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December 19, 2025

दिल्ली के बाद अब हिमाचल में फैला प्रदूषण : कई इलाकों का बुरा हाल, बच्चे-बुजुर्ग पड़ रहे बीमार

इस साल हिमाचल में प्रदूषण ने तोड़े सारे रिकॉर्ड

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Himachal Air Pollution

सोलन। देवभूमि हिमाचल को आमतौर पर शुद्ध हवा, हरियाली और स्वास्थ्यवर्धक पर्यावरण के लिए जाना जाता है, लेकिन इस समय प्रदेश का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र बद्दी एक खतरनाक पर्यावरणीय संकट से जूझ रहा है।

हिमाचल में फैला प्रदूषण

हालात ऐसे बन चुके हैं कि यहां सांस लेना अब किसी बड़े महानगर की प्रदूषित सड़कों पर खड़े होने जैसा जोखिम भरा हो गया है। बद्दी की हवा में जहर इस कदर घुल चुका है कि वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंच गया है, जो सीधे तौर पर जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर चेतावनी मानी जाती है।

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हवा से हो रहा बुरा हाल

बीते एक सप्ताह से बद्दी के लोग प्रदूषण की चादर में लिपटी जिंदगी जीने को मजबूर हैं। हालात बुधवार को और अधिक बिगड़ते नजर आए, जब 18 दिसंबर को बद्दी का AQI 345 तक पहुंच गया। यह आंकड़ा न केवल चिंताजनक है, बल्कि स्वास्थ्य मानकों के लिहाज से बेहद खतरनाक श्रेणी में आता है।

 

इससे पहले भी हालात सामान्य नहीं थे-15 दिसंबर को AQI 260, 16 दिसंबर को 216 और 17 दिसंबर को 293 दर्ज किया गया। लगातार बढ़ता यह ग्राफ साफ संकेत दे रहा है कि समस्या अस्थायी नहीं, बल्कि गंभीर रूप ले चुकी है।

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सेहत पर सीधा असर

विशेषज्ञों का कहना है कि जब AQI 300 के पार चला जाता है, तो यह केवल दमा या हृदय रोगियों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी तरह स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी नुकसानदेह हो जाता है। बद्दी में इसका असर अब साफ दिखने लगा है।

अस्पतालों में बढ़ रही भीड़

स्थानीय लोग आंखों में जलन, गले में खराश, सांस लेने में दिक्कत और लगातार खांसी की शिकायत कर रहे हैं। बच्चों और बुजुर्गों पर इसका असर ज्यादा तेजी से पड़ रहा है। कई अभिभावकों का कहना है कि छोटे बच्चों को बाहर खेलने भेजना अब खतरे से खाली नहीं रहा।

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आखिर क्यों जहरीली हो गई बद्दी की हवा?

बद्दी की हवा में जहर घुलने के पीछे एक नहीं, बल्कि कई कारण एक साथ काम कर रहे हैं। सबसे बड़ा कारण औद्योगिक गतिविधियां हैं। सैकड़ों फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं और गैसें लंबे समय से पर्यावरण पर दबाव बना रही हैं। इसके साथ ही फोरलेन हाईवे के निर्माण कार्य ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। निर्माण स्थलों से उड़ती धूल दिनभर हवा में घुली रहती है, जिससे प्रदूषण का स्तर कई गुना बढ़ जाता है।

मौसम भी ओर गहरा कर रहा संकट

सर्दियों का मौसम भी इस संकट को और गहरा कर रहा है। ठंड के कारण हवा की रफ्तार धीमी हो जाती है, जिससे प्रदूषक तत्व वातावरण में ऊपर उठने के बजाय जमीन के पास ही जमा हो जाते हैं। इसके अलावा, भारी वाहनों की लगातार आवाजाही और कुछ क्षेत्रों में खुले में कचरा जलाने की घटनाएं भी प्रदूषण को बढ़ावा दे रही हैं।

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प्रशासन हरकत में, लेकिन चुनौती बड़ी

बिगड़ते हालात को देखते हुए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है। बोर्ड के अधिकारी पवन कुमार ने बताया कि फोरलेन निर्माण में लगी कंपनियों को सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। उन्हें निर्माण स्थलों पर नियमित रूप से पानी का छिड़काव करने, मलबा ढककर रखने और धूल उड़ने से रोकने के सभी जरूरी इंतजाम करने को कहा गया है।

 

इसके अलावा, अन्य संबंधित विभागों से भी समन्वय बनाकर इस पर्यावरणीय आपातकाल से निपटने के कोशिश किए जा रहे हैं। हालांकि, जानकारों का मानना है कि केवल चेतावनियों से बात नहीं बनेगी। बद्दी जैसे औद्योगिक क्षेत्र में स्थायी समाधान के लिए सख्त निगरानी, नियमों का कड़ाई से पालन और पर्यावरणीय योजना जरूरी है।

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चेतावनी भी, मौका भी

बद्दी की मौजूदा स्थिति न सिर्फ प्रशासन, बल्कि आम जनता के लिए भी एक चेतावनी है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या और भयावह रूप ले सकती है। देवभूमि की पहचान को बचाए रखने के लिए जरूरी है कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाया जाए, ताकि बद्दी फिर से सांस लेने लायक बन सके।

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