#उपलब्धि
November 4, 2025
हिमाचल के दो सगे भाइयों ने किया कमाल : CA बन पूरा की अकाउंटेंट पिता की दिली-ख्वाहिश
चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) जैसी कठिन और प्रतिष्ठित परीक्षा को पहले ही प्रयास में पास कर लिया
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सिरमौर। मेहनत वो चाबी है जो हर ताले को खोल देती है, जिसे अपने सपनों पर भरोसा हो- मंजिल खुद बोल देती है। हिमाचल प्रदेश के शांत और खूबसूरत शहर नाहन से प्रेरणा से भरी एक कहानी सामने आई है- ऐसी कहानी जो बताती है कि सपने अगर सच्चे हों और इरादे मजबूत, तो कोई परीक्षा मुश्किल नहीं रहती।
इस कहानी के नायक हैं दो सगे भाई-निकुंज बंसल और सौभाग्य बंसल, जिन्होंने अकाउंट्स के क्षेत्र में अपनी मेहनत और लगन से परिवार का नाम रोशन किया है। बड़े बेटे निकुंज बंसल ने चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) जैसी कठिन और प्रतिष्ठित परीक्षा को पहले ही प्रयास में पास कर लिया।
यह उपलब्धि न केवल उनके समर्पण का परिणाम है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और दिशा सही, तो मंजिल दूर नहीं रहती। CA की परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में गिना जाता है, जहां अधिकतर छात्रों को कई प्रयासों के बाद सफलता मिलती है। मगर निकुंज ने अपनी लगन और निरंतर अभ्यास से यह बाधा पहली बार में पार कर ली।
बड़े भाई के नक्शे-कदम पर चलते हुए सौभाग्य बंसल ने भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। उन्होंने भी अकाउंट्स परीक्षा पहले ही अटेम्प्ट में शानदार अंकों से पास की है और अब CA फाइनल की तैयारी में जुट गए हैं। उनका सपना है कि जल्द ही वह भी अपने भाई की तरह चार्टर्ड अकाउंटेंट बनकर पिता का सिर गर्व से ऊंचा करें।
इस सफलता के पीछे एक भावनात्मक कहानी छिपी है। पिता संजीव बंसल, जो एक अकाउंट्स मैनेजर हैं, कभी खुद सीए बनना चाहते थे। लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें यह सपना पूरा करने का मौका नहीं दिया।
जीवन की जिम्मेदारियों और सीमाओं के बीच वह सपना अधूरा रह गया। आज उनके दोनों बेटों ने वही सपना साकार कर दिया और यही इस परिवार की सबसे बड़ी उपलब्धि है। बेटों की सफलता देखकर पिता की आंखों में गर्व और खुशी दोनों झलकते हैं।
मां सोनाली बंसल, जो गृहिणी हैं, ने अपने बेटों की हर सफलता में मौन सहारा बनकर योगदान दिया। उन्होंने दिन-रात बच्चों के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाया, ताकि वे पढ़ाई पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित कर सकें। निकुंज और सौभाग्य दोनों ने अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने माता-पिता को दिया है।
दोनों भाइयों ने कहा कि अगर माता-पिता का अटूट विश्वास और त्याग न होता, तो यह उपलब्धि असंभव थी। उनका कहना है कि हर सफलता के पीछे मां की दुआ और पिता का धैर्य होता है और वही असली प्रेरणा का स्रोत है।
निकुंज और सौभाग्य की यह उपलब्धि नाहन शहर के साथ-साथ पूरे हिमाचल प्रदेश के युवाओं के लिए एक मिसाल है। जहां आज के समय में युवा दिशा खोजने में उलझे रहते हैं, वहीं इन दोनों भाइयों ने दिखा दिया कि मंजिल उन्हें ही मिलती है जो मेहनत को आदत बना लेते हैं।