#हादसा
August 9, 2025
किन्नौर कैलाश यात्रा पर गए श्रद्धालु की पार्वती कुंड के पास मिली देह, अब तक 3 ने गंवाई जा*न
पश्चिम बंगाल से आया था श्रद्धालु, दो दिन से था लापता
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रिकांगपिओ (किन्नौर)। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में चल रही पवित्र किन्नर कैलाश यात्रा इस बार प्राकृतिक आपदाओं के चलते गंभीर संकट में घिर गई है। लगातार हो रही भारी बारिश और भूस्खलन के कारण यात्रा मार्ग कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गया है। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि अब तक तीन श्रद्धालुओं की जान जा चुकी है और सैकड़ों लोग बीच रास्ते में फंस चुके हैं।
किन्नौर जिला में किन्नर कैलाश यात्रा पर गए एक और तीर्थयात्री का शव पार्वती कुंड के पास मिला है। मृतक पश्चिम बंगाल का रहने वाला था, जिसका शव पार्वती कुंड के पास मिला है। मृतक की पहचान 38 वर्षीय दुखी राम सरकार निवासी पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना जिला के रूप में हुई है। वह 7 अगस्त से लापता थे और उन्हें आखिरी बार किन्नर कैलाश की चोटी पर देखा गया था।
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दुखी राम सरकार का शव मिलने के बाद उसे पुलिस, त्वरित प्रतिक्रिया दल, होमगार्ड और मेला समिति के सदस्यों ने संयुक्त अभियान चलाकर उनके शव को गुफा तक पहुंचाया और फिर पोस्टमॉर्टम के लिए क्षेत्रीय अस्पताल रिकांगपिओ भेजा गया। यह इस वर्ष किन्नर कैलाश यात्रा के दौरान तीसरी मौत है। इससे पहले पश्चिम बंगाल के राजीव कंडू और छत्तीसगढ़ के पोषण नामक तीर्थयात्रियों की भी मौत हो चुकी है।
बीते दो दिनों से हो रही मूसलधार बारिश ने यात्रा मार्ग को बुरी तरह प्रभावित किया है। भूस्खलन और बाढ़ की वजह से दो अस्थायी पुल बह गए, जिससे मार्ग अवरुद्ध हो गया। हालात को देखते हुए प्रशासन ने यात्रा को अस्थाई रूप से स्थगित कर दिया है।
गुरुवार को भूस्खलन के कारण 889 तीर्थयात्री अलग.अलग स्थानों पर फंस गए थे। स्थिति बिगड़ती देख प्रशासन ने तुरंत भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की मदद ली। आईटीबीपी की टीमों ने कठिन हालात में राहत एवं बचाव अभियान चलाकर सभी फंसे तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकाला और सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया।
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जब तक मौसम सामान्य नहीं होता और मार्ग की मरम्मत नहीं हो जाती, तब तक यात्रा को फिर से शुरू नहीं किया जाएगा। सभी यात्रियों से अपील की गई है कि वे बिना मौसम अपडेट और प्रशासन की अनुमति के यात्रा पर न निकलें।
किन्नर कैलाश यात्रा को लेकर अब गंभीर सवाल उठने लगे हैं कि क्या मानसून के दौरान ऐसी जोखिम भरी यात्रा को अनुमति देना उचित है। लगातार बदलते मौसम और दुर्गम पर्वतीय रास्तों के चलते श्रद्धालुओं की जान खतरे में पड़ रही है। स्थानीय प्रशासन, आईटीबीपी और मेला समिति के सदस्य लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और राहत कार्य में जुटे हैं।