#अव्यवस्था
November 6, 2025
विक्रमादित्य जी जरा यहां भी देखिए, आजादी के 78 साल बाद भी पालकी में दम तोड़ रहे मरीज !
पालकी पर निकली मरीज की जा*न, आधे रास्ते से देह लेकर लाैटे ग्रामीण
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चंबा। आज़ादी के 78 साल बाद भी हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में सड़क जैसी मूलभूत सुविधा का अभाव गंभीर मुद्दा बना हुआ है। आज भी प्रदेश के कई ऐसे गांव हैं जो सड़कों से नहीं जुड़ पाए हैं। हालांकि चुनावों के समय प्रदेश की सरकारें हर गांव को सड़क सुविधा देने की बात कहती है, लेकिन चुनाव के बाद यह वादे कागजों में कहीं खो जाते हैं। जिसका नतीजा यह है कि आज आजादी के 78 साल बाद भी कई गांवों में सड़क नहीं पहुंच पाई है।
इन गांवों में जब कोई बीमार हो जाता है तो उसे ग्रामीण पालकी में डाल कर घंटों पैदल सफर कर सड़क तक पहुंचाते हैं और फिर अस्पताल पहुंचाया जाता है। कई बार तो समय पर अस्पताल ना पहुंच पाने से मरीज की पालकी में ही मौत भी हो जाती है। ऐसा ही कुछ पिछले दिनों चंबा जिला के उपमंडल सलूणी के उपतहसील तेलका में भी देखने को मिला था।
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दरअसल उपतहसील तेलका की ग्राम पंचायत भजोत्रा के कई गांव आज भी सड़क सुविधा से वंचित हैं। इस संकट का एक दर्दनाक उदाहरण सामने आया जब एक बुजुर्ग मरीज को अस्पताल पहुंचाने के लिए पालकी में डालकर ले जाया गया, लेकिन वह रास्ते में ही दम तोड़ दिया। आक्रोशित ग्रामीणों को मजबूरन शव को आधे रास्ते से वापस अपने गांव ले जाना पड़ा।
ग्राम पंचायत भजोत्रा के द्रोड़, शाला, रणहोटी, मटवाड़, जलेली, भोता, चटेला, भिड़ और पोठा जैसे दर्जनों गांव आज भी सड़क सुविधा के अभाव में तड़प रहे हैं। स्थानीय निवासी अपनी रोजमर्रा की जरूरतें भी खच्चरों या पीठ पर सामान लादकर पूरी करने को मजबूर हैं। इससे ग्रामीणों को न केवल आर्थिक बल्कि मानसिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
पंचायत उपप्रधान कमलेश कपूर और वार्ड सदस्य घबर सिंह ने कहा कि जब कोई बीमार होता है, तो उसे पालकी में डालकर मुख्य सड़क तक पहुंचाना हमारी मजबूरी है। इस दौरान कई बार मरीजों की जान भी जा चुकी है। यह हमारे लिए असली त्रासदी है। सरकार और लोक निर्माण विभाग ने बार.बार वादे किए, लेकिन जमीन पर अब तक कुछ भी नहीं हुआ।
राज्य सरकार और लोक निर्माण विभाग का जिम्मा संभाल रहे मंत्री विक्रमादित्य सिंह के बयान में लगातार यह दावा किया जाता रहा है कि प्रदेश में सड़क नेटवर्क को मजबूत करने और ग्रामीण इलाकों तक सड़कों का जाल बिछाने के प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह अक्सर ग्रामीण कनेक्टिविटी को प्राथमिकता देने की बात करते रहे हैं। लेकिन तेलका क्षेत्र में हालात इसके बिल्कुल विपरीत हैं। ग्राम भजोत्रा और आसपास के गांवों में सड़क निर्माण की प्रक्रिया आधी अधूरी है और वर्षों से लोग सड़क सुविधा के लिए गुहार लगाते रहे हैं।
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स्थानीय ग्रामीण दर्शन कुमार, संदीप कुमार और संजय कुमार ने कहा कि आजादी के इतने सालों बाद भी हम सड़क के अभाव में अपना जीवन नहीं जी पा रहे। सरकार के दावे और वास्तविकता में बहुत बड़ा फर्क है। जब तक सड़क नहीं बनेगी, हम इस दुखद जीवन से उबर नहीं पाएंगे।
लोक निर्माण विभाग भलेई के सहायक अभियंता रजत सहगल ने आश्वासन दिया है कि वतरवाह से द्रोड़ गांव तक सड़क मार्ग का सर्वेक्षण जल्द पूरा किया जाएगा और इसके बाद निर्माण कार्य अमल में आएगा। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की मांगों को गंभीरता से लिया जा रहा है, और जल्द ही सड़क निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।