#राजनीति
March 8, 2025
हिमाचल शिक्षा मंत्री की राजनाथ सिंह से हुई मुलाकात- NCC के लिए विशेष दर्जे की मांग
हिमाचल प्रदेश में एनसीसी फंडिंग पर शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने केंद्र से की अहम मांग
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शिमला। हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) की फंडिंग प्रणाली को अधिक सरल और प्रभावी बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। इस संबंध में उन्होंने दिल्ली में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर हिमाचल प्रदेश के लिए विशेष फंडिंग पैटर्न लागू करने की मांग उठाई।
शिक्षा मंत्री ने हिमाचल प्रदेश में 90:10 के अनुपात में फंडिंग पैटर्न लागू करने का अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में एनसीसी के लिए वित्तीय सहायता कई जटिल स्तरों में विभाजित है, जिससे प्रदेश सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ रहा है। अभी एनसीसी फंडिंग विभिन्न अनुपातों में मिलती है, जैसे:
- कुछ मामलों में 60:40 का अनुपात अपनाया जाता है।
- कुछ योजनाओं में 75:25 का पैटर्न लागू है।
- कई मामलों में 50:50 की हिस्सेदारी रखी गई है।
- कई अवसरों पर प्रदेश सरकार को 100% खर्च स्वयं उठाना पड़ता है।
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने बताया कि एनसीसी से जुड़े कई महत्वपूर्ण खर्चों का वहन राज्य सरकार को अकेले करना पड़ता है। इनमें मुख्य रूप से आर्मी अटैचमेंट कैंप, कैडेट्स के परेड भत्ते, पोशाक रखरखाव भत्ता, केयरटेकर भत्ता, और प्रशिक्षण शिविरों के लिए भोजन भत्ता शामिल हैं। इन सभी मदों का पूरा खर्च राज्य सरकार खुद उठाती है, जिससे हिमाचल प्रदेश पर वित्तीय दबाव बढ़ जाता है।
शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि पूर्व-कमीशन और रिफ्रेशर प्रशिक्षण के दौरान एनसीसी अधिकारियों और प्रशिक्षुओं को केंद्र सरकार से किसी प्रकार का वित्तीय सहयोग नहीं मिलता। जबकि एनसीसी अधिकारियों के मानदेय का खर्च केवल 50:50 के अनुपात में साझा किया जाता है।
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में एनसीसी कार्यक्रम को सुचारू रूप से चलाने के लिए वित्तीय ढांचे में सुधार की आवश्यकता बताई। उन्होंने रक्षा मंत्रालय से अनुरोध किया कि राज्य को राहत देने के लिए 90:10 फंडिंग मॉडल को जल्द से जल्द लागू किया जाए, जिससे एनसीसी कैडेट्स को अधिक सुविधाएं मिल सकें और उनकी ट्रेनिंग बाधित न हो।
यह बैठक हिमाचल प्रदेश में एनसीसी गतिविधियों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। अब देखना होगा कि केंद्र सरकार इस मांग पर क्या निर्णय लेती है।