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March 8, 2025

हिमाचल : पति छोड़ गया, गाय पाल पढ़ाई बच्ची- आज प्रोफेसर है अनपढ़ मां की बेटी

मां भरोसे छोड़ गया था पिता, पराए शहर में अकेले दो बेटियों को पाला

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Kangra News

कांगड़ा। गरीबी और कठिनाइयां अक्सर जीवन में बाधाएं उत्पन्न करती हैं, लेकिन कुछ लोग अपनी मेहनत, समर्पण और अटूट विश्वास से इन चुनौतियों को पार कर एक मिसाल कायम करते हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में रहने वाली शिवान खान की- जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपनी मेहनत से बड़ा मुकाम हासिल किया।

पांच महीने की बेटी को छोड़ गया पिता

शिवान खान महज पांच महीने की थी जब उसके पिता मां को छोड़ कर चला गया। ऐसे में शिवान की मां के कंधे पर अकेले दो बेटियों की परवरिश की जिम्मेदारी आ गई। एक तरफ पराया शहर और दूसरी तरफ गरीबी, लेकिन फिर भी शिवान की मां ने हार नहीं मानी। उन्होंने खुद अनपढ़ होने के बावजूद कड़ी मेहनत कर अपनी दोनों बेटियों को पढ़ाया-लिखाया और काबिल बनाया।

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असिस्टेंट प्रोफेसर बनी बेटी

वर्तमान में डॉ. शिवान खान सरदार पटेल यूनिवर्सिटी मंडी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात हैं। शिवान खान कांगड़ा जिले के पालमपुर नगर निगम के वार्ड लोहना की रहने वाली हैं। शादी के बाद शिवान का पिता उसकी मां बंसीरा को हिमाचल लेकर आया था। मगर बाद में उसे छोड़ कर चला गया।

गांव में इकलौता मुस्लिम परिवार

पालमपुर में कुंज बिहारी लाल बुटेल ने शिवान की बंसीरा को लोहना गांव में रहने की छोटी सी जगह दी- जहां पर वो अभी भी रह रही हैं। इस जगह पर उनके परिवार को छोड़कर सिर्फ हिंदू परिवार रहते हैं। बंसीरा और उनके परिवार को स्थानीय लोग अपने परिवार की तरह मानते हैं और कोई भेदभाव नहीं करते हैं।

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कैसे पढ़ाई दोनों बेटियां?

बंसीरा ने बेटियों की पढ़ाई के लिए लोन लेकर गाय खरीदी और दूध बेचकर अपनी दोनों बच्चियों को पढ़ाया। बंसीरा अपनी बेटियों को ये खिखाती रही कि घर की गरीबी पढ़ाई से ही दूर होगी- इसलिए तुम दोनों को खूब मेहनत करके पढ़ना होगा।

1000 रुपए मिला ईनाम

शिवान बताती हैं कि जब वो तीसरी कक्षा में थी तो उनकी मां ने उन्हें पड़ोस के स्कूल से निकालकर 3KM दूर पालमपुर में दाखिल करवा दिया। मां चाहती थी कि वो दोनों आते-जाते थक जाएं और दुनिया को जान पाएं। फिर 5वीं कक्षा के बाद उन्हें नवोदय स्कूल पपरोला में दाखिला मिल गया। नवोदय में दाखिला मिलने की खुशी में स्कूल की शिक्षिका कौशल्या राणा ने तब एक हजार रुपए प्रोत्साहन के रूप में दिए थे।

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बड़ी बहन ने छोड़ी पढ़ाई

शिवान बताती हैं कि वो पढ़ने में काफी होशियार थी और टॉपर थी। ऐसे में उन्हें कई स्कॉलरशिप मिलनी शुरू हो गई- जिससे उनका पढ़ाई का खर्च निकलने लगा। मगर घर की माली हालत ठीक ना होने कारण उनकी बड़ी बहन शम्मी अख्तर को ग्रेजुएशन के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी।

ठुकराई क्लर्क की नौकरी

शिवान बताती हैं कि जब उन्होंने BCOM. की पढ़ाई पूरी की तो लोग नौकरी करने की बात कहने लगे। मगर उनकी मां ने उनका हौसला बढ़ाया और उन्हें पढ़ाई जारी रखने के लिए कहा। फिर MCOM. के आखिरी सेमेस्टर के दौरान उन्हें क्लर्क की नौकरी मिली, लेकिन उनकी मां इस नौकरी से खुश नहीं थीं।

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मां ने नहीं करने दी नौकरी

क्लर्क की नौकरी मिलने पर उनकी मां ने कहा कि मैं इतना संघर्ष करके पढ़ा रही हूं और आप यह नौकरी करेंगी। मां ने क्लर्क की नौकरी नहीं करने दी और MPhil. में दाखिला करवा दिया। शिवान बताती हैं कि उन्होंने ट्यूशन पढ़ाई और अपनी पढ़ाई का खर्चा खुद उठाया। साल 2022 में PHD की पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉ. शिवान खान को नौकरी के लिए मेल आई। जिसकी खुशी में उनकी मां रातभर सो नहीं पाई। शिवान की मां बेटी के असिस्टेंट प्रोफेसर बनने से बेहद खुश हुई।

मां ने सिखाया परिस्थितियों से लड़ना

शिवान अपनी पूरी सफलता का श्रेय अपनी मां को देती हैं। शिवान का कहना है कि परिस्थितियों से लड़ना उन्होंने अपनी मां से सीखा। उन्होंने कहा कि उनकी मां ने उन्हें पढ़ाने के लिए बहुत संघर्ष किया है। पढ़ाई से लेकर अन्य किसी चीज तक के लिए मां ने कभी कोई कमी नहीं आने दी। शिवान बताती हैं कि उनकी मां को PHD का मतलब भी नहीं पता है, लेकिन वो मेरी नौकरी से बेहद खुश हैं।

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