#यूटिलिटी
May 27, 2025
सुक्खू सरकार का यू-टर्न, अब चूड़धार यात्रा करने पर नहीं देना होगा शुल्क; स्थगित किया निर्णय
हर तरफ से उठ रहे विरोध के स्वरों पर लिया फैसला
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शिमला। हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने चूड़धार वन्यजीव अभयारण्य में लगाए गए प्रवेश शुल्क को लेकर बड़ा यू.टर्न लिया है। सरकार के वन विभाग द्वारा 2 अप्रैल 2025 को लागू किए गए इस शुल्क के खिलाफ उठे भारी विरोध के बाद अब इसे स्थगित कर दिया गया है।
यह कदम तब उठाया गया था जब राज्य सरकार ने पर्यावरणीय संरक्षण और स्वच्छता व्यवस्था के नाम पर सभी आगंतुकों से शुल्क वसूली शुरू की थी, लेकिन यह निर्णय जल्द ही विवादों में घिर गया, जब धार्मिक संगठनों, स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों ने इसे श्रद्धा पर आघात बताया। वहीं विपक्ष यानी भाजपा नेताओं ने इस फैसले को लेकर सुक्खू सरकार पर जमकर हमला बोला था।
दरअसल हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला में स्थित प्रतिष्ठित धार्मिक स्थल चूड़धार मंदिर में श्रद्धालुओं से प्रवेश शुल्क वसूलने के आदेश को हिमाचल प्रदेश वन विभाग ने तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया है। चूड़धार मंदिर में जाने वाले श्रद्धालुओं से 50 रुपए प्रति व्यक्ति शुल्क वसूला जाने लगा था। उत्तराखंड के त्यूनी क्षेत्र से आए एक परिवार से 1,000 रुपए वसूलने की घटना के बाद विरोध ने तूल पकड़ लिया। लोगों ने स्पष्ट कहा कि हम यहां पर्यटन नहीं, पूजा करने आए हैं, श्रद्धा पर टैक्स क्यों।
इस तीव्र विरोध के सामने आखिरकार सुक्खू सरकार को झुकना पड़ा। 27 मई 2025 को शिमला वन्यजीव मंडल के डिप्टी कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट्स द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि जब तक एक समग्र और पारदर्शी नीति नहीं बन जाती, जिसमें श्रद्धालुओं को छूट और अन्य आगंतुकों के लिए न्यायोचित शुल्क का प्रावधान हो, तब तक यह आदेश स्थगित रहेगा। यह निर्णय चूड़धार क्षेत्र में धार्मिक भावनाओं, स्थानीय जनभावनाओं और पारिस्थितिकी के संतुलन को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
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सरकार का यह यू.टर्न दर्शाता है कि धार्मिक भावनाएं और स्थानीय जनमत की अनदेखी करना किसी भी नीतिगत फैसले को संकट में डाल सकता है। साथ ही यह भी स्पष्ट होता है कि पर्वतीय क्षेत्रों में धार्मिक स्थलों को लेकर कोई भी फैसला संवेदनशील सोच और जनसहभागिता के बिना लागू नहीं किया जा सकता।