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December 19, 2025

हिमाचल में कैमरे की चमक से दूर रहेंगे पुलिसवाले, मीडिया इंटरव्यू पर भी लगी रोक- नए नियम जारी

हिमाचल पुलिस मुख्यालय का सख्त फरमान

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 Himachal Police Norms Media Statement

शिमला। हिमाचल प्रदेश पुलिस में लंबे समय से चल रही अफसरों की मीडिया परेड पर आखिरकार ब्रेक लग गया है। पुलिस मुख्यालय ने सख्त संदेश दे दिया है कि वर्दी पहनकर कैमरे के सामने बयान देना या अपनी उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटना अब अनुशासनहीनता माना जाएगा।

हिमाचल पुलिस मुख्यालय का बड़ा फरमान

नए आदेशों के साथ पुलिस महकमे में यह साफ कर दिया गया है कि सूचना का रास्ता अब व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सिस्टम के जरिए ही तय होगा। पुलिस मुख्यालय का साफ संदेश है कि पुलिसिंग अब शो का हिस्सा नहीं, बल्कि पूरी तरह नियंत्रित और जिम्मेदार प्रक्रिया होगी।

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‘कैमरा कल्चर’ पर लगाई लगाम

दरअसल, बीते कुछ समय से पुलिस अधिकारियों द्वारा मीडिया और सोशल मीडिया पर सक्रियता बढ़ने को लेकर पुलिस मुख्यालय असहज था। कई मामलों में अलग-अलग स्तर से दी गई जानकारियों के चलते न केवल जांच प्रभावित हुई, बल्कि जनता के बीच भ्रम की स्थिति भी बनी। इसी को ध्यान में रखते हुए DGP कार्यालय ने एक स्पष्ट और कड़ा फरमान जारी कर दिया है। अब पुलिस की ओर से कोई भी जानकारी केवल तय प्रक्रिया और अनुमति के बाद ही सार्वजनिक की जाएगी।

अब कौन बोलेगा और कौन नहीं?

नए आदेशों में सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए स्पष्ट पदानुक्रम तय कर दिया गया है। इसके अनुसार-

  • अब केवल जिला SP और रेंज स्तर के DIG ही मीडिया को आधिकारिक बयान देने के लिए अधिकृत होंगे। वह भी तब, जब पुलिस मुख्यालय से पूर्व अनुमति ली गई हो।
  • थाना प्रभारी SHO, सब-डिवीजन स्तर के अधिकारी (SDPO/DSP) और अन्य निचले स्तर के अधिकारी मीडिया से किसी भी प्रकार का बयान देने से पूरी तरह वर्जित रहेंगे।

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इंटरनेट से लेकर अखबार तक पाबंदी

यह आदेश केवल TV चैनलों तक सीमित नहीं है। इसके दायरे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी पूरी तरह शामिल किए गए हैं। फेसबुक, X (ट्विटर), इंस्टाग्राम या किसी अन्य डिजिटल माध्यम पर पुलिस कार्रवाई, गिरफ्तारी, जांच या व्यक्तिगत उपलब्धियों से जुड़ी पोस्ट करना अब नियमों का उल्लंघन माना जाएगा।

कोई भी बयान नहीं दे सकते

इसके अलावा प्रिंट मीडिया को सीधे बयान देना, केस की जानकारी साझा करना या किसी जांच पर टिप्पणी करना भी प्रतिबंधित रहेगा। यहां तक कि नई पोस्टिंग के बाद अपनी प्राथमिकताओं या कार्यशैली पर इंटरव्यू देना भी अब नियमों के खिलाफ होगा।

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नियम नए नहीं, सख्ती नई है

पुलिस मुख्यालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह कोई नया कानून नहीं बनाया गया है, बल्कि पहले से मौजूद नियमों को सख्ती से लागू किया जा रहा है। आदेश में केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम 1964, हिमाचल पुलिस अधिनियम 2007 और पंजाब पुलिस रूल्स का हवाला दिया गया है। इन नियमों के तहत पहले भी बिना अनुमति मीडिया से बातचीत वर्जित थी, लेकिन अब इसकी निगरानी और सख्ती कई गुना बढ़ा दी गई है।

उल्लंघन पर होगी कड़ी कार्रवाई

DGP कार्यालय ने चेतावनी दी है कि अगर कोई भी अधिकारी या कर्मचारी इन निर्देशों की अनदेखी करता पाया गया, तो इसे गंभीर अनुशासनहीनता माना जाएगा। ऐसे मामलों में संबंधित अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की जाएगी और कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों और इकाइयों को इन आदेशों का पालन करने के निर्देश दिए हैं।

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क्यों जरूरी समझा गया यह फैसला?

पुलिस प्रशासन का मानना है कि अलग-अलग स्तरों से आने वाली बयानों और सूचनाओं के कारण कई बार जांच की गोपनीयता भंग होती है। कुछ मामलों में मीडिया ट्रायल जैसी स्थिति बन जाती है, जिससे न केवल केस कमजोर पड़ता है, बल्कि पुलिस की पेशेवर छवि भी प्रभावित होती है।

खामोशी में ही दिखेगी सख्ती

कुल मिलाकर, हिमाचल पुलिस का यह फैसला स्पष्ट संकेत देता है कि अब पुलिसिंग में दिखावे से ज्यादा महत्व अनुशासन, गोपनीयता और पेशेवर जिम्मेदारी को दिया जाएगा। वर्दी में कैमरे के सामने चमकने का दौर खत्म होने जा रहा है और अब खामोशी के साथ काम करने की नीति को प्राथमिकता दी जाएगी।

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