#अव्यवस्था

December 19, 2025

मंत्री विक्रमादित्य के दावों की खुली पोल: 5 माह में 3 KM सड़क नहीं हुई बहाल; कंधों पर मरीज

खराब रस्तों के कारण मरीजों की जान पर बन आती है बात

शेयर करें:

Himachal Roads Blocked

मंडी। हिमाचल प्रदेश में आपदा से बिगड़े हालात अभी तक पटरी पर नहीं लौट पाए हैं। प्रदेश की सुक्खू सरकार अभी भी कई क्षेत्रों की सड़कों का बहाल करने में नाकाम साबित हुई है। लोक निर्माण विभाग का जिम्मा संभाल रहे मंत्री विक्रमादित्य अकसर गांव गांव में सड़कों का जाल बिछाने और लोगों को बेहतर सड़क सुविधा देने की बातें करते हैं, लेकिन धरातल पर यह कितना सच साबित होता है, जिसकी तस्वीर मंडी जिला से सामने आ रही हैं। यहां पांच माह पहले आई प्राकृतिक आपदा से टूटी सड़कें अभी तक बहाल नहीं हो पाई है। 

 

ताजा मामला मंडी जिला के सराज विधानसभा क्षेत्र से सामने आया है। यहां मंत्री विक्रमादित्य सिंह के दावों की पोल खोलती एक तस्वीर सामने आई है। यहां पांच माह पहले आपदा में टूटी तीन किलोमीटर की सड़क अभी तक बहाल नहीं हो पाई है। जिसके चलते क्षेत्र के लोगों को बीमार होने पर मरीजों को कंधों पर उठाकर पैदल सफर करना पड़ रहा है। 

आपदा से बंद पड़ीं सड़कें

30 जून 2025 की रात सराज क्षेत्र में भारी बारिश और भूस्खलन ने सड़कों को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया था। कई संपर्क मार्ग या तो पूरी तरह बह गए या बड़े-बड़े मलबे से पट गए। प्रशासन और लोक निर्माण विभाग ने उस समय जल्द बहाली के दावे किए थे, लेकिन 6 महीने बीत जाने के बाद भी स्थिति में खास सुधार नजर नहीं आ रहा।

यह भी पढ़ें : HRTC बस में थप्पड़ों की बारिश : महिला की टिकट को लेकर भिड़े कंडक्टर-अधिकारी, केस दर्ज

6 महीने बाद भी नहीं खुलीं

कई गांवों का सड़क संपर्क आज भी कटा हुआ है, जिससे लोगों का दैनिक जीवन पूरी तरह प्रभावित हो रहा है। सराज विधानसभा क्षेत्र की काऊ पंचायत में हालात सबसे ज्यादा चिंताजनक हैं। पंचायत के दर्जनों गांव सारली–पनाला सड़क पर निर्भर हैं, लेकिन यह सड़क छह महीने बाद भी बंद पड़ी है।

3KM सड़क भी नहीं खोल पाई सरकार

ग्रामीणों का आरोप है कि लोक निर्माण विभाग इतने लंबे समय में महज तीन किलोमीटर सड़क तक बहाल नहीं कर पाया। सड़क बंद होने से गांवों में राशन, दवाइयां और अन्य जरूरी सामान पहुंचाना एक बड़ी चुनौती बन गया है। लोग पीठ पर बोझ ढोकर कई किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर हैं।

यह भी पढ़ें : हिमाचल में कैमरे की चमक से दूर रहेंगे पुलिसवाले, मीडिया इंटरव्यू पर भी लगी रोक- नए नियम जारी

कंधों पर ढोए जा रहे मरीज

सड़क न होने का सबसे भयावह असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है। गुरुवार को काऊ पंचायत निवासी रमेश कुमार को अचानक सीने में तेज दर्द उठा। स्थिति गंभीर देख उनकी पत्नी ने पंचायत प्रधान को सूचना दी। इसके बाद गांव के कुछ लोगों ने मिलकर रमेश कुमार को कंधों पर उठाया और पालकी के सहारे मुख्य सड़क मलैही तक पहुंचाया। वहां से किसी तरह निजी वाहन की व्यवस्था कर उन्हें जोनल अस्पताल मंडी ले जाया गया।

मरीजों की जान पर बन आती है बात

ग्रामीणों का कहना है कि यह कोई एक घटना नहीं है। आए दिन गंभीर मरीजों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को इसी तरह कंधों पर उठाकर सड़क तक पहुंचाया जाता है। कई बार खराब रास्तों और देरी के कारण मरीजों की जान पर भी बन आती है।

यह भी पढ़ें : कल हिमाचल को बड़ी सौगात देने आ रहे अमित शाह- CM को भी दौरे से आस, यहां होगा कार्यक्रम

ग्रामीणों का दर्द, सरकार से गुहार

ग्रामीणों ने बताया कि गांव के लोग बेहद डर और असुरक्षा के माहौल में जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब भी किसी की तबीयत बिगड़ती है, तो सबसे पहले यही सवाल उठता है कि उसे अस्पताल तक कैसे पहुंचाया जाए। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि सड़क बहाली को प्राथमिकता दी जाए, ताकि लोगों को इस तरह की अमानवीय परिस्थितियों से न गुजरना पड़े।

छह महीने से फंसी गाड़ियां

लोगों ने बताया कि पनाला गांव में पिछले छह महीनों से करीब 12 वाहन फंसे हुए हैं। सड़क बंद होने के कारण ये गाड़ियां वहीं खड़ी-खड़ी खराब हो रही हैं और कबाड़ बनने की कगार पर पहुंच चुकी हैं।

यह भी पढ़ें : दिल्ली के बाद अब हिमाचल में फैला प्रदूषण : कई इलाकों का बुरा हाल, बच्चे-बुजुर्ग पड़ रहे बीमार

आम जनता की तकलीफ का नहीं अंदाजा

वाहन मालिकों की परेशानी यह है कि वे गाड़ियां इस्तेमाल नहीं कर पा रहे, लेकिन बैंक की किस्तें समय पर चुकानी पड़ रही हैं। उनका कहना है कि जनप्रतिनिधि और मंत्री गाड़ियों में आराम से सफर करते हैं, इसलिए उन्हें आम लोगों की तकलीफ का अंदाजा नहीं है।

बजट के अभाव में अटकी बहाली

प्रशासन की ओर से भी स्थिति को लेकर सफाई दी जा रही है। बालीचौकी के SDO भूपेंद्र सिंह ने बताया कि सड़क के एक हिस्से में करीब 100 मीटर मार्ग पूरी तरह बह चुका है। इस हिस्से की मरम्मत और बहाली के लिए लगभग 45 से 50 लाख रुपये की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बजट मिलते ही सड़क को बहाल कर दिया जाएगा।

यह भी पढ़ें :  हिमाचल में बदला मौसम का मिजाज- अलगे 2 दिन बर्फबारी का अलर्ट जारी, मैदानों में होगी बारिश

सवालों के घेरे में व्यवस्था

सराज विधानसभा क्षेत्र की मौजूदा स्थिति कई सवाल खड़े करती है-

  • क्या सड़क जैसी बुनियादी सुविधा बहाल न होना सिस्टम की विफलता नहीं है?
  • क्या ग्रामीणों को आज भी पालकी और कंधों के सहारे अस्पताल पहुंचना पड़ेगा?
  • आपदा के 6 महीने बाद भी सड़केंस क्यों हैं बंद?
  • कब तक परेशानी झेलते रहेंगे लोग?

नोट : ऐसी ही तेज़, सटीक और ज़मीनी खबरों से जुड़े रहने के लिए इस लिंक पर क्लिक कर हमारे फेसबुक पेज को फॉलो करें

ट्रेंडिंग न्यूज़
LAUGH CLUB
संबंधित आलेख