से सामने आया है। मामले की शिकायत ठियोग निवासी इंद्र सिंह, अनिल वर्मा, जगदीश और हरीश चौहान ने शिकायत दर्ज करवाई है। मामले में पुलिस टीम ने मुख्य आरोपी और दो तत्कालीन बैंक अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर आगामी जांच शुरू कर दी है।
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि भलेच गांव के रहने वाले संजीव कुमार ने उनके नाम पर फर्जी पहचान पत्र और अन्य दस्तावेज तैयार कर बैंक में ऋण के लिए आवेदन किया। सबसे हैरानी की बात यह है कि ऋण की सारी प्रक्रिया बैंक अधिकारियों की आंखों के सामने पूरी होती रही, मगर उन्होंने संदेह तक नहीं जताया।
बैंक ऑफ इंडिया की सरोग शाखा में यह धोखाधड़ी उस समय हुई जब वहां एक शाखा प्रबंधक और कैशियर तैनात थे। आरोप है कि इन्हीं दोनों अधिकारियों की संजीव कुमार से मिलीभगत थी, जिसके चलते फर्जीवाड़े की पूरी प्रक्रिया आसान हो गई। शिकायतकर्ताओं के मुताबिक, उन्होंने कभी कोई ऋण नहीं लिया, लेकिन जब उनके पास रिकवरी से संबंधित नोटिस और फोन कॉल आने लगे तो उन्हें शक हुआ। इसके बाद जब उन्होंने बैंक से संपर्क किया तो सारा मामला सामने आया।
पुलिस जांच में पता चला है कि संजीव कुमार ने लोन लिमिट बनवाने के लिए जिन दस्तावेजों का उपयोग किया, वे या तो पूरी तरह फर्जी थे या असली दस्तावेजों में छेड़छाड़ करके तैयार किए गए थे। यहां तक कि एक शिकायतकर्ता, जगदीश के नाम पर संजीव कुमार ने ऑटो लोन लेकर महंगी फॉर्च्यूनर गाड़ी खरीदी, जो वर्तमान में भी उसी के पास बताई जा रही है।
इस धोखाधड़ी में बैंक अधिकारियों की भूमिका बेहद संदिग्ध मानी जा रही है। शिकायतकर्ताओं का यह भी आरोप है कि बैंक अधिकारियों ने न सिर्फ बिना दस्तावेजों की गहन जांच किए ऋण स्वीकृत किए, बल्कि पूरे मामले में संजीव को खुली छूट दी गई।
पुलिस के अनुसार, मामला गंभीर वित्तीय अपराध की श्रेणी में आता है और इसमें डिजिटल दस्तावेजों की फोरेंसिक जांच भी करवाई जाएगी। मामले की जांच उच्च स्तर पर चल रही है और पुलिस का कहना है कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस का कहना है कि मामले में कई गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
लोगों का कहना है कि यह मामला न केवल बैंकिंग व्यवस्था में लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस तरह एक व्यक्ति फर्जी दस्तावेजों के दम पर लाखों की धोखाधड़ी को अंजाम दे सकता है, अगर बैंक अधिकारियों की मिलीभगत हो।