#अव्यवस्था
November 5, 2025
हिमाचल के सरकारी स्कूलों में घट गए एक लाख स्टूडेंट्स, मगर क्यों? जानें कारण
प्राइवेट स्कूल का रुख कर रहे सरकारी स्कूलों के बच्चे
शेयर करें:

शिमला। हिमाचल प्रदेश में सरकारी स्कूलों से विद्यार्थियों का पलायन लगातार बढ़ रहा है। राज्य सचिवालय में जारी सांख्यिकी ईयर बुक 2024-25 के ताजा आंकड़ों ने इस प्रवृत्ति को और स्पष्ट कर दिया है
साल 2022-23 से 2024-25 के बीच मात्र तीन वर्षों में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या लगभग एक लाख कम हो गई। इनमें 57,290 लड़के और 46,368 लड़कियां शामिल हैं, जिन्होंने सरकारी संस्थानों को छोड़कर निजी स्कूलों का रुख किया।
साल 2022-23 में सरकारी स्कूलों में कुल 8,09,000 विद्यार्थी पंजीकृत थे, जबकि यह संख्या घटकर 2024-25 में 7,05,342 रह गई। यह गिरावट उन चिंताओं को और गहरा करती है, जो वर्षों से सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता, सुविधाओं और शिक्षण वातावरण को लेकर उठती रही हैं।
विशेषज्ञों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इसके पीछे कई कारण जुड़े हैं-
सांख्यिकी ईयर बुक में यह भी सामने आया है कि सबसे अधिक नामांकन में गिरावट ग्रामीण इलाकों में दर्ज की गई है। कई छोटे स्कूलों में तो स्थितियां इतनी गंभीर हो गई हैं कि-
दूसरी ओर, शिमला, कांगड़ा, सोलन और मंडी जैसे शहरी जिलों में निजी स्कूलों का विस्तार तेज़ी से हुआ है। यहां अभिभावक प्रतिस्पर्धी माहौल और अधिक परिणाम देने वाली शिक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं।
दिलचस्प आंकड़ा यह है कि विद्यार्थियों की संख्या जहां एक लाख तक घट गई, वहीं शिक्षकों की संख्या में सिर्फ 699 की कमी दर्ज की गई।
यह स्थिति प्रशासन के सामने प्रबंधन और संसाधन संतुलन से जुड़ी नई चुनौतियां खड़ी कर रही है- जहां कुछ स्कूलों में शिक्षक कम हैं, वहीं कुछ में छात्र ही नहीं बचे।
स्कूल शिक्षा निदेशक आशीष कोहली के अनुसार सरकार नामांकन बढ़ाने को लेकर गंभीर है और कई सुधार पहले ही लागू करने शुरू कर दिए गए हैं। 100 सरकारी स्कूलों में CBSE पैटर्न लागू किया जा रहा है। राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूलों का निर्माण जारी है, जहां- स्मार्ट क्लास, खेल सुविधाएं, परिवहन, तकनीकी लैब जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। सभी सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम अनिवार्य किया जा चुका है। कोहली का कहना है कि “इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम आने वाले शैक्षणिक सत्र से दिखना शुरू हो जाएंगे।
यह बदलाव हिमाचल के शिक्षा ढांचे में दीर्घकालिक असर छोड़ सकता है-